दिवाली से पहले किसानों को मिला तोहफा, IFFCO ने इतने रुपए घटाई खाद की कीमत

punjabkesari.in Wednesday, Nov 11, 2020 - 01:47 PM (IST)

नई दिल्ली: सहकारी उर्वरक कंपनी इफको ने बुधवार को एनपी खाद की अधिकतम खुदरा कीमत में 50 रुपये प्रति बोरी की कमी कर इसे 925 रुपये कर दिया। कीमतों में कटौती तत्काल प्रभाव से लागू है। इफको ने एक बयान में कहा कि एनपी उर्वरक की कीमतों में कमी कृषि लागत को कम करने तथा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की प्रधानमत्री की योजना के अनुरूप है। एनपी उर्वरक में नाइट्रोजन और सुपरफॉस्फोट होते हैं। इफको ने कहा कि किसानों के लिए जहां भी संभव हो, कीमतों को कम किया जाएगा।

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इफको के प्रबंध निदेशक और सीईओ यू एस अवस्थी ने ट्वीट कर कहा, ‘हम पूरे भारत में सभी स्टॉक के लिए एनपी 20: 20: 20: 0: 13 उर्वरक की कीमत तत्काल प्रभाव से 50 रुपये प्रति बोरी घटाने की घोषणा कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि किसानों की मदद करने के लिए सल्फर पर प्रति टन 1,000 रुपये की कटौती की गई है। इफको ने कुछ महीने पहले एनपीके और डीएपी उर्वरकों की कीमतों में भी कटौती की थी।

देश में एफपीओ बनाने की प्रक्रिया में तेजी 
देश में 10,000 नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। कुल 35 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में समन्वय समिति बना ली है, वहीं 400 जिलों में भी निगरानी एवं समन्वय समितियां (डीएमसी) का गठन हो गया है। अभी तक 411 उत्पाद क्लस्टरों का प्रमाणन कर दिया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर किसानों को संगठित करने पर है, ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। हरेक ब्लाक में कम से कम एक एफपीओ बनाया जाएगा।

योजना पर लगभग 6800 करोड़ रुपए होंगे खर्च
किसानों के लिए सुविधाएं जुटाने को लेकर पूरी योजना पर लगभग 6800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए है, इसी के तहत कृषि क्षेत्र को भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कुल 10 हजार नए एफपीओ बनाने की योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बैठक में श्री तोमर ने कहा कि निश्चित ही 10,000 एफपीओ का निर्माण किसानों को एक नया आयाम प्रदान करेगा तथा भारतीय कृषि को पूर्ण रूप से सक्षम एवं लाभवर्धक बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। बैठक में राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला भी मौजूद थे, जिन्होंने अधिकारियों से पूर्ण समन्वय व पारदर्शिता से कार्य करने को कहा।

बैठक में बताया गया कि देश में अभी तक 6,455 एफपीओ विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जा चुके है। इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शामिल है। केंद्रीय क्षेत्र की 10 हजार नए एफपीओ बनाने की स्कीम की प्रगति पर बताया गया कि कार्यान्वयन एजेंसियों के समग्र समन्वय व आवंटन क्लस्टरों हेतु परियोजना प्रबंधन सलाहकार व निधि मंजूरी समिति की चार बैठकें हो चुकी है। योजना में स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंर्सोटियम (एसएफएसी), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबाडर्), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी संघ विपणन संघ (नेफेड), वाटरशेड डेवलपमेंट विभाग (डब्ल्यूडीडी)-कर्नाटक, एसएफएसी-हरियाणा, एसएफएसी-तमिलनाडु, नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (एनआरएलएम), इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएन्ट मैनेजमेट (आईएनएम) डिवीजन व तिलहन डिवीजन को कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में मंजूरी दी गई है।

इनके द्वारा नियुक्त‘क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ)'के विशेषज्ञ एफपीओ को विकसित करेंगे। वर्ष 2020-21 के दौरान एजेंसियों को 2,200 एफपीओ के गठन का लक्ष्य दिया गया है। एजेंसियों ने क्लस्टरों की पहचान भी कर ली है। वर्ष 2020-21 के लिए एजेंसियों ने एफपीओ के गठन हेतु अभी तक 1,581 ब्लॉक चिन्हित कर लिए हैं। एसएफएसी ने 28 राज्यो के 238 जिलों में 450 क्लस्टरों को चिन्हित किया है, जिनमें 84 आकांक्षी जिलों में एवं 9 जनजातीय जिलों में है।


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rajesh kumar

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