GST चुकाने वाले ही पकड़वाएंगे टैक्स की ‘चोरी’

punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2017 - 09:59 AM (IST)

नई दिल्ली: जी.एस.टी. लागू होने के बाद से बिल नहीं देने, फर्जी बिलिंग और बिल काटने के बाद भी टैक्स जमा नहीं करवाने की बढ़ती शिकायतों पर राज्य सरकारें अलर्ट हो गई हैं। राज्य सरकारें अब टैक्स चुकाने वाले ग्राहकों को ही टैक्स चोरी पकडने का हथियार बनाने में जुटी हैं। दिल्ली, यू.पी. हरियाणा, गुजरात सहित कई राज्यों की सरकारें त्यौहारी डिमांड के बीच ग्राहकों से अपने-अपने तरीके से टैक्स चोरी रोकने में मदद मांग रही हैं।

ग्राहकों से बोगस बिलिंग पकड़वाने की अपील 
यू.पी. सरकार ने तो बाकायदा एक स्कीम पेश की है जिसके तहत ग्राहकों से शॉपिंग बिल की कॉपी व्हाट्सएप या ई-मेल करने को कहा गया है जिसकी मैचिंग की जाएगी या फील्ड सर्वे से जांच की जाएगी। यू.पी. के कमिश्नर (कमर्शियल टैक्स) की ओर से जारी आदेश में सभी जिलों में ऐसे बिलों की कॉपी मैच करने, एसैस करने, ग्राहकों को सूचित करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने भी विज्ञापन के जरिए ग्राहकों से हर शॉपिंग पर बिल लेने और उसमें कुछ निश्चित डाटा चैक करने की अपील की है।

दिल्ली सरकार की ‘बिल बनवाओ ईनाम पाओ’ स्कीम
दिल्ली सरकार ने वैट रिजीम में ही इस तरह की धांधली रोकने के लिए ‘बिल बनवाओ ईनाम पाओ’ स्कीम चला रखी थी जिससे बड़े पैमाने पर टैक्स चोरों को पकड़ने में मदद मिली थी। अब अधिकारी सोशल मीडिया में शेयर हो रहे फर्जी और गलत बिलों को गंभीरता से ले रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर पर शेयर हो रहे करीब 100 बिलों को संज्ञान में लिया गया है और उनका असैसमैंट चल रहा है। उनमें से करीब एक दर्जन वास्तविक ग्राहकों का पता लगा लिया गया है। उनकी मदद से दोषी रेस्तरां, दुकानों और आपूर्तिकत्र्ताओं के खिलाफ  कार्रवाई की जा रही है।
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रेस्तरां और खानपान की दुकानों से ज्यादा शिकायतें 
अधिकारी ने बताया कि जरूरत पड़ी तो जी.एस.टी. में भी ईनामी स्कीम लाई जा सकती है। हालांकि इसके लिए केंद्रीय जी.एस.टी. अधिकारियों की राय भी ली जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि बोगस बिलिंग की सबसे ज्यादा शिकायतें रेस्तरां और खानपान की दुकानों से आ रही हैं जबकि बिल नहीं देने संबंधी शिकायतें मीडिया रिपोर्टों के आधार पर संज्ञान में ली गई हैं। इन दिनों त्यौहारी सीजन की सेल के बीच बहुत से ट्रेडर बिल नहीं दे रहे और उसके पीछे इस तरह की दलीलें दे रहे हैं कि अभी रेट नहीं पता या टिन नंबर नहीं मिला है। हालांकि सरकार पहले ही साफ  कर चुकी है कि कोई भी रजिस्टर्ड या माइग्रेटेड ट्रेडर बिना बिल के 200 रुपए से ज्यादा की टैक्सेबल सेल नहीं कर सकता। अगर ग्राहक ने बिल नहीं लिया तो भी उस सेल को अकाऊंट बुक में दर्ज करना अनिवार्य है।


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