GST लागू हो गया तो आपका एक बड़ा नुकसान होगा

punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2015 - 12:03 PM (IST)

नई दिल्लीः आने वाले दिनों में सोने के दामों में भले ही गिरावट हो लेकिन टैक्स सिस्टम जी.एस.टी. लागू होने के बाद गहने बनवाना महंगा हो सकता है। बुलियन बाजारों में जूलर जी.एस.टी. के उस प्रस्ताव के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं,जिसके तहत ट्रांसफर ऑफ कस्टडी को टैक्स के दायरे में लाने की बात कही गई है। इससे गहने बनाने के लिए कारीगर को सोना देना एक तरह से ''बिक्री'' मानी जाएगी। हालांकि वास्तविक टैक्स सिर्फ वैल्यू अडिशन पर वसूला जाएगा लेकिन जूलर और कारीगर दोनों को सोने के ट्रांसफर के साथ पूरा टैक्स देना होगा और रिबेट की रकम उनके खाते में रिफंड की जाएगी।

जानकारों का कहना है कि गहने बनवाने की इंडस्ट्री आज भी पूरी तरह हाऊसहोल्ड पैटर्न पर चलती है और छोटे कारीगरों वाली यूनिटें अभी तक टैक्स के दायरे में नहीं आती हैं। फिलहाल ज्वैलर फिनिश्ड जूलरी की बिक्री पर एक फीसदी वैट देते हैं। अब उन पर कारीगर को सोना सौंपते समय जी.एस.टी. की देनदारी तो बनेगी ही, अपनी दुकान की एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में स्टॉक ट्रांसफर भी जी.एस.टी. के तहत दर्ज करानी होगी।

जी.एस.टी. कमेटियों के साथ काम कर चुके जेम्स ऐंड जूलरी एक्सपर्ट पंकज पारेख के मुताबिक प्रस्ताव में सीधी बिक्री की बात नहीं कही गई है लेकिन वैल्यू अडिशन और हर तरह की ट्रांसफर ऑफ कस्टडी पर जी.एस.टी. लगेगा। इससे गहने बनवाना अब पर्सनल काम न होकर लीगल चेन का हिस्सा होगा। पारेख ने बताया, "मान लीजिए आप जूलर हैं, मैं कारीगर हूं। आपने मुझे एक करोड़ का सोना दिया। आपको एक करोड़ पर 18 फीसदी या जो भी तय रेट हो देना पड़ेगा। अगर वैल्यू अडिशन के बाद मैं आपको सोना वापस करता हूं और 3 लाख रुपए मजदूरी लेता हूं तो 1.03 करोड़ पर मुझे जी.एस.टी. देना पड़ेगा। आपने एक करोड़ पर 18 लाख दिया था, उसके बदले मैं 1 करोड़ 3 लाख के ऊपर सैटऑफ करके 24 हजार दूंगा।" वह बताते हैं कि असली चिंता टैक्स की नहीं, बल्कि चुकाए गए टैक्स के रिबेट या रिफंड की है। अभी तक सरकारें रिफंड देने में आनाकानी करती हैं। ऐसे में जूलर्स के साथ कारीगरों का वर्किंग कैपिटल भी सरकार के पास अटक सकता है।


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