GST जलेबी जैसा, कोई सिरा पकड़ में नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Jun 13, 2017 - 10:27 AM (IST)

नई दिल्लीः वनडे क्रिकेट में डकवर्थ लुइस के बारे में सब जानते हैं लेकिन अगर किसी ने उनके नियम के बारे में पूछ लिया तो सालों से क्रिकेट देखने और खेलने वाले सभी लोग कैल्कुलेशन तक नहीं कर पाते। जी.एस.टी. के मौजूदा ढांचे को देखकर भी कुछ ऐसा ही लग रहा है। वायदा किया गया एक देश एक टैक्स का और मिल गया 6 टैक्स और 9 सरचार्ज यानी 15 रेट। वायदा था बिजनैस और फाइलिंग आसान होगी लेकिन अब 13 की बजाय करनी होगी 37 फाइलिंग लेकिन यह सवाल तो उठता है कि जिस टैक्स सिस्टम को बनाने में हमने 13 साल ले लिए उसे जलेबी की तरह ऐसा जटिल बना दिया है कि कोई सिरा पकड़ में नहीं आ रहा है। चलिए सिलसिलेवार बात समझते हैं।

फाइलिंग का सिरदर्द
पहले 13 के मुकाबले 37 रिटर्न
हर महीने 3 रिटर्न और सालाना रिटर्न
3 राज्यों में दफ्तर हैं तो 111 रिटर्न
ऑनलाइन सिस्टम, नियमित एंट्री करनी होगी
पार्टटाइम अकाऊंटैंट से काम नहीं चलेगा
एक ही कैटेगरी में अलग-अलग रेट
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खर्च बढ़ेगा, ज्यादा अकाऊंटैंट रखने होंगे
मामला यहीं नहीं थमेगा, हर कारोबारी को अब अपना हिसाब-किताब दुरुस्त रखने के लिए अकाऊंटैंट की सेवाएं लेनी होंगी। अभी छोटे कारोबारी पार्टटाइम अकाऊंटैंट रखते हैं जो महीने में 2-3 बार आकर उनके खाते अप-टु-डेट करते हैं लेकिन सिस्टम ऑनलाइन होने से उन्हें रैगुलर अकाऊंटैंट की जरूरत होगी। हां, इसका फायदा यह जरूर होगा कि देश भर में अकाऊंटैंट की नौकरियों की भरमार होगी। एक ही कैटेगरी में रेट अलग-अलग हैं।

कैटेगरी वही, कच्चा माल वही, लेकिन अलग रेट 
कॉटन, जूट या सिल्क के लिए एक ही रेट 5 पर्सैंट है। 1000 रुपए तक के रैडीमेड कपड़ों के लिए 5 पर्सैंट जी.एस.टी. है लेकिन उससे ऊपर के लिए 12 पर्सैंट। इंसुलिन में 5 पर्सैंट जी.एस.टी. है लेकिन कई दवाइयों में यह 12 पर्सैंट लगेगा। एक ही रेस्तरां में आप गए लेकिन अगर ए.सी. कैबिन में बैठ गए तो 18 पर्सैंट जी.एस.टी. और गैर-ए.सी. कैबिन में बैठ गए तो 12 पर्सैंट। होटल के कमरों में तो जी.एस.टी. दरों में और कन्फ्यूजन है, 1000 रुपए के लिए अलग, 2500 रुपए के लिए अलग और 5000 के लिए अलग। बूंदी का लड्डू सस्ता तो नमकीन बूंदी महंगी क्यों? बूंदी के लड्डू में जी.एस.टी. 5 पर्सैंट लगेगा लेकिन नमकीन बूंदी में 18 पर्सैंट जबकि दोनों में सिर्फ  नमक और चीनी का फर्क  है। हवाई यात्रा बिजनैस क्लास महंगी हो जाएगी क्योंकि उसमें 12 पर्सैंट टैक्स लगेगा जबकि इकोनॉमी क्लास के लिए 5 पर्सैंट।
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टैक्स दरें हुईं 6
बड़े जोर-शोर से वायदा किया गया कि पूरे देश में एक जैसा टैक्स लगेगा लेकिन हकीकत देखिए टैक्स दरें 6 हो गई हैं। जीरो पर्सैंट जी.एस.टी. वाली आइटम हटा लें तो भी रफ डायमंड के लिए आधा पर्सैंट, फिर सोने के लिए 3 पर्सैंट, फिर 5 पर्सैंट, 12 पर्सैंट, 18 पर्सैंट और 28 पर्सैंट। अब बताइए मैन्युफैक्चरर और सरकारी टैक्स सिस्टम ही नहीं। एक उपभोक्ता के तौर पर आपके लिए यह सिस्टम कितना जटिल हो गया। यानी किस आइटम या सर्विस पर कितना टैक्स लगेगा अगर आपको यह जानना है तो पूरी लिस्ट खंगालनी होगी जबकि सिंगापुर में ज्यादातर आइटम और सर्विस पर लगभग एक ही रेट है सिर्फ 7 पर्सैंट। कनाडा में तो स्टैंडर्ड दर सिर्फ 5 पर्सैंट है। अरे रुकिए टैक्स की बात तो अभी शुरू हुई है। अब सरचार्ज पर आते हैं। 9 तरह के सरचार्ज हैं। 12 पर्सैंट से 290 पर्सैंट तक। यानी लग्जरी कार पर सैस अलग है। सिगरेट 204 पर्सैंट। पान मसाला में अलग है। यानी 1200 से ज्यादा आइटम और सभी पर टैक्स की दरें अलग-अलग। सर्विस में टैक्स की दरें भी 2 से ज्यादा हैं।

केन्द्र जी.एस.टी. और राज्य जी.एस.टी. भी है
भारत में अक्सर हम शुरूआत अच्छी करते हैं लेकिन फाइनल प्रोडक्ट बनते-बनते जटिल कर देते हैं। यानी आसान तरीके हमें पसंद नहीं। देश में दोहरा जी.एस.टी. सिस्टम होगा-केन्द्र जी.एस.टी. और राज्य जी.एस.टी. यानी ज्यादातर आइटम और सर्विस ऐसी हैं कि जी.एस.टी. केन्द्र वसूलेगा लेकिन कई चीजों पर जी.एस.टी. वसूली का अधिकार राज्यों के पास भी होगा। ऐसी आइटम या सर्विस जिनकी सप्लाई अंतर्राज्यीय होगी उन पर जो जी.एस.टी. लगेगा वह केन्द्र लगाएगा और उसे सी.जी.एस.टी. कहा जाएगा। इसी तरह जो जी.एस.टी. राज्य वसूलेंगे उसे एस.जी.एस.टी. कहा जाएगा। सी.बी.ई.सी. यानी सैंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स के मुताबिक सैंट्रल जी.एस.टी. और स्टेट जी.एस.टी. छूट वाली सर्विस और आइटम को छोड़कर सभी में लगेगा।
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ऑटो सैक्टर: भूल जाओगे कहां कितना टैक्स
मिसाल के तौर पर ऑटो सैक्टर देखिए, यहां गाडिय़ों के वैरिएंट की तरह जी.एस.टी. दरों में बहुत वैरायटी है। ऑटो सैक्टर में ही कारों पर इतने तरह के जी.एस.टी. रेट हैं कि आप भूल ही जाओगे कि किसमें कितना टैक्स लगेगा। टू व्हीलर पर 28 पर्सैंट जी.एस.टी. लगेगा लेकिन 350 सी.सी. से ऊपर की बाइक पर 3 पर्सैंट सैस भी लगेगा। 4 मीटर से कम और 1200 सी.सी. तक की पैट्रोल कार में 28 पर्सैंट टैक्स और एक पर्सैंट सैस लगेगा लेकिन अगर कार डीजल की है तो 28 पर्सैंट जी.एस.टी. के साथ सैस 3 पर्सैंट हो जाएगा। इसी तरह 1500 सी.सी. से कम की है तो अलग रेट, उससे ज्यादा की है तो अलग रेट।


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