सोने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार ने हॉलमार्किंग नियमों में किया बदलाव

punjabkesari.in Sunday, Jun 06, 2021 - 10:49 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः हॉलमार्किंग को लेकर सरकार ने नियमों में बड़ा बदलाव किया है। 16 जून से अब कोई भी बिना हॉलमार्किंग के सोना नहीं बेच पाएगा। सोने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार की तरफ से नियमों में बदलाव किया गया है। हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजैंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बी.आई.एस.) करती है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। 

भारत में बी.आई.एस. वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने का आभूषण जो बी.आई.एस. द्वारा हॉलमार्क किया गया है, उस पर बी.आई.एस. का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि बी.आई.एस. की लाइसैंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।

ऐसे करें शुद्धता की पहचान
24 कैरेट शुद्ध सोने पर 999 लिखा होता है। 22 कैरेट की ज्वैलरी पर 916 लिखा होता है। 21 कैरेट सोने की पहचान 875 लिखा होता है। 18 कैरेट की ज्वैलरी पर 750 लिखा होता है व 14 कैरेट ज्वैलरी पर 585 लिखा होता है।

हॉलमार्क की 5 पहचान
असली हॉलमार्क पर बी.आई.एस. का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है। सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। ज्वैलरी निर्माण का वर्ष व उत्पादक का लोगो भी होता है।

ज्यादा महंगी नहीं होती हॉलमार्क ज्वैलरी
हॉलमार्क की वजह से ज्यादा महंगा होने के नाम पर ज्वैलर आपको बगैर हॉलमार्क वाली सस्ती ज्वैलरी की पेशकश करता है तो सावधान हो जाइए। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रति ज्वैलरी हॉलमार्क का खर्च महज 35 रुपए आता है। 

सोना खरीदते वक्त आप ऑथैंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। सर्टिफिकेट में सोने की कैरेट गुणवत्ता भी जरूर चैक कर लें। साथ ही सोने की ज्वैलरी में लगे जैम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें।


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Content Writer

jyoti choudhary

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