कालेधन पर लगाम लगाने के लिए शेल कंपनियों पर सरकार की बड़ी सख्ती

punjabkesari.in Thursday, Sep 07, 2017 - 08:46 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने कहा कि जिन कंपिनयों का पंजीकरण रद्द हो चुका है उनके निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों से धन की हेराफेरी करने की कोशिश करने पर उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा जिन मुखौटा कंपनियों के निदेशकों ने तीन या अधिक वर्ष के लिए अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं, उन्हें किसी अन्य कंपनी में ऐसे किसी पद पाने से अयोग्य कर दिया जाएगा। सरकार ने कुछ मामलों में मुखौटा कंपनियों के साथ जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिवों तथा कास्ट एकाउंटेंट की पहचान की है।

होगी 10 साल की सजा
कालाधन के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा कि और मुखौटा कंपनियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और इन इकाइयों के पीछे वास्तविक लाभार्थी और लोगों को तलाशने का काम जारी है। उल्लेखनीय है कि कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने 2.09 लाख से अधिक कंपनियों के का पंजीकरण रद्द कर दिया है। इसका कारण इन कंपनियों ने लंबे समय से कोई कारोबारी गतिविधयों को अंजाम नहीं दिया हैं। साथ ही बैंकों को उनके बैंक खातों पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है, उसके निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कंपनी के बैंक खाते से धन की हेरा-फेरी की कोशिश करते हैं तो उन्हें छह महीने से लेकर 10 साल तक की जेल हो सकती है।’’
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रिटर्न न फाइल करने वालों पर भी होगी कार्रवाई
सरकार ने यह भी कहा कि अगर धोखाधड़ी जनहित से जुड़े मामले में पाई जाती है तो सजा तीन साल से कम नहीं होगी और जुर्माना संबद्ध राशि का तीन गुना होगा। ऐसी कंपनियों के निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी गई है। कारपोरेट कार्य राज्यमंत्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक के दौरान यह भी फैसला किया गया कि अगर मुखौटा कंपनियों ने तीन या अधिक साल तक रिटर्न फाइल नहीं किया है तो इनके निदेशकों को किसी अन्य कंपनी में इस पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे। साथ ही, ऐसे व्यक्तियों को किसी भी ऐसी कंपनी में जहां वह निदेशक रहे थे, फिर से निदेशक नियुक्त किए जाने से प्रतिबंधित किया जाएगा।    


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