ग्रामीण इलाकों में FMCG बिक्री में गिरावट, उत्पादों की मांग 7 साल में सबसे निचले स्तर पर

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 03:05 PM (IST)

नई दिल्लीः ऑटो और हीरा उद्योग को नुकसान पहुंचाने के बाद देश के फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) सेक्टर पर भी आर्थिक मंदी के संकेत दिख रहे हैं। नीलसन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार एफएमसीजी सेक्टर की विकास दर पिछले साल की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आधे से भी कम रह गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी उत्पादों की मांग सात साल में सबसे कम रह गई है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि दर सबसे खराब
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय एफएमसीजी बाजार ने 2019 की दूसरी तिमाही में 7.3 फीसदी की वैल्यू ग्रोथ हासिल की, जो कि पिछले साल की दूसरी तिमाही में हुई 16.2 फीसदी की बढ़त से काफी कम है। सात साल में ग्रामीण क्षेत्रों में भी एफएमसीजी की वृद्धि दर सबसे खराब रही है। 2018 की तीसरी तिमाही में ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी वृद्धि दर 20 फीसदी थी, जो इस साल दूसरी तिमाही में 5 फीसदी रह गई। शहरी क्षेत्रों में वृद्धि दर पिछले साल जुलाई-सितंबर में 14 फीसदी से गिरकर इस साल उसी अवधि में 8 फीसदी पर आ गई। कुछ कंपनियों का दावा है कि ग्राहक अब पांच रुपए वाले प्रोडक्ट्स भी नहीं खरीद रहे हैं।
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HUL के होलसेलर्स और रिटेलर्स के पास नकदी की कमी
देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर का कहना है कि उसके ट्रेड चैनल्स खासतौर पर होल सेलर्स और छोटे रिटेलर्स को नकदी की बड़ी दिक्कत हो गई है। इस वजह से 7 साल में पहली बार ग्रामीण बाजार में कंपनी के विस्तार में कमी दर्ज की गई है। एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवास पाठक ने बताया कि कंपनी इन बाधाओं को दूर करने के लिए सीधे रूप से हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि हम इसके लिए अपने कई बैंकिंग और वित्तीय साझेदारों से बात कर रहे हैं। कुछ मामलों में हमने क्रेडिट के जरिए वितरकों को मदद की है।
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