प्याज पर नोटबंदी की मार, महंगी प्‍याज को तैयार रहें किसान

punjabkesari.in Saturday, Dec 10, 2016 - 01:58 PM (IST)

नई दिल्‍लीः दाम कम होने के चलते बहुत से किसानों ने प्याज की फसल को दोबारा उसी खेत में फेंकना मुनासिब समझा था जिससे पैदा की गई थी क्योंकि इस साल प्‍याज की दुर्गती देखकर किसानों ने इसकी बुआई से दूरी बना रखी है। ऐसे में रबी सीजन में महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश के किसान प्‍याज की फसल में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में अनुमान है कि प्‍याज का रकबा इस बार 35 से 40% कम रह सकता है। इसका सीधा असर एक बार फिर कीमतों पर पड़ने वाला है। इससे दो साल बाद फिर से प्‍याज की कीमतें आसमान छूने वाली हैं।

रकबे में 35 से 40% आएगी गिरावट
मौजूदा समय में प्‍याज की बुआई चल रही है लेकिन बहुत धीमी रफ्तार से। भारत में लगभग 65-70% प्‍याज रबी फसल में ही होती है। रबी में प्‍याज महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और मध्‍य प्रदेश में बोई जाती है। पूरे देश में 11.73 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल पर प्‍याज की फसल बोई जाती है।  इसमें से रबी में लगभग 7 लाख हेक्‍टेयर फसल इन तीनों राज्‍यों में होती है। पिछले साल महाराष्‍ट्र में  4.44 लाख, कर्नाटक में 1.86 और मध्‍य प्रदेश में 1.17 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल पर फसल बोई गई थी। वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष श्रीराम गढ़ावे ने बताया कि इस बार किसान प्‍याज की फसल नहीं बोना चाहते हैं। लिहाजा अभी जो अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश दोनों राज्‍या में प्‍याज की फसल सिर्फ 2 से 3 लाख हेक्‍टेयर पर ही हो सकती है। जो कि कुल बुआई से 30 फीसदी से अधिक कम है।

5 पैसे भी मिला प्‍याज का दाम 
साल 2015 में प्‍याज के दामों में अचानक तेजी आई थी। प्‍याज के दाम 70 रुपए तक पहुंच गए थे। इसका कारण था कि सूखे के कारण फसल बर्बाद हुई और प्रोडक्‍शन सिर्फ 189 लाख टन रह गया। इसमें भी ज्‍यादातर प्‍याज उत्‍तम गुणवत्‍ता की नहीं थी। ऐसे में किसानों ने खरीफ और रबी दोनों सीजन में प्‍याज की बंपर बुआई की। इससे प्‍याज का उत्‍पादन 2 करोड़ टन से भी ज्‍यादा पहुंच गया। इसी वजह से मंडियों में आवक बढ़ी और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा। शुरूआत में लासल गांव नासिक में 700 रुपए प्रति क्विंटल के मॉडल प्राइस से बिकने वाली प्‍याज 100 रुपए प्रति क्विंटल भी पहुंच गई। हालात यहीं तक रहते तो गनीमत थी। मध्‍य प्रदेश  के एक किसान को झटका उस समय लगा जब उसकी 9 क्विंटल प्‍याज के सिर्फ 5 पैसे प्रति किलोग्राम यानी 50 रुपए प्रति क्विंटल के बोले गए।

प्याज पर नोटबंदी का असर
नोटबंदी के बाद एशिया की सबसे बड़ी प्‍याज मंडी लासल गांव में प्‍याज का ऑक्‍शन लगभग एक सप्‍ताह तक बंद रहा था। ऐसे में किसानों की बची हुई प्‍याज का भी खरीददार नहीं मिला। हालांकि, कुछ व्‍यापारियेां ने पुराने नोटों को ठिकाने लगाने के लिए किसानों की प्‍याज के अच्‍छे दाम दिए। इससे प्‍याज का दाम मंडी में 700 से 900 रुपए तक आ गया था। लेकिन, अब फिर से मंडी में थोक भाव गिरने शुरू हो गए। बुधवार के कारोबार में लासलगांव में प्‍याज का अधिकतम मूल्‍य 650 रुपए प्रति क्विंटल और न्‍यूनतम 300 रुपए प्रति क्विंटल रहा।


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