नोटबंद पर बोले पूर्व वित्त मंत्री, कहा- लंबे समय तक रहेगा असर

punjabkesari.in Saturday, Nov 19, 2016 - 07:25 PM (IST)

मुंबई: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि नोटबंदी का फैसला सोच-विचार कर लिया हुआ नहीं लगता है। इसका असर उम्मीद से ज्यादा लंबे समय तक बना रह सकता है। उन्होंने फैसले पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि सरकार ने यह निर्णय लेने से पहले क्या अपने मुख्य आर्थिक सलाहकार से विचार विमर्श किया है।  

आर.बी.आई. की रिपोर्ट के मुताबिक
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार अर्थव्यवस्था में मौजूद कुल 16.24 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोटों में से बंद किए गए 500 और 1,000 रुपए के नोट का हिस्सा 86 प्रतिशत है। चिदंबरम ने यहां साहित्योत्सव में कहा, ‘‘आपको फिलहाल बाजार से 86 प्रतिशत मुद्रा को वापस लेने का असर दिखाई दे रहा है। इस पहले आदेश का असर कई सप्ताह तक बना रहेगा। उसके बाद आपको दूसरे आदेश का प्रभाव दिखेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा संदेह है कि सरकार में एकमात्र जानकार अर्थशास्त्री डा. अरविंद सुब्रमणियम से इस सबंध में कोई विचार विमर्श नहीं किया गया।’’  

चिदंबरम ने पहले प्रभाव के बारे में कहा कई लोगों के हाथ में अब बहुत कम पैसा बचा है और वह बहुत कम खपत कर पा रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि फल, सब्जी जैसे जल्द खराब होने वाले कई उत्पाद बाजार में नहीं बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरा असर तिरपुर और सूरत जैसे शहरों में दिखने लगा है। इन शहरों में नौकरी से छंटनी और कारोबार बंद होने जैसे प्रभाव पडऩे शुरू हो गये हैं। इसके अलावा दूसरा प्रभाव किसानों के ऊपर ज्यादा होगा, जिन्होंने खेतों में बीज बो दिया है और उनके पास उर्वरक खरीदने और श्रमिक को काम पर लेने के लिए पैसा नहीं है। ‘‘इसलिए मेरा मानना है कि इसके परिणाम निश्चित रूप से नकारात्मक ही होंगे।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि इस फैसले से नुकसान का आकलन अभी से करना जल्दबाजी होगी। 

50 दिन का समय मांगे जाने पर चिदंबरम बोले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कालेधन के खिलाफ शुरू की गई इस लड़ाई का परिणाम पाने के लिए 50 दिन का समय मांगे जाने के मुद्दे पर चिदंबरम ने कहा, इस दौरान व्यक्तिगत स्तर पर नकदी की तंगी कुछ आसान हो जाएगी लेकिन कई अन्य मुद्दे बने रहेंगे। चिदंबरम ने नोटों की छपाई और उपलब्धता के बारे में कहा, ‘‘सामान्य गणित से यदि बात करें तो, उन्होंने 500 और 1,000 रुपए के प्रचलन में चल रहे 2,200 करोड़ नोटों को चलन से हटाया है। देश में उपलब्ध सभी छपाई खानों की कुल क्षमता को यदि संज्ञान में लिया जाए तो इनमें हर महीने 300 करोड नोटों की छपाई की जा सकती है। इस लिहाज से यदि आप प्रत्येक नोट के बदले नोट छापते हैं तो भी इसमें 7 माह का समय लगेगा। आप यदि 500 रुपए के नोट के लिए 100 रुपए का नोट छापेंगे तो फिर इसमें 5 गुणा और समय लगेगा, 'सोचिए किसी ने इस तरह से नहीं सोचा' सरकार द्वारा एेसा ना सोचना असमान्य है।’’  

चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने जो कदम उठाया है उससे पूरी प्रणाली से नकली नोटों को पूरी तरह निकाल बाहर करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘16.24 लाख करोड़ रुपए के नोटों में मात्र 400 करोड़ रुपए के नोट ही जाली हैं जो कि कुल मुद्रा का 0.028 प्रतिशत है। कोई यदि 5 सैकेंड में मुझे बता सकता है कि 16.24 लाख करोड़ में कितने शून्य हैं तो मैं उसे 100 रुपए दे सकता हूं, 100 का नोट इस समय काफी कीमती है।’’  एक ब्रोकरेज कंपनी द्वारा नोटबंदी के चलते दूसरी छमाही में देश के आर्थिक वृद्धि लक्ष्य में 0.5 प्रतिशत कमी का अनुमान लगाए जाने पर चिदंबरम ने कहा, स्थिति इतनी खराब भी नहीं है।  
 


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