खराब मोबाइल ठीक कराने फ्लाइट से दिल्ली जाना पड़ा, दुकानदार को 75,250 हर्जाना

punjabkesari.in Monday, Sep 25, 2017 - 11:53 AM (IST)

नई दिल्लीः टच स्क्रीन को सुधारने के बजाय मोबाइल का मदर बोर्ड खराब करने के मामले में उपभोक्ता फोरम ने फैसला सुनाया। खास बात यह है कि परिवादी अधिवक्ता स्मृतिनगर निवासी टी.के. तिवारी अपने मोबाइल को ठीक करवाने के लिए फ्लाइट से दिल्ली गए थे। इस प्रकरण में इलैक्ट्रो इंडिया सुपेला के संचालक को दोषी ठहराते कुल 75,250 रुपए का हर्जाना लगाया है।

क्या है मामला
परिवाद पत्र के मुताबिक टी.के. तिवारी ने मोबाइल का टच स्क्रीन खराब होने पर उसे हिमालया कॉम्लैक्स स्थित इलैक्ट्रो इंडिया सॢवस सैंटर में सुधार के लिए दिया था। संचालक ने जानकारी दी थी कि अभी उसके पास सामान नहीं है,कम से कम 3 दिन का समय लगेगा। 3 दिन बाद सॢवस सैंटर पहुंचने पर कहा कि 10 दिन का समय और लगेगा। परिवादी बात मानते हुए निर्धारित अवधि के बाद पहुंचा था। तब संचालक ने उसके साथ अभद्र व्यवहार किया और मोबाइल लौटा दिया। मोबाइल को देखने के बाद मालूम हुआ कि मोबाइल चालू ही नहीं हो रहा है। दिल्ली स्थिति नोकिया कंपनी के सर्विस सैंटर में संपर्क  करने पर खुलासा हुआ कि मोबाइल का टच स्क्रीन के साथ मदर बोर्ड भी खराब है। मोबाइल को सुधरवाने और दिल्ली आने- जाने व ठहरने में कुल 39,505 रुपए खर्च हुआ।

क्या कहा फोरम ने
सुनवाई के दौरान जिला उपभोक्ता फोरम ने अनावेदक को पक्ष रखने का मौका दिया। अनावेदक का कहना था कि उसने पहले ही बता दिया था कि नया टच स्क्रीन मिलने पर ही लगाकर देगा। इसके लिए समय लगेगा। आवेदक हर तीसरे दिन दुकान में आकर उसे अकुशल मकैनिक कहकर बेइज्जत करता था, जबकि वह अपने कार्य में दक्ष है। पत्र से स्पष्ट होता है कि सर्विस सैंटर का संचालक अगर विधि व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार कर सकता है तो आम नागरिक के साथ उसका व्यवहार कैसा है। इसलिए अनावेदक के प्रति नम्र होने का आधार ही नहीं बनता। वर्तमान समय में मोबाइल एक आवश्यक वस्तु है। फोरम ने दुकानदार को दोषी ठहराते हुए उसे 75,250 रुपए का हर्जाना लगाया है। इसमें मोबाइल सुधार में खर्च की राशि 20,250 रुपए, मानसिक कष्ट के लिए 50,000 और वाद व्यय की राशि 5,000 रुपए शामिल है।


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