कोरोना महामारी दौर में एविएशन सेक्टर का बुरा हाल, छीनी हजारों नौकरियां- करोड़ों रुपए डूबे

punjabkesari.in Wednesday, Sep 16, 2020 - 05:44 PM (IST)

नई दिल्ली: कोविड-19 की वजह से लागू हुए लॉकडाउन से कई सेक्टर प्रभावित हुए हैं। महामारी के इस दौर में एविएशन सेक्टर में काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद में बताया कि 31 मार्च तक 74,887 लोग काम करते थे जो 31 जुलाई तक घटकर 69,589 हो गए। 31 मार्च तक एयरपोर्ट में 67,760 लोग काम करते थे जबकि 31 जुलाई तक घटकर 64,514 रह गए।

यहीं नहीं ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों ने भी कर्मचारियों की संख्या में कमी की। 31 मार्च तक 37,720 लोगों को एजेंसी ने काम दिया था जिसे 31 जुलाई तक घटाकर 29,254 कर दिया। कोविड 19 के दौरान कार्गों सेवा बहाल थी ताकि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति निर्बाध जारी रहे। बावजूद इसके कार्गो संचालन के लिए 31 मार्च तक 9,555 कर्मचारी काम कर रहे थे जो 31 मार्च तक घटकर 8,538 रह गए।

एयरलाइंस कंपनियां कई महीने तक रही बंद
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा करने के दौरान ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमान उड़ान सेवा को रद्द कर दिया जो अब तक जारी है। हवाई यात्रा रद्द होने से एयरलाइंस कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2019 में भारतीय एयरलाइंस का राजस्व 25,517 करोड़ रुपये था जो अप्रैल-जून 2020 में घटकर 3,651 करोड़ रुपये रह गया।

वहीं अप्रैल-जून 2019 में एयरपोर्ट ऑपरेटरों का राजस्व 5,745 करोड़ रुपये का था जो अप्रैल-जून 2020 में घटकर महज 894 करोड़ रुपये रह गया। इस महामारी काल में एअर इंडिया को भी भारी राजस्व घाटा का सामना करना पड़ा। अप्रैल-जून 2019 में एअर इंडिया का कुल राजस्व 7066 करोड़ रुपये था जो अप्रैल-जून 2020 में घटकर महज 1531 करोड़ रुपये रह गया।

मार्च-जुलाई 2020 में कम यात्रियों ने किया सफर
नागरिक उड्डयन मंत्री ने एक सांसद द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मार्च-जुलाई 2019 में 5,85,30,038 लोगों ने हवाई यात्रा की थी तो मार्च-जुलाई 2020 में सिर्फ 1,20,84,952 मुसाफिरों ने यात्रा की। ना सिर्फ घरेलू बल्कि कोरोना की वजह से अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई। मार्च-जुलाई 2019 में 93,45,469 यात्रियों ने सफर किया था जबकि मार्च-जुलाई 2020 में सिर्फ 11,55,590 मुसाफिरों ने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए हवाई यात्रा।

केंद्र सरकार से मदद की गुहार
एयरलाइंस कंपनियों वित्तीय संकट से जूझ रही हैं और इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। एयरलाइंस कंपनियों ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाये जाने की मांग की है। एटीएफ पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को 11 फीसदी से घटाकर शून्य फीसदी यानी ड्यूटी फ्री करने की मांग की है। मासिक के बजाय प्रत्येक पंद्रह दिनों में एटीएफ के दाम तय हो। एटीएफ की खपत पर 60 दिनों के लिए एक अतिरिक्त अनसिक्योरड क्रेडिट की सुविधा मिले।

बैंकों द्वारा ग्राउंड हैंडलर्स,एयरलाइंस और एमआरओ के लिए कर्ज देने की व्यवस्था प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत हो। ब्याज मुक्त लाइन ऑफ क्रेडिट की व्यवस्था हो। बैंकों और वित्तीय संस्थानों से सरकार कहे कि एविएशन सेक्टर के लोन रिपेमेंट को 6 महीनों के लिए टाल दिया जाए और उनके अकाउंटस को एनपीए घोषित नहीं किया जाए। सरकारी और पीएसयू कंपनियों के कर्मचारियों को दिए जाने वाले लीव ट्रेवल कंसेशन यानी एलटीसी के लिए निजी एयरलाइंस से यात्रा की भी अनुमति मिले।


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rajesh kumar

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