चीटी की चाल पर एक्सप्रेसवे

punjabkesari.in Saturday, Jan 31, 2015 - 11:16 AM (IST)

नई दिल्लीः सर्वोच्च अदालत ने ईस्टर्न एवं वेस्टर्न एक्सप्रेसवे के निर्माण में देरी पर केंद्र सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को फटकार लगाई है। काम के रफ्तार पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे में तो यह अगले 2 दशक में भी पूरा नहीं हो पाएगा।

साथ ही इस बात पर बेहद अफसोस जताया कि आदेश के करीब एक दशक बीत जाने के बाद अब तक काम पूरा नहीं हो सका है। अदालत ने हरियाणा सरकार को नए सिरे से टेंडर जारी करने की भी अनुमति दे दी है।

मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को आखिरी मौका देते हुए कहा कि 2 महीने के अंदर टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए और उसके तीन महीने के भीतर निर्माण काम शुरू हो जाना चाहिए।

गौरतलब है कि पुराने टेंडर को रद्द कर दिया गया है। दिल्ली की सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना है। इस एक्सप्रेसवे का मकसद यह है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से आने वाले भारी वाहन दिल्ली के भीतर से नहीं बल्कि बाहर से होकर गुजरें। राजधानी में प्रदूषण कम करने के मद्देनजर दिल्ली के बाहर रिंग रोड बनाने संबंधी सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद वर्ष 2005 में दोनों एक्सप्रेसवे को बनाने का निर्णय लिया गया था। दोनों एक्सप्रेसवे 135 किलोमीटर लंबे होंगे।

सर्वोच्च अदालत ने सरकार को सुनवाई की अगली तारीख पर कार्ययोजना का खाका लेकर आने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि एक्सप्रेस का निर्माण कब शुरू होगा और कब खत्म होगा। पीठ ने कहा कि जिस रफ्तार से सरकार काम कर रही है, ऐसे में तो दो दशक बाद भी काम पूरा नहीं हो पाएगा। महज इसलिए कि सरकार बदल गई है, जवाबदेही से नहीं बचा जा सकता। पीठ ने कहा कि हमें लोगों की चिंता है। एक्सप्रेस नहीं बन पाने के कारण लोग परेशान हैं। पीठ ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को भी सहयोग देने के लिए कहा है।

इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि एक्सप्रेस बनाने की जिम्मेदारी जिस कंपनी को दी गई थी, उससे जिम्मेदारी छीन ली गई है। उन्होंने कहा कि अब फिर से इसके लिए टेंडर जारी किए जाएंगे।
 


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