गूगल मामले के बाद अमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल GAAR को लेकर चिंतित

punjabkesari.in Monday, Nov 06, 2017 - 09:30 AM (IST)

नई दिल्लीः ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनियां उन मामलों में जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स (गार) पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए अगले सप्ताह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात कर सकती हैं, जिनमें वेबसाइटें भारत से बाहर किसी देश में पंजीकृत पेटेंट का इस्तेमाल करती हैं। हाल में ही बेंगलूरु आयकर अपीलीय पंचाट ने अपने एक आदेश में गूगल इंडिया को 1,457 करोड़ रुपए की आय पर कर भुगतान करने के लिए कहा था। गूगल की भारतीय इकाई ने गूगल एडवड्र्स से संबंधित मामले में यह रकम आयरलैंड इकाई को स्थानांतरित की थी। पंचाट के इस आदेश के बाद ऑनलाइन कंपनियों ने यह कदम उठाया है।

बड़ी कंपनियां गार को लेकर चिंतित
प्रस्तुतिकरण तैयार करने वाले वकीलों का कहना है कि आयरलैंड जैसे देश में बौद्धिक संपदा केवल सुरक्षा करणों से थी और इसका मकसद किसी तरह की कर अदायगी से बचना नहीं था। उन्होंने कहा कि कंपनियां सरकार से यह जानना चाहती हैं कि क्या ऐसे मामले गार की जद से बाहर हैं। ऐपल, अमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट (लिंक्डइन और बिंग) जैसी शीर्ष कंपनियां ऐसी ही संरचना का इस्तेमाल करती हैं।
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ऑनलाइन और ई-वाणिज्य उद्योग पर पड़ेगा असर
एक शीर्ष सोशल मीडिया कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा, 'पंचाट का फैसला कर कानूनों की गलत व्याख्या का एक उदाहरण है। इस आदेश के अनुसार आयकर विभाग के पास ऐसे मामलों में भी गार लागू करने का अधिकार हो जाएगा। कुल मिलाकर इससे ऑनलाइन सेवाओं और ई-वाणिज्य उद्योग पर प्रतिकूल  असर पड़ेगा।' विधि विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल कंपनियां पंचाट के आदेश से चिंतित हैं। उनके अनुसार आदेश में विज्ञापन राजस्व को रॉयल्टी भुगतान माना गया है। गूगल के मामले में गूगल इंडिया ने गूगल एडवड्र्स से प्राप्त राजस्व गूगल आयरलैंड को स्थानांतरित कर दिया था, जहां पेटेंट पंजीकृत हुआ था। कानूनी तौर पर गूगल इंडिया इस कार्यक्रम में महज योगदान देने वाली इकाई थी, लेकिन गूगल इंडिया ने पेटेंट का इस्तेमाल अपनी आयरलैंड इकाई के लिए किया था, इसलिए स्थानांतरित रकम रॉयल्टी भुगतान के तौर पर मानी गई। 
 


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