अमेरिका में लगे रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच Adani Group का बयान, शेयरों में आई तेजी
punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2024 - 10:35 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः अरबपति गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने बुधवार को यह जानकारी दी। इस खबर के बाद से अडानी ग्रुप के ज्यादातर शेयरों में तेजी देखी गई है। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पावर, अडानी टोटल गैस, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, अंबुजा सीमेंट्स, अडानी विल्मर, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन और एनडीटीवी के शेयरों में बढ़ोतरी हुई है।
बता दें कि बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा तक के कारोबार से जुड़े समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अडानी, सागर अडानी और प्रमुख कार्यकारी अधिकारी विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि वे भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की कथित साजिश का हिस्सा थे। यह रिश्वत सौर बिजली की आपूर्ति के लिए ठेका हासिल करने के वास्ते दी गई थी जिससे 20 साल की अवधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का मुनाफा होना था।
अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि वे खबरें 'गलत' हैं जिनमें दावा किया गया है कि इन तीनों पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। उन पर ऐसे अपराधों का आरोप लगाया गया है जिनके लिए आर्थिक जुर्माना या दंड का प्रावधान है। कंपनी की सूचना के अनुसर, ‘‘गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अभियोग या अमेरिकी एसईसी की सिविल शिकायत में निर्धारित आरोपों के अनुसार एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है।''
इसमें कहा गया, ‘‘इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में तीन आरोप लगाए गए हैं। उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, वायर धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप है।'' अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह अपने बचाव के लिए हर संभव कानूनी मदद लेगा। अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले की अमेरिकी जिला अदालत में एक आपराधिक अभियोग दायर किया है।
कंपनी ने कहा, ‘‘अभियोग में किसी भी जुर्माने/दंड को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।'' इसमें कहा गया है कि सिविल शिकायत के आरोप के मुताबिक, अधिकारियों ने प्रतिभूति अधिनियम 1933 और प्रतिभूति अधिनियम 1934 की कुछ धाराओं का उल्लंघन किया, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को इन अधिनियमों का उल्लंघन करने में मदद की और बढ़ावा दिया। कंपनी की सूचना के अनुसार, ‘‘शिकायत में प्रतिवादियों को सिविल मौद्रिक दंड का भुगतान करने का निर्देश देने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया है, लेकिन इसमें जुर्माने की राशि कितनी हो, इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया।''