इजरायल के एक फैसले से भारत में बढ़ जाएगी जबरदस्त महंगाई!
punjabkesari.in Wednesday, May 21, 2025 - 06:23 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की आशंका के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें चढ़ने लगी हैं। यह स्थिति भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयातित तेल से पूरा करता है। यदि तेल की कीमतें लगातार बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर ट्रांसपोर्ट, खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर पड़ सकता है, जिससे आम जनता की जेब पर महंगाई का बड़ा बोझ आ सकता है।
हाल ही में मिली रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर मिलिट्री एक्शन की तैयारी कर रहा है। इस खबर के बाद ब्रेंट क्रूड और WTI क्रूड दोनों में 1.06% से अधिक की तेजी आई है, जिससे दाम 66.07 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं। कुछ दिन पहले ये कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे थीं।
मध्य-पूर्व में तनाव से बढ़ सकती है महंगाई
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टकराव और गहराता है, तो इसका असर सिर्फ इजरायल और ईरान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में फैल सकता है। सऊदी अरब, इराक, यूएई और कतर जैसे देश जो भारत को सबसे अधिक कच्चा तेल सप्लाई करते हैं, इस तनाव की चपेट में आ सकते हैं। इससे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे भारत में महंगाई बढ़ने की आशंका है।
भारत के लिए तीनतरफा खतरा: तेल, मुद्रा और व्यापार
भारत विश्व का सबसे बड़ा कच्चे तेल आयातक है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने लगभग 137 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था। यदि तेल की कीमतें और बढ़ती हैं, तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है।
इसके अलावा, पश्चिम एशिया में लाखों भारतीय कामगार काम कर रहे हैं, जो हर साल अरबों डॉलर भारत भेजते हैं। 2023 के अंत तक इन देशों से भारत को लगभग 120 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ था। युद्ध की स्थिति में इन कामगारों की वापसी भारत के लिए एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन सकती है।
लाल सागर पर व्यापार संकट
तनाव का असर अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार पर भी पड़ सकता है। लाल सागर भारत के लिए यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका से व्यापार करने का अहम मार्ग है। यदि इस क्षेत्र में अशांति होती है, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिसका असर भारत के आयात-निर्यात पर भी पड़ेगा।