ट्रम्प की जीत का भारत पर प्रभाव क्या होगा

punjabkesari.in Thursday, Oct 31, 2024 - 06:00 AM (IST)

वैश्विक भू-राजनीति के बदलते समीकरणों में, अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम का भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। चाहे डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी हो या उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की ऐतिहासिक जीत, परिणाम भारत-अमरीका संबंधों की दिशा को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करेगा। अगले अमरीकी राष्ट्रपति का चीन के प्रति कठोर रुख अपनाना लगभग तय है, जो आर्थिक उपायों, गठबंधनों और तकनीकी प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करेगा। अमरीकी हितों की रक्षा के लिए व्यापार नीतियां, जिसमें शुल्क और प्रतिबंध शामिल हैं, को लागू किया जा सकता है, साथ ही चीनी आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता को कम करने के प्रयास भी किए जाएंगे। क्वाड गठबंधन को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर, में सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने से चीन के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित किया जा सकेगा। 

तकनीकी प्रतिस्पर्धा प्रमुख भूमिका निभाएगी, जिसमें अमरीकी नवाचार में निवेश और चीन को निर्यात पर प्रतिबंध शामिल हैं। अंत में, सीमित जलवायु सहयोग के बावजूद, मानवाधिकार संबंधी मुद्दे शायद विवाद का एक महत्वपूर्ण विषय बने रहेंगे।

ट्रम्प की जीत : आक्रामक द्विपक्षीयता का जारी रहना? : डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति ‘अमेरिका फस्र्ट’ पर आधारित रही है, जिसमें बहुपक्षीय सांझेदारी की बजाय , अक्सर लेन-देन आधारित कूटनीति को प्राथमिकता दी गई है। अगर ट्रम्प फिर से ओवल ऑफिस में लौटते हैं, तो भारत को निम्नलिखित बातों की अपेक्षा करनी चाहिए। ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल व्यापार घाटे को संतुलित करने पर अधिक जोर दे सकता है। पहले स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए टैरिफ ने भारतीय निर्यात को प्रभावित किया था, लेकिन ट्रम्प के द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की प्राथमिकता भारत के लिए नई वार्ताओं के अवसर खोल सकती है। 
भारत को अपने निर्यात और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ाने के लिए ट्रम्प की कठिन वार्ताओं की शैली के अनुरूप ढलना होगा। उनकी टैरिफ नीति अमरीकी कृषि उत्पादों पर भारतीय टैरिफ को कम करने के लिए चर्चा का कारण बन सकती है, जिसे ट्रम्प अमरीका की विकास कुंजी मानते हैं।

रक्षा और रणनीतिक सांझेदारी : ट्रम्प के कार्यकाल में भारत के साथ रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं, जिससे बड़े रक्षा समझौते और ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड गठबंधन के तहत सुरक्षा सहयोग का विस्तार हुआ है। 
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए, ट्रम्प का दूसरा प्रशासन चीन के खिलाफ एक संतुलन के रूप में भारत की भूमिका का समर्थन करना जारी रख सकता है।
बड़ी सैन्य संलिप्तता के प्रति ट्रम्प की अनिच्छा भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा स्वतंत्रता के हित में हो सकती है, जिससे संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा तकनीकी हस्तांतरण में वृद्धि हो सकती है।

इमीग्रेशन और H-1BH वीजा मुद्दे : ट्रम्प के पहले कार्यकाल में इमिग्रेशन एक मुख्य मुद्दा था, जिसमें उनके प्रशासन ने ॥-१क्च वीजा अनुमोदनों में महत्वपूर्ण कमी की, जिससे भारतीय पेशेवरों को नुकसान हुआ। ट्रम्प की दूसरी जीत का मतलब सख्त इमिग्रेशन नीतियां हो सकता है, जो भारत के कुशल श्रमिकों की आवाजाही को बाधित कर सकती हैं। इससे भारतीय तकनीकी क्षेत्र प्रभावित हो सकता है, जो अमरीकी बाजार तक पहुंच के लिए ॥-१क्च पर निर्भर है। हालांकि, आर्थिक सांझेदारी में ट्रम्प की रुचि को देखते हुए, भारत अपने कुशल श्रमिकों के लिए विशेष वीजा श्रेणियों पर बातचीत कर सकता है।

मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दे : ट्रम्प ने भारत के साथ मानवाधिकार एजैंडे को आगे नहीं बढ़ाया है, विशेष रूप से कश्मीर या आंतरिक धार्मिक नीतियों जैसे मुद्दों पर। एक दूसरा कार्यकाल इस गैर-हस्तक्षेप दृष्टिकोण को जारी रख सकता है।-के.एस. तोमर
 


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