अजेय दिखने वाली चीनी सेना अब हो चुकी ‘खोखली’

punjabkesari.in Tuesday, Jun 23, 2020 - 03:41 AM (IST)

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पी.एल.ए.) इतनी खोखली हो चुकी है कि वह भारत से टक्कर नहीं ले सकती। अब इसमें इतना दम नहीं रहा कि युद्ध लडऩे में माहिर भारतीय सेना से टकरा सके। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सी.पी.सी.) के तहत चीनी नेतृत्व को धोखे की कला में महारत हासिल है। 

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की निगरानी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी जब बख्तरबंद गाडिय़ों के काफिले, मिसाइल यूनिट्स की गर्जना और हैलीकाप्टर की गडग़ड़ाहट के बीच मार्च करती है तो ऐसा लगता है कि यह सेना अजेय है। मगर असल में पी.एल.ए. रेगिस्तान में नजर आने वाले एक मिराज की तरह है, जो दिखता कुछ और है तथा वास्तव में है कुछ और। पी.एल.ए. भीतर ही भीतर कमजोर पड़ रही है। 35 साल तक लागू रही वन चाइल्ड पालिसी और भ्रष्टाचार ने उसे खोखला कर दिया है।  50 के दशक में कोरियाई युद्ध के दौरान पी.एल.ए. जिसने एक बार महान अमरीकी जनरल डगलस मैकारथर की सेना पर अपने आपको श्रेष्ठ समझा था, को वियतनामियों द्वारा धूल चटा दी गई थी। 

वियतनामियों का दावा था कि जब चीन ने आक्रमण किया तो उन्होंने पी.एल.ए. के 62,500 जवान मारे और 550 गाडिय़ां तबाह कर डाली थीं। इस शॄमदगी के बावजूद चीनी सेना ने सुधार नहीं किया। माओ के बाद गद्दी संभालने वाले देंग शियाओ पिंग के कार्यकाल में भ्रष्टाचार किसी दीमक की तरह पी.एल.ए. को खोखला करता चला गया। रियल एस्टेट से लेकर बैंकिंग और टैक्नोलॉजी तक पी.एल.ए. एक लग्जरी वस्तु बन चुकी है। 

पाकिस्तानी सेना के साथ उसका इसीलिए इतना मेलजोल है क्योंकि दोनों सेनाओं को भ्रष्टाचार लग्जरी की लत लग चुकी है। 2012 में शी जिनपिंग ने जब सत्ता संभाली तब तक पी.एल.ए. की दशा बेहद खराब हो चुकी थी। चीनी सेना के हाल का अंदाजा इस बात से लगाइए कि शी को सैंट्रल मिलिट्री कमीशन के 2 वाइस चेयरमैनों को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। उनमें से एक जनरल पर घूसखोरी के आरोप थे। जिनपिंग ने पी.एल.ए. की पूरी चेन ऑफ कमांड को बदलते हुए 100 से अधिक जनरलों को बाहर निकाल दिया था। इससे उनके इतने दुश्मन बन गए कि सत्ता में बने रहने के लिए जिनपिंग को अपनी पकड़ मजबूत करनी पड़ी। 

चीनी सेना भ्रष्टाचार और हेकड़ी में तो सबसे आगे है मगर वह सीधी लड़ाई से बचती है। 2017 में डोकलाम में यही कुछ हुआ था। जब भारत, चीन और भूटान के ट्राई जंक्शन पर भारतीय सेना ने पी.एल.ए. को दबाना शुरू कर दिया था। अब गलवान में फिर से चीन की किरकिरी हुई है। 16 बिहार रैजीमैंट के कर्नल संतोष बाबू और उनके जवानों ने पी.एल.ए. को पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर कब्जा करने से रोका। अगर चीन का कब्जा यहां पर हो जाता तो वह दौलतबेग ओल्डी बेस तक जाने वाली सप्लाई लाइन को कभी भी ध्वस्त कर सकता था। भारतीय वायुसेना आवश्यकता के अनुसार हवा में अपने प्रभुत्व के लिए तैयार हो रही है। जगुआर आई.एस. के एक-दो स्क्वाड्रन और 2000 एच लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन चीन को टक्कर देने के लिए परमाणु मिशन में रखे गए हैं। 

ज्यादातर चीनी एयरफील्ड कश्मीर तथा लद्दाख को अपना निशाना बना रहे हैं। होटान, ल्हासा नगरी गुमसा तथा शीगेज भारतीय वायुसेना हमलों के निशाने पर हैं। अनुमानित 270 लड़ाकुओं तथा 68 ग्राऊंड अटैक एयरक्राफ्ट की तुलना में पी.एल.ए. अपने पश्चिमी थिएटर कमान के तहत केवल 157 लड़ाकू विमानों को ही स्थापित कर सकती है। इसके अलावा कुछ ड्रोनों को भी वह स्थापित कर सकती है। चीन का जे-10 फाइटर तकनीकी रूप से भारत के मिराज-2000 से तुलनात्मक दृष्टि से सही बैठता है। भारतीय एस.यू.-30 एम.के.-1 चीनी फाइटरों से ज्यादा प्रभावी है। इसमें जे-11 तथा एस.यू.-27 मॉडल भी शामिल है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटीज बैलफर सैंटर फार साइंस एंड इंटरनैशनल अफेयर्स के शोध के अनुसार, 2020 वास्तव में 1962 के युद्ध के अपमान से एक अलग ही खेल है। पी.एल.ए. इस बात से भली-भांति परिचित है।-लै.ज. चेरिश मैथसन (सेवानिवृत्त) (एस.एम., वी.एस.एम., पी.वी.एस.एम.)


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