विपक्ष कश्मीर के विकास में सहयोग दे

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 03:42 AM (IST)

इतने वर्षों से भारत अनुच्छेद 370 का दंश झेल ही रहा था। पता नहीं मोदी किस मिट्टी से बना है? डर तो उसमें है ही नहीं।  आलोचनाओं की उसे परवाह ही नहीं। उद्देश्य कुछ भी रहा हो, विरोधियों ने जाने क्या कुछ कहा पर मोदी ने नोटबंदी करके ही छोड़ी। एक बार जो मोदी ने ठान लिया, जी.एस.टी. लागू करके ही छोड़ा।

तीन तलाक का बिल तीन बार दोनों सदनों में फेल हुआ परन्तु मोदी ने तीन तलाक बिल को पास करा कर ही दम लिया और आज जिसे असंभव समझते थे उसे भी पास करा कर ही सांस ली। जो ठान लिया सो करके दिखा दिया। आगे बढऩे वाले बिजली या तूफानों से कब डरते हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि मोदी के साथ अमित शाह आ मिले। सोने पे सुहागा। साहस से बढऩे वालों के मस्तक पर भाग्य स्वयं टीका लगाता है। विश्व राजनीति के पुरोधा जम्मू-कश्मीर के जिस अनुच्छेद 370 को हटाना असंभव मानते थे, मोदी ने एक झटके से हटा दिया। 

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती महबूबा का कथन देशवासी स्मरण कर लें, ‘‘यदि केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का प्रयत्न किया तो कश्मीर हिन्दुस्तान का हिस्सा नहीं रहेेगा।’’ जम्मू-कश्मीर तो तीन काल तक भारत का रहेगा। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि 370 हटेगी तो कश्मीरियत आईडैंटिटी खत्म हो जाएगी। कश्मीरियत आईडैंटिटी कायम रखना भारत का धर्म है। भारत कश्मीर को अपना भव्य मुकुट समझता है। भला हम कश्मीरियत को क्यों मिटाएंगे? कश्मीर घाटी के सभी राजनीतिक दल और उनके नेता भली प्रकार विचार कर लें कि उनके अधिकार भारत में ही सुरक्षित हैं। भारत के लोकतंत्र से ही उनका भला है। अन्यथा पाकिस्तान के हालात पर नजर दौड़ा लें। राष्ट्रपति भी वहां जेल में और प्रधानमंत्री भी। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान भीख का कटोरा लिए देश-विदेश में घूम रहे हैं। सारी दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद की मां कह रही है। 

केन्द्र सरकार का अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि न्याय संगत भी है। आखिर अनुच्छेद 370 का विशेषाधिकार क्यों? जब इस देश की लगभग 600 देसी रियासतें हिन्दुस्तान का अटूट हिस्सा हैं तो जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 का प्रावधान क्यों? कश्मीरी भाइयो और बहनो, तनिक अंतर्मन से सोचो। भावनाओं के आवेश से फैसला न करें। तनिक सोचो अखंड भारत में: 

(क) एक देश में दो विधान, दो निशान क्यों? तिरंगा हम सब का राष्ट्रीय ध्वज। जम्मू-कश्मीर में हल्के निशान वाला लाल रंग का झंडा, तिरंगे के साथ क्यों? इंडियन पीनल कोड सारे देश में लागू है तो जम्मू-कश्मीर में रणवीर पीनल कोड क्यों? सिर्फ अनुच्छेद 370  के कारण। अब मोदी के साहसिक फैसले से जम्मू-कश्मीर में सिर्फ तिरंगा, सिर्फ इंडियन पीनल कोड। 
(ख) देश के 29 प्रांतों  की विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छ: साल क्यों? सिर्फ अनुच्छेद 370 के कारण।
(ग) यदि केन्द्र सरकार का प्रत्येक वैधानिक, सैद्धांतिक कानून देश की सभी राज्य सरकारों को मान्य हो तो जम्मू-कश्मीर की सरकार विधानसभा स्वीकृति-अस्वीकृति का अडंग़ा क्यों खड़ा करे? सिर्फ इसलिए कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का प्रावधान लागू है।
(घ) अजब विडम्बना है कि जम्मू-कश्मीर की लड़की स्टेट से बाहर शादी कर ले तो तुरन्त उसके सभी पैदायशी अधिकार समाप्त। भला क्यों? अन्य स्टेट की लड़की यदि जम्मू-कश्मीर में ब्याही जाती है तो तत्काल उसे जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं? तो इसकी तह में अनुच्छेद 370 ही है।
(ङ) 1947 के बाद जो शरणार्थी पाकिस्तान से उजड़ कर जम्मू-कश्मीर मेें आकर बस गए, आज तक उन्हें वोट डालने का वैधानिक और मौलिक अधिकार नहीं था। उनके परिवारों के लिए जम्मू-कश्मीर में कोई सरकारी नौकरी नहीं। सोचो क्यों? क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था।
(च) पत्थरबाजों के लिए सरकारी नौकरी है परन्तु देशभक्त नागरिकों के लिए सरकारी नौकरी नहीं। यह विरोधाभास क्यों? क्योंकि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर में लागू था।
(छ) आतंकवाद की इस अंधेरी में आज तक 41880 मासूम लोगों की जानें जा चुकी हैं, अनेकों भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं, परन्तु कश्मीर घाटी का मुसलमान फिर भी ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे गुंजायमान कर रहा है। क्यों? क्योंकि अनुच्छेद 370 की आड़ में वे सब स्वयं को भारतीय मानते ही नहीं।
(ज) आतंकवाद केे आका, हुर्रियत कांफ्रेंस के तथाकथित नेताओं के अपने बच्चे विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आतंकवाद के नाम पर करोड़ों रुपए विदेशी बैंकों में भेज रहे हैं और गरीब कश्मीरी मुसलमान नौजवानों को आतंकवादी बनाया जा रहा है। हवाला के जरिए करोड़ों रुपए प्राप्त कर आतंकवाद की ट्रेङ्क्षनग दी जा रही थी। आई.एस.आई. के झंडे खुलेआम लहराए जा रहे थे। ‘हिन्दुस्तान तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह’ जैसी गालियां भारत को दी जा रही थीं। क्यों? क्योंकि दफा 370 का कलंक विद्यमान था।

(झ) सभी जानते हैं कि भारत के कुल बजट का 50 प्रतिशत कश्मीर पर खर्च होता है और इस बजट का  बड़ा भाग अफसरशाही की जेबों में चला जाता है। कश्मीर की गरीब जनता दो जून की रोटी को मोहताज है। जम्मू-कश्मीर की नई पीढ़ी को भारत से पैदायशी नफरत है। क्यों? क्योंकि अनुच्छेद 370 को वहां का नौजवान अपनी ढाल समझता था।
(ञ) कश्मीर घाटी के असली मालिक कश्मीरी पंडितों को एक षड्यंत्र के तहत वहां से निर्वासित कर दिया गया और एक इस्लामिक स्टेट जम्मू-कश्मीर को बनाने की योजना को सिरे चढ़ाया जा रहा था? क्यों? क्योंकि कश्मीर घाटी का मुसलमान अनुच्छेद 370 को अपने पुरखों की जागीर समझ बैठा था। 

पर कश्मीर घाटी के आतंकवादी, पाकिस्तान परस्त लोग, आई.एस.आई. और ये पत्थरबाज जरूर कान खोल कर सुन लें कि अब दिल्ली की गद्दी पर मोदी विराजमान हैं। अमित शाह देश के गृहमंत्री हैं। पत्थरबाज जहां हैं वहीं रुक जाएं अन्यथा सेना की गोली उनके सीने के पार होगी। मोदी है तो सब मुमकिन है। जिस अनुच्छेद 370 का भय सारे देश को दिखाया जाता रहा वह मोदी ने हटा दिया है। मोदी ने  श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शहादत को अनुच्छेद 370 हटा कर सच्ची श्रद्धांजलि दी है। भारत की एकता और अखंडता की नींव अनुच्छेद 370 हटा कर पुख्ता कर दी है। 

सारा देश उत्सव-सा मना रहा है। मोदी के चिर विरोधी राजनेता राज्यसभा और लोकसभा में मोदी की पार्टी का सहयोग कर रहे हैं। देश भर के राजनीतिक दल केन्द्र सरकार की पीठ पर खड़े हो गए हैं। जो करना था, मोदी साहिब ने कर दिया। चंद्रयान चांद पर पहुंच गया है, अत: अनुच्छेद 370 पर आंसू बहा रहे दल और उनके नेता नरेन्द्र मोदी के विकास पथ पर अग्रसर हों। बीत गई सो बात गई। सभी पार्टियां, सब पार्टियों के नेता भारत के उज्ज्वल भविष्य और जम्मू-कश्मीर के विकास में जुट जाएं।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)   


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