पंजाब में नशों के संकट के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत

punjabkesari.in Thursday, Jul 12, 2018 - 03:50 AM (IST)

हाल ही में कथित तौर पर ड्रग्स की ओवरडोज लेने अथवा जाली ड्रग्स लेने के कारण हुई मौतों ने एक बार फिर पंजाब में ड्रग्स के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। जहां आधिकारिक सरकारी आंकड़े दावा करते हैं कि ड्रग्स के कारण केवल दो व्यक्तियों की मौत हुई है, वहीं विभिन्न समाचार पत्र दावा कर रहे हैं कि दो दर्जन से अधिक युवा इस कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। 

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने चुनावों से पहले घोषणा की थी कि वह ड्रग्स की लानत को खत्म करने के लिए दृढ़संकल्प हैं। यहां तक कि उन्होंने चुनावों से पूर्व गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर सौगंध खाई थी कि वह सत्ता में आने के चार सप्ताहों के भीतर इस समस्या को समाप्त कर देंगे। जहां कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करता कि इस समस्या  को चार सप्ताहों में समाप्त किया जा सकता है, वायदे में अमरेन्द्र सिंह की इस मुद्दे से निपटने के मामले में नेकनीयती भी प्रतिबिम्बित होती है। 

इतना तो पक्का है कि कुछ कदम उठाए गए हैं जिस कारण नशों के लगभग 15000 व्यापारियों तथा नशों के आदी लोगों को गिरफ्तार किया गया है मगर अभी तक किसी प्रमुख अपराधी को नहीं दबोचा गया। इसके साथ ही जहां ड्रग्स की आपूर्ति  काफी हद तक रोक दी गई है, वहीं इन कदमों का परिणाम जाली तथा अधिक खतरनाक ड्रग्स के इस्तेमाल के रूप में निकला है। हाल ही में मौतों की बढ़ी संख्या के कारण सरकार की इस मुद्दे से निपटने को लेकर सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना की जा रही है। काला सप्ताह मनाने का आह्वान किया गया था और ऐसा दिखाई देता था कि प्रदर्शन सारे राज्य में फैल जाएंगे। 

इस कारण कैप्टन सरकार को कई कदमों की घोषणा करनी पड़ी जो स्वाभाविक तौर पर एक अति प्रतिक्रिया का परिणाम है। इस डर से सरकार ने मृत्युदंड की घोषणा कर दी, यहां तक कि पहली बार अपराध करने वालों के लिए भी। इसने सभी 3.5 लाख सरकारी कर्मचारियों के डोप टैस्ट की भी घोषणा कर दी और यहां तक कि बिना प्रिस्क्रिप्शन के सिरिंजों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया। पहली बार अपराध करने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा गया है, जिसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। 

वर्तमान में लगभग 15000 दोषी तथा आरोपी जेलों में बंद हैं। उनमें से अधिकतर को ड्रग्स अथवा प्रतिबंधित दवाओं की बहुत कम मात्रा के साथ गिरफ्तार किया गया है। यदि केन्द्र पंजाब सरकार के प्रस्तावों से सहमत हो जाता है तो उन सभी को मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है। संख्या को अधिक दिखाने के लिए थोड़ी मात्रा में ड्रग्स प्लांट करने के राज्य पुलिस के रुझान को देखते हुए कोई भी कानून की ऐसी धारा के दुरुपयोग के दुष्परिणामों का अनुमान लगा सकता है।इससे पहले कि केन्द्र को भेजे गए उक्त प्रस्ताव की स्याही सूखती, राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए डोप टैस्ट करवाने की बेतुकी घोषणा कर दी। हास्यास्पद प्रस्ताव उस समय हंसी का पात्र बन गया जब मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्रिमंडल का डोप टैस्ट करवाने की मांग की जाने लगी। चुनौती स्वीकार करते हुए कुछ वरिष्ठ मंत्री ऐसा टैस्ट करवाने के लिए स्वैच्छिक तौर पर एक सरकारी डिस्पैंसरी में पहुंच गए। 

यहां यह समझना आवश्यक है कि टैस्ट इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि कोई ड्रग्स तथा नशे का आदी है। टैस्ट केवल इस बात की पुष्टि कर सकता है कि नमूने में मादक पदार्थ मौजूद हैं। उदाहरण के लिए हैरोइन का नियमित इस्तेमाल करने वाले का टैस्ट नैगेटिव आएगा यदि उसने 3-4 दिनों तक उसका सेवन नहीं किया है, मगर यदि किसी ने कफ सिरप पीया है मगर उसका या उसकी आदी नहीं है, उसका टैस्ट पाजीटिव हो सकता है। स्पष्ट तौर पर सरकार गलत मुद्दे को लेकर शोर-शराबा मचा रही है। बेशक कुछ सरकारी कर्मचारियों, विशेषकर पुलिस बल में, कुछ लोगों पर ड्रग व्यापार में शामिल होने और यहां तक कि इसके आदी होने के आरोप हैं, सभी सरकारी कर्मचारियों को टैस्ट में झोंक देने की न तो किसी ने मांग की और न ही इससे कोई उद्देश्य हासिल होगा। कभी भी ऐसा आरोप नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी ड्रग्स के आदी हैं। इसके अतिरिक्त यह अधिकारियों की प्रशासनिक क्षमताओं का भी दुखद प्रतिबिम्ब है, जो अपने ड्रग्स के आदी साथियों की पहचान नहीं कर सकते। 

सरकार स्पष्ट तौर पर गलत लक्ष्य पर निशाना साध रही है। यह सर्वविदित तथ्य है कि बहुसंख्यक ड्रग्स एडिक्ट्स बेरोजगार युवा हैं। उनमें से बहुत से पढ़े-लिखे निराश युवा हैं, जिन्हें अपना उज्ज्वल भविष्य नहीं दिखाई देता। युवाओं के इसी वर्ग को सक्रिय तथा निवारक उपायों के लिए लक्ष्य बनाया जाना चाहिए। ऐसा स्वयंसेवकों तथा स्थानीय आबादियों तथा गांवों से बुजुर्गों को शामिल करके किया जा सकता है। सम्भावित पीड़ितों की पहचान के लिए परिवारों तथा अध्यापकों के साथ काऊंसलिंग की जानी और संकट के प्रारम्भिक लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। ऐसी किसी कार्रवाई के लिए स्थिति की समझ होनी चाहिए, ईमानदारीपूर्वक तथा सहनशीलता के साथ। 

एक ऐसे राज्य के लिए यह आश्चर्य की बात है जो मादक द्रव्यों के दुरुपयोग की समस्या से गम्भीरतापूर्वक पीड़ित है कि यहां समस्या की गम्भीरता पर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया। पंजाब कई बुरे समय से गुजरा है जिनमें 1980 तथा 1990 के दशकों के दौरान आतंकवाद का खूनी समयकाल भी शामिल है जब हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी और अब यह ड्रग्स के खतरे के कारण युवाओं की एक बड़ी फसल खोने के संकट में है। इससे अत्यंत कड़ी प्रतिक्रिया की बजाय संवेदनशीलता के साथ निपटने की जरूरत है अन्यथा इसके परिणाम विपरीत हो सकते हैं।-विपिन पब्बी


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Pardeep

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