वोटरों को प्रभावित करता पैसा और नशा

punjabkesari.in Tuesday, Apr 30, 2024 - 05:12 AM (IST)

भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद  हुए चुनावों में पैसे तथा नशे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। वैश्विक स्तर पर भी इस महत्वपूर्ण कारक का प्रभाव रहा है। आम चुनाव में लोकसभा, विधानसभा के चुनाव से लेकर स्थानीय चुनाव तक उम्मीदवार पैसे और नशे की खेप से बड़े तबके से लेकर गरीब तबके के मतदाताओं को प्रभावित करते आए हैं। मतदान के ठीक 1 दिन पहले रात्रि में मजदूरों की झुग्गी-झोंपडिय़ों में मुफ्त की रेवडिय़ां, शराब की पेटियां तथा रुपयों के साथ अन्य आवश्यक सामग्रियों के वितरण द्वारा मतदाता को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है।

शराब तथा पैसों की लगातार आपूर्ति और वितरण मतदाताओं को प्रभावित करने का मापदंड बनता चला आया है। शराब एवं अन्य नशा देश के नौजवानों को मानसिक शारीरिक और आॢथक रूप से कमजोर करता रहा है तथा चुनाव के समय इस पर प्रभावी नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है इस पर एक राष्ट्रीय कानून तथा संविधान संशोधन करने की बड़ी और प्रभावी आवश्यकता है। नशे से न सिर्फ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक संरचना कमजोर होती है, बल्कि परिवार, समाज और देश के आॢथक तंत्र पर बड़ी चोट लगती है। वैश्विक स्तर पर यह माना जाता है कि विश्व का हर चौथा युवा नशे की गिरफ्त में है और उसकी सांसें नशे के नियंत्रण में ही हैं।

भारत युवा शक्ति का देश है और भारत को नशे की गिरफ्त से बचाकर एक ऊर्जावान युवा शक्ति का बड़ा केंद्र बनाना ही हमारी सार्थकता होगी। विश्वव्यापी नशे की व्यापकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 7 दिसंबर 1987 को एक प्रस्ताव पारित कर हर वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया था। यह एक तरफ लोगों को नशे के प्रति चेतना फैलाता है। वहीं दूसरी तरफ नशे की गिरफ्त में आए लोगों के उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाता है। -संजीव ठाकुर रायपुर छत्तीसगढ़


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