एक ओर नेता वातावरण बिगाड़ रहे दूसरी ओर कुछ संगठन भाईचारा बढ़ा रहे

punjabkesari.in Tuesday, Oct 13, 2015 - 02:05 AM (IST)

आज गौवध को लेकर चल रही बहस से देश का वातावरण जहरीला हो रहा है परंतु ऐसे में भी साम्प्रदायिक सौहार्द का संकेत देने वाली कुछ शक्तियां भाईचारा बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रयत्नशील हैं।  

इसका एक संकेत कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश में लखनऊ के मुसलमान दोधियों ने दिया जब उन्होंने गौवध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए गौवंश की रक्षा के लिए ‘गऊ सेवा दल’ गठित करने की घोषणा की। 
 
यू.पी. में दादरी के बिसाहड़ा गांव में जहां अभी तक कभी भी साम्प्रदायिक घटना नहीं हुई थी, एक मुस्लिम परिवार द्वारा गौमांस खाने की अफवाह के चलते हिंसा पर उतारू उपद्रवियों ने 28 सितम्बर को एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला जिससे समूचे क्षेत्र में तनाव फैल गया था पर अब स्थिति कुछ सुधरने पर यह गांव पुन: भाईचारे की मिसाल बन कर उभरा है। 
 
गांव के हकीमुद्दीन उर्फ हकीमू की 2 बेटियों रेशमा और जैतून की शादी होने वाली थी परंतु लड़के वाले शादी के लिए गांव आने को तैयार नहीं हो रहे थे। इस पर हकीमू ने शादी कहीं और जा कर करने का फैसला कर लिया  लेकिन गांव के हिन्दुओं को जब इसका पता चला तो उन्होंने पंचायत करके उसे सुरक्षा का भरोसा दिलाया जिस पर वह राजी हो गया।
 
इसी निर्णय के अंतर्गत 11 अक्तूबर को गांव के स्कूल में सुबह-सवेरे ही हिंदू भाईचारे के लोग आकर डट गए और शाम को निकाह की रस्मों के दौरान भी परिवार के साथ खड़े लोगों में हिन्दुओं की संख्या अधिक थी। हिन्दुओं ने बारातियों के भोजन आदि की तैयारी में भी सक्रिय हाथ बंटाया और कन्यादान भी जिलाधिकारी आर.के. सिंह ने किया। 
 
11 अक्तूबर को ही ऐसे ही दो उदाहरण लुधियाना में भी देखने को मिले जब भाई घनैया जी सेवा सोसायटी द्वारा आयोजित रक्तदान कैम्प में 2000 से अधिक हिन्दू, सिख, मुस्लिम व  ईसाई भाईचारे के सदस्यों ने रक्तदान किया।  
 
इसमें पंजाब के शाही इमाम हजरत मौलाना हबीबुर रहमान विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा ‘‘अल्लाह-ताअला ने सभी लोगों के खून का रंग एक जैसा बनाया है। धर्म के नाम पर रक्तपात करने वालों का एकमात्र उद्देश्य सत्ता पर कब्जा करना ही है। देश में बढ़ रही घृणा को समाप्त करने के लिए अब नेक लोगों को आवाज उठानी होगी।’’
 
इसी दिन फील्डगंज में जामा मस्जिद की पुरानी इमारत भी साम्प्रदायिक सौहार्द के मजबूत बंधनों की साक्षी बनी जब यहां अंतर्राष्ट्रीय लंगर सप्ताह के सिलसिले में ‘सिख प्रैस एसोसिएशन’ ने एक सर्वधर्म लंगर लगाया। 
 
मस्जिद की छत पर बनी सामुदायिक रसोई में लंगर पकाया गया जो मदरसे के बच्चों के अलावा विभिन्न धर्मों के लगभग 400 लोगों में बांटा गया। लंगर परोसने में मुसलमान, हिन्दू, ईसाई और सिख शामिल हुए। इस अवसर पर चारों धर्मों के नेताओं ने कहा कि उनके इस पग का उद्देश्य समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। 
 
गले में भगवा साफा डाले  और रुद्राक्ष की माला पहने हिन्दू पुरोहित पी.डी. शुक्ला के अलावा एक गिरजाघर के पादरी तथा अन्य धर्मों से जुड़े लोगों ने घूम-घूम कर  लंगर वितरण के कार्य की निगरानी की। 
 
इस समय जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता रघुवंश प्रताप सिंह (राजद), गिरिराज सिंह, साध्वी प्राची, साक्षी महाराज, (भाजपा), आजम खान (सपा), ओवैसी बंधु (ए.आई.एम.ए.आई.एम.)  आदि अपने बयानों से वातावरण बिगाड़ रहे हैं, उक्त चारों घटनाएं प्रमाण हैं कि साम्प्रदायिक शक्तियां चाहे जितना भी जोर लगा लें, देश के बुनियादी ताने-बाने में रचे-बसे एकता के ये बंधन टूटने वाले नहीं हैं।
 
‘मजहब जुदा-जुदा हैं, पर लहू तो एक है’ 
 

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