आधुनिक भारत के निर्माता थे पं. जवाहरलाल नेहरू

punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 05:11 AM (IST)

महान स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहर लाल नेहरू बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न शख्सियत थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। कई बार जेलों में गए। आजादी के बाद प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने हर क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाया, देश के अग्रणी संस्थानों की नींव रखी और उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित किया। विश्व राजनीति में जब दुनिया के अनेक देश दो महाशक्तियों के पिछलग्गू बने हुए थे, ऐसे में नेहरू ने गुटनिरपेक्षता की राह अपनाई। उन्होंने समसामयिक विषयों पर पूरी प्रखरता के साथ अपने विचार व्यक्त किए। वे एक ओजस्वी वक्ता होने के साथ-साथ ख्यातिलब्ध लेखक भी थे।

जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर,1889 को देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता मोतीलाल नेहरू व स्वरूप रानी के घर पर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। नेहरू ने घर पर पढ़ाने वाले फॢडनैंड ब्रूक्स नाम के शिक्षक का जिक्र किया है, जिनका उन पर विशेष प्रभाव पड़ा। 1905 में जवाहर लाल आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड के हैरो स्कूल में भेजे गए। 2 साल यहां पढऩे के बाद उन्होंने कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रकृति विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। इसके बाद लंदन के इनर टैंपल में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। 1912 में भारत लौटने के बाद इलाहाबाद में वकालत करने लगे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे। मार्च,1916 में नेहरू का विवाह कमला कौल के साथ हुआ। इंदिरा गांधी का जन्म 1917 में हुआ। अंग्रेजी शासन से देश को आजाद करवाने की उनमें तड़प थी। 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में वे सर्वप्रथम महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए। उसके बाद आजादी की लड़ाई में उन्होंने निरंतर सक्रिय हिस्सेदारी की और अनेक बार जेल की यात्राएं कीं। अप्रैल 1919 में रोलट एक्ट व जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध करने पर पहली बार गिरफ्तार किया गया। असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में उन्हें 6 महीने तक अलीगढ़ जेल में रहने की सजा दी गई। 

1928 में साइमन कमीशन के विरोध में प्रदर्शन करने पर लखनऊ जेल की सजा हुई। 1929 में कांग्रेस के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन का अध्यक्ष चुने जाने पर नेहरू विशेष रूप से भारतीय राजनीति में उभर कर आए।  इस अधिवेशन में संपूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई। सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। जवाहरलाल कई बार जेल गए और लगभग 9 साल अंग्रेजी हुकूमत की जेलों में बिताए। जेल में रहते हुए उन्होंने गहन अध्ययन किया और लेखन कार्य किया। विश्व इतिहास की झलक और ‘भारत एक खोज’ का बड़ा हिस्सा उन्होंने जेलों में ही लिखा। मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई ये किताबें विश्व भर में पढ़ी गईं। आजादी के बाद से 27 मई,1964 को अपने देहांत तक वे प्रधानमंत्री पद पर रहे। आजादी के साथ ही देश को विभाजन, साम्प्रदायिक मार-काट व विस्थापन की त्रासदी से जूझना पड़ा। पीड़ित लोगों के घावों पर मरहम और उजड़े लोगों को बसाने की चुनौती का सामना करते हुए उन्होंने संविधान निर्माण के साथ-साथ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं की स्थापना की। उन्होंने लोकतंत्र, न्याय, समानता और बंधुता के मूल्यों को आदर्श की तरह स्थापित किया। उनका मानना था कि लोकतंत्र केवल शासन की प्रणाली नहीं है बल्कि यह जीवन का तरीका है। 

इस दौरान उन्होंने देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की रूपरेखा रखी। देश की कृषि, उद्योगों, बांधों का निर्माण एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगशालाएं, भाभा एटॉमिक रिसर्च सैंटर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एन.सी.ई.आर.टी. सहित अनेक संस्थानों की शुरूआत हुई। नेहरू विज्ञान को राष्ट्र की प्रगति का आधार मानते थे। उनका मानना था कि केवल विज्ञान से ही भूख और गरीबी की समस्याओं को हल किया जा सकता है। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समाज का हिस्सा बनाने पर जोर दिया। वे राजनीति में धर्मनिरपेक्षता को सबसे महत्वपूर्ण मानते थे। वे मानते थे कि राजनीति में धर्म और धर्म में राजनीति देश की एकता को खंडित कर सकती है। 

उनके मन-मस्तिष्क में भारतमाता का स्वरूप स्पष्ट था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विभिन्न सभाओं में जब लोग भारत माता की जय बोलते थे तो नेहरू उन्हें बताते थे कि देश का आम जन ही भारत माता है और सभी लोगों के आगे बढऩे से ही देश आगे बढ़ेगा। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे स्पष्ट थे कि देश को भूख, गरीबी, सामाजिक बुराईयों व साम्प्रदायिकता से आजादी मिलने पर ही देश आजाद होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगारी व मानवीय गरिमा से ही सच्ची आजादी आएगी। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने इस आजादी के ख्याल को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की। विश्व राजनीति में गुटनिरपेक्षता और पंचशील के सिद्धांत देकर विश्व शांति और विश्व बंधुत्व की राह प्रशस्त की। उन्होंने पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता के विरूद्ध आजीवन संघर्ष किया। डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार,‘‘जवाहरलाल नेहरू हमारी पीढ़ी के एक महानतम व्यक्ति थे। वह एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे,  जिनकी मानव-मुक्ति  के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता-संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका अंशदान -अरुण कुमार कैहरबा


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