पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कितनी देर टिकेगा युद्ध विराम
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 05:05 AM (IST)
आखिरकार गत दिनों अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक सप्ताह तक चले युद्ध का कतर और तुर्की के हस्तक्षेप से अंत हो गया। अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच यह अब तक का सबसे भयावह युद्ध था। इसमें पाकिस्तान के हमलों व अफगानिस्तान द्वारा पाकिस्तान पर जवाबी हमले से दर्जनों लोगों की मौत हुई। अफगानिस्तान के अनुसार पाकिस्तान के हमलों से 3 क्रिकेट खिलाडिय़ों सहित उसकी सिविलियन आबादी मरी है जबकि इस्लामाबाद का कहना है कि उसने केवल आतंकियों को निशाना बनाया।
पाकिस्तान के लिहाज से दोनों देशों में युद्ध विराम की खुशी जल्दी ही खत्म हो गई जब कतर सरकार ने संभवत: तालिबान के दबाव के अधीन अपने पहले बयान को बदल कर अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव समाप्त करने संबंधी उल्लेख हटा कर पाकिस्तान को उलझन में डाल दिया। हालांकि फिलहाल अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान में युद्ध विराम हो गया है, परंतु दोनों देशों में अभी भी पश्तून समस्या तथा डूरंड लाइन जैसे मुद्दे फंसे हुए हैंं। डूरंड लाइन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लगभग 2640 किलोमीटर लम्बी सीमा है जो 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच स्थापित की गई थी। इसका नाम ब्रिटिश भारत के तत्कालीन विदेश सचिव ‘सर हैनरी मोर्टिमर डूरंड’ के नाम पर रखा गया था।
इसका पश्चिमी छोर ईरान सीमा से तथा पूर्वी छोर चीनी सीमा से मिलता है। यह अफगानिस्तान की आपत्तियों के कारण 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संघर्ष का महत्वपूर्ण कारण बनी हुई है। पाकिस्तान तो इसे स्वीकार करता है परंतु अफगानिस्तान के शासकों का कहना है कि वे तो इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। हाल ही में अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब के डूरंड लाइन को लेकर दिए एक बयान ने इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया है। अत: हो सकता है कि इसे लेकर दोनों देश आपस में फिर उलझ जाएं।
आजकल पाकिस्तान अपना कूटनीतिक झंडा हर जगह गाड़ रहा है, परंतु इसके सर्वाधिक करीबी अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की शायद न बने क्योंकि अफगानिस्तान का कहना है कि पख्तून वाला आधा इलाका उसका है जो पाकिस्तान कभी भी अफगानिस्तान को देना स्वीकार नहीं करेगा। पाकिस्तान तथा अफगान तालिबान के बीच डूरंड लाइन तथा पश्तून समस्या के निपटारे बिना स्थायी शांति का स्थापित होना असंभव ही दिखाई देता है।
