पाकिस्तान के ‘फ्लाइंग टैरर’ बने ड्रोन

punjabkesari.in Friday, Jul 02, 2021 - 06:08 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ  24 जून को वार्ता के बाद संभावित कदमों पर गंभीर विचार करने के लिए जब भारतीय नेताओं ने कवायद शुरू की तो 27 जून को तड़के ज मू स्थित वायु सेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्रों में ड्रोन्स द्वारा विस्फोटक उपकरण (आई.ई.डीज) गिराए जाने के बाद देश का ध्यान इस अत्यंत परेशान करने वाले घटनाक्रम की ओर मुड़ गया। इस घटना को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के आकाशीय आतंकी औजार के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है। 

यह कोई रहस्य नहीं कि गत 2 वर्षों से अधिक समय के दौरान पाकिस्तान ने हथियारों, गोला-बारूद तथा नशों की भारतीय क्षेत्र में तस्करी के लिए आमतौर पर ड्रोन्स का इस्तेमाल किया है। उनका इस्तेमाल आकाशीय जासूसी के लिए भी किया जाता है। चूंकि ड्रोन कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, तकनीकी तौर पर वर्तमान राडार प्रणाली उन्हें पकड़ नहीं सकती। इससे हमारे सुरक्षा अधिष्ठानों पर प्राथमिक आधार पर रक्षा उपायों का काम करने के समक्ष एक बड़ी चुनौती पैदा होती है। 

क्या मोदी सरकार इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में कहीं न कहीं धीमी थी? हम इस बारे में सुनिश्चित नहीं हो सकते क्योंकि सुरक्षा उपाय आमतौर पर गोपनीयतापूर्वक, लोगों की नजर से बच कर किए जाते हैं। भारत निश्चित तौर पर एक उच्च तकनीक शक्ति है और प्रशासन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तकनीकी कार्यबल तथा प्रोफैशनल कुशलता में उच्च दर्जे के कारण वैश्विक ध्यान आकॢषत किया है। फिर भी प्रणाली में बदलावों पर प्रतिक्रिया देने में हम या तो अपने दृष्टिकोण में ढीलेपन अथवा प्रतिक्रिया देने में सुस्ती का आभास देते हैं।

आज के सुरक्षा उपायों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इन्हें पूरे तौर पर भू-राजनीतिक हकीकतों, आॢथक ताकत, नेतृत्व गुणवत्ता, आधुनिक हथियारों तथा औजारों के साथ-साथ सामयिक रणनीतिक प्रोजैक्शन के तौर पर देखा जाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय हितों तथा सुरक्षा की आधारभूत जरूरतों के साथ तालमेल रखा जा सके। कुछ चुस्त जनरल होना ही काफी नहीं है, न ही चुङ्क्षनदा तौर पर चीजों को देखने के लिए इंदिरा गांधी तथा वाजपेयी जैसे लोग पर्याप्त हैं। जरूरत है सुरक्षा के विश्वसनीय संस्थानों की उचित कार्यप्रणाली जिसे वैकल्पिक रणनीतिक नीतियां, जमीनी हकीकतों के आलन के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन विकसित करने की। 

इस संदर्भ में यह कहा जाना चाहिए कि हमें अपनी सुरक्षा चिंताओं का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। हमें निजी तथा राजनीतिक बाध्यताओं से ऊपर उठने की जरूरत है। इस मामले में राष्ट्रवाद किसी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं है। सुरक्षा के मामलों में हमारी एक ताॢकक समन्वित सोच तथा दृष्टिकोण होना चाहिए। यह अवश्य कहना चाहिए कि गत वर्ष नवंबर में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर पाकिस्तान से ऐसी नीची उडऩे वाली चीजों, जिनमें यू.ए.वी. तथा ड्रोन शामिल हैं, द्वारा हथियारों तथा अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति के ‘गंभीर परिणामों’ बारे जानकार करवाया था। 

पंजाब के मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में खतरे बारे में विस्तार से लिखते हुए अपने 21 नव बर 2020 के पत्र में इससे निपटने के उपायों की जरूरत को रेखांकित किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इसी मामले पर चर्चा करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री से विभिन्न हितधारकों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने को कहा था ताकि ड्रोन के खतरे की समीक्षा तथा ढांचागत संरचनाओं की स्थापना संबंधी रणनीतियों पर पुनॢवचार किया जा सके, जैसे कि राडार जो इस तरह के हवाई उपकरणों की गतिविधियों का पता लगा सकें। 

मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह द्वारा उठाए गए ड्रोन संबंधी सभी मामलों को मोदी सरकार द्वारा गंभीरतापूर्वक लेने की जरूरत है। अभी तक भारत ने ड्रोन हमले बारे किसी देश को दोष नहीं दिया है जिसमें भारतीय वायुसेना के दो कर्मी घायल हो गए थे। यहां तक कि सेना ने भी ज मू के कालूचक्क सैनिक क्षेत्र के ऊपर 2 ड्रोन देखे हैं। त्वरित प्रतिक्रिया दलों ने उन पर गोलियां बरसाईं जिसके बाद ड्रोन्स दूर उड़ गए। इस घटना से शिक्षा स्पष्ट है-सुरक्षा की गुणवत्ता के मद्देनजर सेनाओं के लिए एक अति सक्रिय रणनीति अपनाने की जरूरत है। 

हमें निरंतर यह दिमाग में रखना चाहिए कि पाकिस्तान आधारित तत्वों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल हमारी ङ्क्षचताओं का प्रमुख कारण होना चाहिए। यद्यपि तकनीक आधारित सभी समाधानों को तलाशा जा रहा है, यह देखा गया है कि सीमांत क्षेत्रों में एंटी ड्रोन जैमर्स प्रभावी नहीं हैं। हालांकि ऐसे हमलों से बचने के लिए उन्हें सुरक्षा-संवेदनशील संस्थानों पर तैनात किया जा सकता है। 

हालांकि यह जानकर खुशी हुई कि मोदी सरकार ड्रोन की चुनौती को गंभीरतापूर्वक ले रही है। दरअसल ड्रोन के खतरे को समाप्त करने के लिए इस तरह की गतिविधियों का पहले से पता लगाया जाना आवश्यक है। नई दिल्ली को सतर्क रहना होगा अन्यथा ड्रोन गलत हाथों में जा सकते हैं।-हरि जयसिंह


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