चीन निश्चित तौर पर अब ‘प्यारा’ नहीं रहा

punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 05:49 AM (IST)

जब तक चीन और इसकी 1.4 बिलियन से ज्यादा आबादी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा निर्दयी और हृदयहीन क युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना, जोकि 1 जुलाई को अपनी शताब्दी मना रही है, की चाकरी में रहेगी तब तक चीन की प्यारी और नम्रता वाली छवि हाथ में आने वाली नहीं है।

शी जिनपिंग जोकि 2012 से चीन के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं (पहले सी.पी.सी. के महासचिव और उसके बाद राष्ट्रपति) ने चीन के पड़ोसी देश भारत सहित पूरे विश्व के खिलाफ एक परहेज करने वाली आक्रामकता की नीति का अनुसरण किया है। मगर ऐसा कम ही देखा गया है। उनके दिल में बदलाव को एक रणनीतिक बदलाव कहा जा सकता है। जोकि सन तजु की ‘युद्ध की कला’ तथा चेयरमैन माओ जेडांग की सैन्य लेखन की राह पर थे। 

शी जिनपिंग ने अपने आकाओं की तरह आक्रामक रक्षा छल की पारंपरिक चालों को लागू करने की कोशिश की जोकि ‘2 कदम आगे, एक कदम पीछे’ की नीति पर आधारित  थीं। हमें क युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सी.पी.सी.) की नई रणनीति के पीछे क्या है उसको खोजना है। क्या चीन के राजनयिक और सैनिक वास्तव में अपनी बहुप्रचलित ‘भेडिय़ा योद्धा’ (वुल्फ वॉरियर) रणनीति को छोड़ कर एक नया पैंतरा बदल सकते हैं? संभावना नहीं है। ‘प्यारे’ और ‘विनम्र’ जैसे कुछ आकर्षक शब्द हान योद्धाओं को भगवान बुद्ध के प्यार, गुण, पवित्रता और दया में नहीं बदल सकते। कलिंगा युद्ध के बाद अशोक ने शांति के प्रसार का दायित्व लिया था। क्या शी जिनपिंग सही में बौद्ध धर्म, शांति के धर्म को राजनयिक भेडिय़ों के साथ पूरे विश्वभर में  प्रसार कर सकते हैं? 

जैसा कि वह कहते हैं कि दान घर से शुरू होता है और इसलिए क्या शी जिनपिंग शिनजियांग, तिब्बत, ताईवान तथा हांगकांग में प्रेम और एकजुटता के अपने नए मंत्र के साथ एक नई शुरूआत कर सकते हैं? क्या इसके प्रभाव को लद्दाख में देखा जा सकता है? वुहान मूल के वायरस के कारण चीन के इरादों और साजिशों का पर्दाफाश हो गया है जिसने पूरे ग्रह की जनसां ियकी को तबाह करके रख दिया है। चीनी लोग (विशेषकर हान) मानते हैं कि बाकी दुनिया बर्बर है और चीन एकमात्र स यता है। 

इस प्रकार उन्हें चीन के अधीन होने की आवश्यकता है। उन्हें पेइङ्क्षचग दरबार के समक्ष झुकना चाहिए। जिन लोगों को धमकाया नहीं जा सकता उन्हें जमीन, समुद्र और साइबर स्पेस पर पी.एल.ए. की लगातार बढ़ती ताकतों द्वारा जीत लिया जाना चाहिए। चीन की सेना अपना जाल फैला रही है। चीन का उद्देश्य विदेशी राजनेताओं को नकदी या वस्तुओं का लालच देकर और ‘प्यारे’ चीन की छवि के साथ हर तरह से मीडिया में हेर-फेर करके विदेशों में हरसंभव रणनीतिक स पत्ति खरीदना है। 

एक देश का उदाहरण इन बातों को प्रदॢशत करेगा। यूनाइटेड किंगडम विशेष तौर पर सी.पी.सी. के आवांछित ध्यान का एक विशेष लक्ष्य है। चीनी निवेशकों ने यूके के कारोबार, मूलभूत ढांचे, संपत्ति तथा अन्य परिस पत्तियां जोकि करीब 135 बिलियन पौंड की बनती हैं, जमा कर रखे हैं। 2019 से 200 चीनी निवेश में से 80 से ज्यादा  को खोला गया। यह ऐसा समय था जब लंदन और पेइचिंग के बीच तनाव बढऩा शुरू हो गया था। न्यू स्टेटस मैन ने जुलाई 2020 में एक रिपोर्ट में कहा कि कमजोर नियमों ने चीन को ब्रिटिश न्यूक्लियर पावर, तेल, स्टील, जल तथा परिवहन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी मिली। ईस्ट एशियन क पनी ऑफ चाइना पुरानी ईस्ट इंडिया क पनी का बदला ले रही थी। 

सी.पी.सी. का लंदन पर आॢथक, व्यापारिक हमला एक स्पष्ट चुनौती है। ‘चीनी आ रहे हैं’ यह अब एक नारा नहीं रहा। वास्तविकता यह है कि चीनी अब हर कोने-कोने में आ गए हैं। विश्व के सभी राष्ट्रों को इस खतरे की घंटी को भांपना चाहिए क्योंकि यह चीनी हमला वास्तविक है। कुछ राष्ट्र तो जागना शुरू हो गए हैं और उन्होंने चीनी वायरस से अपने आप को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।  अब विदेशियों को ‘बैल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ आकॢषत नहीं कर रहा और कई तो चीन को चुनौती देना शुरू कर चुके हैं। 

इससे शी जिनपिंग की बड़ी योजनाओं को एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसीलिए शी जिनपिंग चीन को एक प्यारा राष्ट्र बनाने में लगे हुए हैं।  नई दिल्ली में शी के राजदूत सू वीडांग ने भारत से आग्रह किया है कि, ‘‘आएं हम एक साथ चलें और एक-दूसरे के साथ न भिड़ें। एक अन्य समाचार में पता चला है कि चीनी स्कैम धोखेबाजों ने 5 लाख भारतीयों से करोड़ों ऐंठे हैं। वहीं, भारत-बंगलादेश सीमा पर एक चीनी जासूस और अपराधी पकड़ा गया है।’’-अभिजीत भट्टाचार्य
 


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