रूस को धकेलकर मध्य एशिया के केंद्र में आ रहा चीन

punjabkesari.in Tuesday, Dec 27, 2022 - 06:04 AM (IST)

मध्य एशिया का शक्ति संतुलन लगातार बदलता जा रहा है, जहां पर चीन हावी हो रहा है और पहले से लुप्त हो रहा रूस का दबदबा खत्म होने के कगार पर है। यूक्रेन-रूस युद्ध के शुरू होने के बाद बीजिंग अपना प्रभाव यूरेशिया में बढ़ा रहा है, लेकिन रूस के प्रभाव के कम होने के कारण जो अवसर चीन को मध्य एशिया में मिले हैं उनका चीन फायदा उठा पाता है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि इस समय मध्य एशिया में अनिश्चितता का वातावरण बनता जा रहा है। 

वर्ष 2022 की यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 का नकारात्मक असर पांचों मध्य एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था पर पड़ा है, ये पांचों देश किर्गिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान अभी तक इसकी जद से बाहर नहीं निकल पाए हैं। ये पांचों अर्थव्यवस्थाएं मजबूती दिखा रही हैं और यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2022 में इस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 4.3 की गति से और अगले वर्ष 2023 में 4.8 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ेगी। 

रूस के सैन्य रूप में कमजोर पडऩे से चीन ने मध्य एशिया में अपने लिए सुअवसर देखा लेकिन इस क्षेत्र में फैली अनिश्चितता चीन के लिए परेशानी का कारण बन सकती है, जनवरी 2022  में कजाखस्तान में सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन हुए थे लेकिन जब तक चीन अपनी फौज भेजने के बारे में सोचता रूसी सैनिकों ने कजाखस्तान पहुंच कर हालात को अपने कब्जे में ले लिया था, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे चीन की हार के रूप में देखा जा रहा था। 

वहीं अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में तालिबान दोबारा सत्ता में आया और इस्लामिक अमीरात  ऑफ अफगानिस्तान की स्थापना कर दी, इसके बाद वहां पर मानवाधिकारों की भयंकर अवहेलना होने लगी, वहां पर इस्लामिक आतंकियों द्वारा एक बेस बनाकर मध्य एशिया को अस्थिर बनाने के प्रयासों के साथ स्थानीय जनसंख्या के जीने-मरने का प्रश्न खड़ा हो गया। इसमें विशेष तौर पर इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान की गतिविधियां तेज रहीं जिसने चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर हमला किया। 

वहीं दूसरी तरफ चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बैल्ट एंड रोड के लिए भी  मध्य एशिया में अस्थिरता उसके लिए सही नहीं है, शायद इसलिए शी जिनपिंग ने कोरोना महामारी के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा कजाखस्तान से शुरू की थी और वापसी में वह उज्बेकिस्तान के समरकंद में भी गए थे, यह शंघाई सहयोग संगठन को मजबूत करने की तैयारी थी। चीन की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरूआती भाषण में शी जिनपिंग ने मध्य एशिया की शांति और स्थायित्व में शंघाई सहयोग संगठन की भूमिका का समर्थन किया था। 

मध्य एशिया में अपनी पकड़ बनाने के लिए चीन  हाल ही में किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान को जोडऩे के लिए एक रेलवे नैटवर्क पर फिर से काम शुरू कर रहा है, इसके साथ ही एक दूसरी रेलवे लाइन भी बना रहा है जो किर्गिस्तान से ताजिकिस्तान तक जाएगी, इसे आगे बढ़ाते हुए ईरान तक चीन ले जाना चाहता है जिससे चारों तरफ से भूमि से घिरे इन देशों को समुद्र तक जाने का रास्ता मिले। साथ ही अपने बी.आर.आई. परियोजना से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती भी कर रहा है, ये सुरक्षाकर्मी पूर्व में पी.एल.ए. के अधिकारी और सैनिक रह चुके हैं, जानकार कहते हैं कि इनकी मदद से चीन इन देशों में धीरे-धीरे घुसपैठ कर रहा है और समय आने पर इनके राजनीतिक गलियारों तक अपनी आसान पहुंच बना लेगा। 


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