भाजपा अब मुस्लिम महिलाओं को अपना ‘वोट बैंक’ बनाने की तैयारी में

punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2018 - 02:26 AM (IST)

तीन तलाक विधेयक के हाल ही में लोकसभा में पारित होने से इतराई हुई भाजपा अब संभवत: एक नए वोट बैंक की संभावनाओं की टोह ले रही है। यह वोट बैंक है मुस्लिम महिलाएं। 

पार्टी महाराष्ट्र में मुस्लिम महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के संबंध में शिक्षित करने हेतु राज्यव्यापी यात्रा शुरू करने जा रही है। भाजपा ने महाराष्ट्र के 30 जिलों से संबंधित 150 मुस्लिम महिला एक्टीविस्टों को प्रशिक्षित करने हेतु 17 और 18 फरवरी को मुम्बई के बाहरी क्षेत्रों में स्थित आर.एस. प्रायोजित बौद्धिक प्रतिष्ठान ‘रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी’ में शिविर आयोजित किया था। प्रशिक्षण सत्रों दौरान महिलाओं को तीन तलाक विधेयक के विभिन्न प्रावधानों तथा मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं की हालत सुधारने के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ पार्टी, सरकार और समाज को मोटे रूप में दरपेश अन्य मुद्दों पर जानकारी दी गई। 

उसके बाद ये एक्टीविस्ट 4 मार्च से पूरे प्रदेश में फैल जाएंगे और महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सार्वजनिक बैठकें आयोजित करेंगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राव साहेब दानवे भी संभवत: इन बैठकों में उपस्थित रहेंगे। भाजपा का यह प्रयोग उत्तर प्रदेश से प्रेरित है, जहां मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इसे काफी मात्रा में वोट हासिल हुए थे और भाजपा का मानना है कि ये वोट मुख्य तौर पर मुस्लिम महिलाओं की ओर से दिए गए थे। 2011 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र की कुल 11.23 करोड़ आबादी में से 11.54 प्रतिशत यानी कि 1.29 करोड़ मुस्लिम हैं। उपरोक्त कार्यक्रम की पुष्टि करते हुए प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा: ‘‘हमें यह मुद्दा चुनावी राजनीति से नहीं जोडऩा चाहिए। यह तो एक ऐसा प्रयास है जिसके माध्यम से पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच बनाकर मोदी सरकार द्वारा उनके कल्याण हेतु उठाए गए कदमों के संबंध में उन्हें प्रशिक्षित करना चाहती है।’’ 

वैसे तीन तलाक विधेयक पारित करने के पीछे भाजपा के इरादों को लेकर मुस्लिम महिला एक्टीविस्टों में मतभेद है। उनका मानना है कि भाजपा इस विधेयक का लाभ लेने का प्रयास कर रही थी। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सह संस्थापक नूरजहां नियाज कहती हैं : ‘‘मुस्लिम महिलाओं के मुद्दे पर राजनीति कोई नई बात नहीं। यहां तक कि 1986 में कांग्रेस ने भी मुस्लिम महिलाओं के मामले में राजनीति खेलते हुए शाहबानो को इन्साफ नहीं मिलने दिया था। बल्कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुर में सुर मिलाया था। ऐसे लोग अब भाजपा को किस मुंह से दोष दे सकते हैं? 1986 की तुलना में अब की बार फर्क केवल इतना है कि महिलाओं की सुनवाई हो रही है और उनके विचारों का संज्ञान लिया जा रहा है।’’ 

मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकत्री रजिया पटेल कहती हैं : ‘‘भाजपा मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों में मतभेद पैदा कर रही है और इस तरह मुस्लिम महिलाओं में अपना वोट आधार तैयार कर रही है। वह मुस्लिम महिलाओं को उनके अपने ही भाइयों, बेटों और पतियों के विरुद्ध खड़ा कर रही है। भाजपा और हिन्दुत्व की शक्तियां मुस्लिम पुरुषों की ऐसी छवि बनाने का प्रयास कर रही हैं, जैसे वे कोई शैतानी शक्ति हों, जिनका काम मुस्लिम महिलाओं के मुद्दों का अपहरण करना ही है।’’-मकरंद गाडगिल


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