‘भाजपा एक अनियंत्रित हाथी की तरह, हम (शिवसेना) महावत हैं’

punjabkesari.in Friday, Feb 17, 2017 - 12:33 AM (IST)

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे आजकल रैलियों तथा बैठकों में काफी व्यस्त हैं और इसका उनकी सेहत पर असर पड़ा है। मगर  डाक्टर की सलाह के बावजूद वह अपने कदम पीछे नहीं खींचना चाहते। गत दिवस फुर्सत के पलों में उन्होंने अपनी पुरानी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस के खिलाफ अपनी लड़ाई बारे बात की। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ 20 वर्ष पुराना गठबंधन तोडऩे के बाद उन्हें अच्छा लग रहा है और वह राहत महसूस कर रहे हैं। 

यह पूछने पर कि उन्होंने भाजपा के साथ अपना गठबंधन क्यों तोड़ा, ठाकरे ने बताया कि वह भाजपा सरकार से निराश हो गए हैं। एक ऐसा समय आ गया था जब हमें निर्णय लेना था कि उनके साथ चलें या नहीं। हम महाराष्ट्र के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। पहले अटल बिहारी वाजपेयी तथा लाल कृष्ण अडवानी भाजपा के चेहरे थे। अब पार्टी में कालानी जैसे गुंडे नेता हैं, जिन्हें पार्टी के पोस्टरों में मोदी तथा शाह के साथ स्थान मिलता है। 

मुझे लगता है कि एक समय ऐसा आएगा जब हम सुनेंगे कि दाऊद (इब्राहिम) बुढ़ापे की वजह से मर गया क्योंकि यदि वह भारत लौटना चाहता तो उसे भाजपा में शामिल होना पड़ता। ठाकरे ने कहा कि उन्हें भाजपा नेताओं के साथ दाऊद को देख कर कोई हैरानी नहीं होगी। इसलिए हमें सोचना पड़ा कि किस पार्टी के साथ चलें और इसी कारण  हमने गठबंधन तोड़ दिया। 

भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने बारे उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब एक हाथी अनियंत्रित हो जाता है तो उसे काबू करने के लिए एक अच्छे महावत की जरूरत होती है। भाजपा भी अब एक अनियंत्रित हाथी की तरह है और हम(शिवसेना) महावत हैं। तो क्या इसका अर्थ यह हुआ कि इस हाथी (भाजपा) के साथ आप सरकार का कार्यकाल पूरा करेंगे, इस प्रश्र के उत्तर में ठाकरे ने कहा कि हम इसे नियंत्रित करने का प्रयास करेंगे। यह पूछने पर कि सरकार को नोटिस पीरियड कितनी देर तक चलेगा, ठाकरे ने कहा कि उन्होंने फडऩवीस को पत्र लिख कर किसानों के कर्ज माफ करने की मांग की है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में किसानों के कर्ज माफ करने तथा ब्याज दरों में राहत देने का वायदा किया है, तो महाराष्ट्र के किसानों को क्यों नहीं? देखते हैं वे कब उत्तर देते हैं। अन्यथा हम नोटिस पीरियड के बारे में सोचेंगे। 

ठाकरे ने बताया कि भाजपा के साथ ब्रेकअप करने के बाद उन्हें राहत  महसूस हो रही है। यदि वह भाजपा के साथ अपने संबंध नहीं तोड़ते तो उनका चित्र भी (पोस्टरों पर) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपाध्यक्ष अमित शाह तथा पप्पू कालानी (उल्हास नगर से पूर्व विधायक तथा 1990 के  घनश्याम भटीजा मामले के आरोपी, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया था)  के साथ दिखाई देता है। उन्हें राहत है कि कालानी के साथ शामिल नहीं होना पड़ा जो इस समय जेल में हैं। 

भाजपा बी.एम.सी. चुनावों में पारदर्शिता को मुद्दा बनाकर प्रचार कर रही है जिसका आप विरोध कर रहे हैं। आप क्यों इसके खिलाफ हैं? इसके उत्तर में ठाकरे ने बताया कि वह निश्चित तौर पर पारदर्शिता के खिलाफ नहीं हैं। दरअसल केन्द्र सरकार द्वारा प्रकाशित आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि प्रति व्यक्ति आय, पारदर्शिता तथा जवाबदेही के मामले में मुंबई पहले स्थान पर है। यह रिपोर्ट हमने या बी.एम.सी. ने प्रकाशित नहीं की है। यह भाजपा की  केन्द्रीय सरकार की रिपोर्ट है। इस सूची में पुणे भी है। मगर मुख्यमंत्री  के शहर नागपुर का इस रिपोर्ट में जिक्र भी नहीं किया गया। इससे कोई क्या अर्थ निकालेगा? 

ठाकरे ने कहा कि जब फडऩवीस ने मुंबई की तुलना पटना से की थी  तो उन्हें हैरानी हुई और उन पर गुस्सा भी आया था। मुंबई किसी भी अन्य शहर से कहीं अधिक प्रगतिशील है, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि पटना  पिछड़ा हुआ शहर है। पटना का भी  रिपोर्ट की सूची में जिक्र है। फडऩवीस ने मुंबई तथा पटना दोनों का अपमान किया है। केन्द्र सरकार को दिए जाने वाले कर में मुंबई का हिस्सा सबसे अधिक होता है। इस वर्ष केन्द्र सरकार ने हमारे नागरिकों की जेब से विभिन्न करों के रूप में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक एकत्रित किए और बदले में हमें क्या मिला? कुछ नहीं। मेरी मांग है कि मुंबई  को हमारे कर संग्रह  में से 25 प्रतिशत हिस्सा मिले। इससे मुंबई को विकास कार्यों पर खर्च करने में मदद मिलेगी। 

ठाकरे ने बताया कि फडऩवीस और वह अच्छे मित्र हैं और दोनों के बीच अच्छे संबंध हैं। अन्य राज्यों में चुनाव लडऩे बारे ठाकरे ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उनकी पार्टी  सारे देश में फैल गई थी ताकि हिन्दू वोटों को विभाजित होने से रोका जा सके। उन्होंने कभी भी अन्य राज्यों में चुनाव लडऩे का प्रयास नहीं किया। अब हमने गोवा तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में चुनाव लडऩे का निर्णय किया है जहां अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि प्रत्येक राज्य में स्थानीय क्षेत्रीय दलों का अपना एजैंडा  तथा स्व-महत्व के मुद्दे हैं। हम उन्हें साथ लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई  के चुनाव उनकी पहली प्राथमिकता है।

विमुद्रीकरण के चुनावी मुद्दा बनने बारे ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने काला धन नियंत्रित करने बारे कहा था, मगर नोटबंदी का लोकसभा चुनावों के दौरान कोई वायदा नहीं किया गया था। इससे किसे कष्ट हुआ? केवल आम जनता तथा गरीब लोगों को। हमने किसी  अमीर व्यक्ति को कतार में खड़े अथवा अपने खून-पसीने की कमाई लेने के लिए  इंतजार में मरते नहीं देखा। यहां तक कि  मोदी उद्योगपतियों तथा व्यावसायिक घरानों से बकाया भी नहीं वसूल सके।              


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