कृषि कानून वापसी :  मोदी ने दिखाया कि वह किसान विरोधी नहीं

punjabkesari.in Monday, Dec 06, 2021 - 04:41 AM (IST)

प्रधानमंत्री द्वारा देश में कृषि क्षेत्र के व्यापक कल्याण और विकास के लिए तीन कृषि कानून लाए गए थे, जिनका उद्देश्य बड़े निवेश, प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को आकर्षित करना था। राष्ट्रविरोधी ताकतें, जो विदेश से प्रायोजित थीं और जिन्हें इसके लिए पैसा मिल रहा था, किसान आंदोलन को पटरी से उतारने तथा भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुक्सान पहुंचाने के अपने नापाक इरादों का फायदा उठाने पर तुली हुई थीं। 

आई.एस.आई से वित्त पोषित संस्थानों, जैसे ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ से धन प्राप्त करने वाले एजैंटों और संगठनों द्वारा चलाई जा रही ‘गलत सूचना’ की मुहिम जंगल की आग की तरह तेजी से फैल गई थी। हालांकि, एक सच्चे राजनेता की तरह, प्रधानमंत्री ने कृषि कानून वापस लिए और स्वीकार किया कि वे कृषक समुदाय को कृषि कानूनों के महत्व के बारे में समझा पाने में असफल रहे। 

कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए गुरुपर्व के शुभ अवसर को चुनकर प्रधानमंत्री ने मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा राज्य के आंदोलनकारी किसानों से जुडऩे की ईमानदार कोशिश की। यहां तक कि राजनीतिक विरोधी भी, जो अब कृषि कानूनों पर ओछी राजनीति कर रहे हैं, कृषि क्षेत्र को पुराने तौर-तरीकों से बाहर निकालने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की हंसी नहीं उड़ा सकते। 

पहले दिन से ही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से गरीबों, दलितों, पिछड़े समुदायों, महिलाओं, बच्चों और किसानों यानी अन्नदाताओं के कल्याण के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। शासन के सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ का पालन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कानून निरस्त करके अब ‘सबका विश्वास’ जीतने की कोशिश की है। 

अब जबकि 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर- में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक विरोधी उनके द्वारा राष्ट्रीय हित में उठाए गए हर प्रगतिशील कदम की आलोचना करने को बाध्य हैं। ये विरोधी, जिनके पास केंद्र सरकार के खिलाफ निशाना साधने लायक मुद्दों का अभाव है, इन कदमों के भारत के व्यापक हित में होने के बावजूद अब किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर उन्हें आंदोलन जारी रखने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। 

केंद्र सरकार ने जी.एस.टी., आयुष्मान भारत, जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, अनुच्छेद 370 का निरसन, पी.एम.ए.वाई., नोटरी पब्लिक द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन की जरूरत को समाप्त करना आदि जैसे कई छोटे और बड़े महत्वपूर्ण सुधार एवं पहलें की हैं। 

पी.एम.-किसान का दायरा बढ़ाकर इसमें लगभग 80 प्रतिशत किसानों को शामिल करने से लेकर कृषि बजट को पांच गुणा तक बढ़ाने तथा किसानों के लिए ऐतिहासिक पैंशन योजना लाने तक, खेती को आधुनिक बनाने, उसका उन्नयन करने और उसे लाभकारी एवं समय के अनुकूल बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास जारी हैं। वर्ष 2019 में पी.एम.-किसान के शुभारंभ के बाद से लेकर अब तक कुल 11.42 करोड़ किसान परिवारों को 1.59 लाख करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। 

मोदी सरकार ने 2014 से कृषि के लिए बजट आबंटन में अभूतपूर्व वृद्धि की है। कृषि विभाग के लिए बजट आबंटन 2013-14 में 21,933.50 करोड़ रुपए से 5.5 गुणा से अधिक बढ़ाकर 2021-22 में 1,23,017.57 करोड़ रुपए कर दिया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) के कार्यान्वयन के पिछले पांच वर्षों के दौरान 29 करोड़ किसान आवेदकों को इसमें शामिल किया गया और 8.63 करोड़ से अधिक (अनंतिम) किसान आवेदकों को 1,00,292 करोड़ रुपए से अधिक (अनंतिम) के दावे प्राप्त हुए हैं। 

प्रधानमंत्री ने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद एक समिति का गठन किया जाएगा, जो विभिन्न मांगों के समाधान के बारे में एक सहमति बनाने के लिए विस्तृत चर्चा करेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पहले से ही हर साल बढ़ रहा है, इसलिए इससे संबंधित दुष्प्रचार कहीं भी टिकता नहीं। सरकार ने 2018-19 से देशव्यापी भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत की वापसी के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) में वृद्धि की है। 

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से बताया कि कृषि सुधार और किसानों का कल्याण उनकी प्राथमिकता है। फसल वर्ष 2020-21 के दौरान, सरकार ने 11,99,791.65 मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद की, जिसका एम.एस.पी. मूल्य 6,742.98 करोड़ रुपए है तथा इससे 23 अक्तूबर, 2021 तक 7,02,424 किसानों को लाभ हुआ। 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 1000 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। 21 अक्तूबर, 2021 तक 1.71 करोड़ से अधिक किसानों और 1.94 लाख व्यापारियों को ई-नाम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। 

विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाले कृषि-बागवानी उत्पादों की आवाजाही के लिए किसान रेल की शुरूआत की गई है। पहली रेल जुलाई 2020 में शुरू की गई थी। अक्तूबर 2021 तक 119 रूटों पर 1375 सेवाओं का संचालन किया जा चुका है। कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को 2013-14 के 7.3 लाख करोड़ रुपए को 2021-22 में 16.5 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत लगभग 11.97 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड नि:शुल्क जारी किए गए हैं। 

इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने नए 10,000 एफ.पी.ओ. के गठन और संवर्धन के लिए एक नई केंद्रीय योजना स्थापित की, जिसके तहत अब तक 1482 एफ.पी.ओ. पंजीकृत हो चुके हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के प्रति बूंद अधिक फसल (पी.एम.के.एस.वाई.-पी.डी.एम.सी.) घटक के तहत वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक 57.30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है और लगभग 51 लाख किसान सूक्ष्म सिंचाई सुविधा से लाभान्वित हुए हैं। 

नाबार्ड के सहयोग से 5,000 करोड़ रुपए की सूक्ष्म सिंचाई निधि तैयार की गई है। 2021-22 के बजट में निधि की राशि को बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। 12.83 लाख हैक्टेयर को कवर करते हुए 3,970.17 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। 2014-15 से सितम्बर 2021 की अवधि के दौरान कृषि मशीनीकरण के लिए 5,490.82 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई है। किसानों को सबसिडी पर 13,24,733 मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। 

पिछले कुछ वर्षों में रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी फसलों का उत्पादन सत्तारूढ़ भाजपा के किसान समर्थक एजैंडा का प्रमाण है। खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 के 265.05 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में रिकॉर्ड 308.65 मिलियन टन हो गया है, जो अब तक का सबसे अधिक है। परम्परागत कृषि विकास योजना (पी.के.वी.वाई.) 2015-16 में देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इसके तहत 30,934 क्लस्टर बनाए गए हैं और 6.19 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जिससे 15.47 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। 

राष्ट्रीय खाद्य तेल-पाम तेल मिशन (एन.एम.ई. ओ.-ओ.पी.) को 11,040 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है। एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (ए.आई.एफ.) की शुरुआत के एक वर्ष के भीतर, इस योजना के माध्यम से 7,891 से अधिक परियोजनाओं के लिए देश में 8,000 करोड़ रुपए का कृषि बुनियादी ढांचा तैयार किया गया। इसलिए, इस निरस्तीकरण को सुधारों के एजैंडे पर एक पूर्णविराम घोषित करना जल्दबाजी में निकाला गया और पूरी तरह से गलत निष्कर्ष है। ‘रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म एंड परफॉर्म’ नरेंद्र मोदी सरकार का मंत्र है और यह लगातार कायम रहेगा।  

प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री  जी को पत्र के माध्यम से यह चिंता भी व्यक्त की है कि जिन लोगों पर आंदोलन करते हुए केस दर्ज हुए हैं उनको वापस लिया जाए और एम.एस.पी. पर कानून बनाने की प्रक्रिया एवं जो शहीद हुए हैं उनके बारे में भी सरकार चिंता करे।-मंजीत सिंह जीके वरिष्ठ सिख नेता एवं पूर्व अध्यक्ष, डी.एस.जी.एम.सी.


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