क्या सच में E20 फ्यूल से घट रही है कार की परफॉर्मेंस? जानिए पूरी सच्चाई
punjabkesari.in Sunday, Aug 31, 2025 - 07:39 PM (IST)

नेशनल डेस्कः हाल ही में बाजार में E20 फ्यूल की उपलब्धता तेजी से बढ़ी है, जो 20% एथनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण है। इस नए फ्यूल को लेकर कई वाहन मालिकों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे कार की परफॉर्मेंस और माइलेज प्रभावित हो रही है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि माइलेज में मामूली गिरावट हो सकती है, लेकिन यह बेहद सीमित है और वाहन की वॉरंटी या बीमा पर कोई असर नहीं पड़ता। वहीं, किसानों और ग्रामीण इलाकों को आर्थिक लाभ मिलने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे बड़ा फायदा हो रहा है।
गाड़ी की माइलेज पर प्रभाव
SIAM के कार्यकारी निदेशक पी. के. बनर्जी ने बताया कि ईंधन की प्रकृति के कारण माइलेज में थोड़ी कमी आती है, लेकिन यह गिरावट 2 से 4 प्रतिशत तक सीमित है। उन्होंने कहा, "हमने जिन भी गाड़ियों का परीक्षण किया, उनमें माइलेज में 20 से 50 प्रतिशत की कमी होने के दावे पूरी तरह गलत हैं। यह एक गलत सूचना फैलाने का प्रयास है।"
वॉरंटी और बीमा पर कोई प्रभाव नहीं
पी. के. बनर्जी ने बताया कि E20 में पेट्रोल के मुकाबले ऊर्जा की मात्रा केवल 6 प्रतिशत कम होती है, क्योंकि एथनॉल का कैलोरी मान पेट्रोल की तुलना में 30-35 प्रतिशत कम होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि E20 ईंधन के इस्तेमाल से वाहन की वॉरंटी या बीमा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ARAI के निदेशक रेजी मथाई ने 2016 और 2021 में किए गए अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि जांच में गाड़ियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है और वे E20 ईंधन के साथ पूरी तरह ठीक काम कर रही हैं।
किसानों और ग्रामीण इलाकों को फायदा
फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री के सलाहकार पी. एस. रवि ने कहा कि एथनॉल के मिश्रण से ग्रामीण इलाकों में खुशहाली आई है और किसानों की आमदनी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि केवल 2025 में किसानों को एथनॉल खरीद के लिए 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कार्यकारी उपाध्यक्ष विक्रम गुलाटी ने कहा कि एथनॉल मिलाने के फायदे को व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। यह विदेशी मुद्रा की बचत करता है, जिससे भारत के चालू खाता घाटे पर सकारात्मक असर पड़ता है। गुलाटी ने बताया, "जो पैसा पहले कच्चे तेल के आयात के लिए विदेश भेजा जाता था, अब वह किसानों के पास जा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और वे ज्यादा खर्च कर सकेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।"