बेखौफ अपराधी : तिहाड़ जेल से करते हैं रंगदारी की कॉल

punjabkesari.in Monday, Feb 18, 2019 - 03:36 AM (IST)

सभी जानते हैं कि जेल ऐसी जगह है जहां अपराधियों को अपने किए की सजा भुगतने के लिए भेजा जाता है। इनका एक मकसद अपराधियों को सुधारना भी है और यह भी अपेक्षा की जाती है कि यहां बंद होने की कल्पना से भी आदमी सिहर उठे। हालांकि, देश की अधिकतर जेलों के हालात इससे एकदम विपरीत हो चुके हैं। 

देश की सबसे बड़ी तथा सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल तो जैसे अपराधियों के लिए एक ऐसी आरामगाह बन चुकी है जहां पहुंच तथा पैसे के बल पर अपराधी पूरी अय्याशी ही नहीं करते, वहीं बैठे-बैठे अपने हर तरह के गैर-कानूनी धंधे भी जारी रखे हुए हैं। गत दिनों तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को पैसे और पहुंच के बल पर हर तरह की सुख-सुविधा मिलने का खुलासा एक जांच में हुआ था। इसके बाद स्थिति को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत थी परंतु हाल ही में दिल्ली के एक व्यापारी ने जो शिकायत पुलिस को दी है, उससे स्पष्ट है कि अपराधियों की मनमानी और धंधे जेल से बदस्तूर जारी हैं। 

कहने को तो कितने ही कुख्यात गिरोहों के गुर्गे और मुखिया वहां सालों से बंद हैं परंतु वहां बैठे-बैठे ही वे बेहद आसानी से वसूली के लिए फोन पर लोगों को धमका रहे हैं और मांग पूरी न होने पर उन्हें तथा उनके परिवार वालों को जान से मार देने की धमकियां तक दे रहे हैं। दिल्ली के एक व्यापारी की शिकायत के अनुसार उसके ऑफिस में भरी दोपहर 15 गुंडों ने धावा बोल कर 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगी। इतना ही नहीं, उसे धमकाने के लिए उन्होंने बाकायदा व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल करके तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात नीरज बवाना गैंग के खास गुर्गे तथा शार्प शूटर राहुल काला से बात करवाई, जिसने उसे लगातार गालियां देते हुए पैसे न देने पर उसे व उसके परिवार को खत्म करने की धमकी दी।

व्यापारी ने पुलिस को इसकी सूचना दी जिसके बाद उसे अनजान नम्बरों से व्हाट्सएप मैसेज आए जिसमें से एक में लिखा था कि ‘अब बताओ तुम क्या चाहते हो।’ पुलिस ने उसे सुरक्षा का आश्वासन तो दिया है परंतु हैरानी की बात है कि तिहाड़ में मोबाइल जैमर लगे होने के बाद भी वहां से कैदी कैसे आसानी से कॉल कर सकते हैं। यह पहली बार नहीं है कि नीरज बवाना गिरोह ने तिहाड़ जेल से रंगदारी का धंधा जारी रखा है। साल 2015 में भी इस गिरोह के जेल से ही उगाही करने तथा व्यापारियों को धमकियां देने के मामले सामने आए थे। दिसम्बर, 2018 में पुलिस ने तिहाड़ में बंद गैंगस्टरों प्रदीप सोलंकी तथा मंजीत महल के एक सहयोगी को दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टर से 1 करोड़ रुपए की रंगदारी के लिए धमकियां देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 11 दिसम्बर को बंदूकों से लैस 5 बदमाशों ने उसके अस्पताल में घुस कर खुलेआम धमकियां दी थीं। इसके बाद सोलंकी के गिरोह के गुर्गे ने फोन पर उसे रंगदारी देने के लिए धमकाया था जिसके बाद उसने पुलिस के पास शिकायत की। 

इतना ही नहीं, तिहाड़ में बंद अनेक गिरोहों के अपराधियों में वर्चस्व की लड़ाई भी जारी रही है और मौका मिलते ही अन्य गैंग के सदस्यों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है। मार्च 2017 में जेल में हुई गैंगवार में दो गुटों के 17 कैदी गम्भीर जख्मी हो गए थे जब उन्होंने एक-दूसरे पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया था। कहा जाता है कि तिहाड़ में इन गिरोहों का इतना भय है कि इन सभी के पास मोबाइल व ड्रग्स भी आसानी से पहुंच जाते हैं। कहा तो यहां तक गया है कि कई कुख्यात अपराधियों के भय की वजह से उनसे जेल में काम भी नहीं लिया जाता। ऐसे में प्रश्न उठता है कि पुलिस तथा प्रशासन अपराध कम करने के लिए हर कोशिश करने के दावे तो करते हैं परंतु जब जेलों में बंद कैदियों पर ही उनका वश नहीं हो तो बाहर खुले घूमने वाले अपराधियों पर वे भला कैसे काबू पा सकते हैं। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News