अमरीका में ‘गोरों’ और ‘कालों’ के बीच बढ़ रहा खूनी टकराव

punjabkesari.in Sunday, Jul 10, 2016 - 01:26 AM (IST)

अमरीका के वर्जीनिया में पहला अफ्रीकी 1619 में लाया गया था और इसके बाद इन्हें देश के विभिन्न भागों में बसाने का सिलसिला शुरू हुआ। अमरीका में 1619 से 1865 तक जो अफ्रीकी बंदी रहे हैं उन्हीं की संतानें अब अमरीका में ‘अफ्रीकी-अमरीकी’ के रूप में जानी जाती हैं।

 
इन ‘काले गुलामों’ से कुछ साल काम करवाने के बाद गोरे उन्हें भगा देते थे और उन पर ‘कब्जा’ करने के लिए अन्य गोरों में होड़ शुरू हो जाती थी। धीरे-धीरे अमरीका में यह ‘गुलाम प्रथा’ इस कदर जोर पकड़ गई कि अमरीका के मैसाचुसेट्स में इसे कानूनी रूप दे दिया गया। 
 
अमरीका के प्रथम राष्टपति अब्राहम लिंकन ने देश में इस ‘गुलाम प्रथा’ को समाप्त करने के लिए भरसक प्रयास किए परंतु आज भी वहां ‘अफ्रीकी कालोंं’ की स्थिति दयनीय ही बनी हुई है। 
 
इसीलिए अमरीका में काले गुलामों के व्यापार तथा उनके साथ होने वाले भेदभाव की याद दिलाने के लिए वहां प्रतिवर्ष फरवरी के महीने में ‘ब्लैक हिस्ट्री मंथ’ का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है। 
 
4 जुलाई को गोरी पुलिस ने  लुइसियाना में ‘एल्टन स्टॄलग’ नामक काले  युवक को मार डाला और फिर 6 जुलाई को मिनेसोटा के उपनगर सेंट पॉल में एक गोरे पुलिस अधिकारी ने कार में अपनी गर्लफ्रैंड और बच्ची के साथ बैठे एक अन्य काले युवक ‘फिलांदो कास्टाइल’ को गोली मार दी। मृतक ‘फिलांदो कास्टाइल’ की गर्लफ्रैंड ने इसका वीडियो फेसबुक पर डाल दिया जिससे अमरीका के ‘अफ्रीकी कालों’ में असंतोष भड़़क उठा। 
 
इन दोनों घटनाओं के विरोध में टैक्सास के डल्लास  (dallas) में ‘कालों के जीवन का भी मोल है’ शीर्षक से चलाए गए अभियान के अंतर्गत 7 जुलाई रात को लगभग 1000 ‘अफ्रीकी-अमरीकन’ कालों ने प्रदर्शन किया।
 
इस दौरान प्रदर्शनकारियों की गोलियों से 5 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई तथा 7 अन्य घायल हो गए। अमरीका के इतिहास में पुलिस के लिए यह सर्वाधिक खूनी दिनों में से एक बताया जा रहा है। 
 
डल्लास के पुलिस प्रमुख ‘डेविड ब्राऊन’ के अनुसार इस संबंध में 3 संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया गया है। पुलिस की गोलीबारी में मारे गए एक संदिग्ध हमलावर ने मरने से पहले कहा कि वह गोरे लोगों को मारना चाहता था और उसके निशाने पर विशेष रूप से गोरे पुलिस अधिकारी ही थे। 
 
पकड़ा गया एक हमलावर ‘मिकाह जेवियर जानसन’ अमरीकी सेना की ओर से अफगानिस्तान के युद्ध में हिस्सा ले चुका है और पुलिस के हाथों कालों की मौतों को लेकर सख्त नाराज है। ‘मिकाह जेवियर जानसन’ का कहना है कि उसने अकेले ही अपने दम पर हमला किया है जबकि पुलिस का मानना है कि इस हमले में एक से अधिक बंदूकधारी शामिल थे। 
 
अमरीका के राष्टपति बराक ओबामा के अनुसार ‘‘यह हमला नस्लीय भेदभाव का प्रतीक है और इससे सभी अमरीकियों को विचलित होना चाहिए। यह सिर्फ कालों की समस्या नहीं है बल्कि सभी अमरीकियों की समस्या है और यह हम सबके लिए गंभीर चिंता का विषय है।’’ 
 
स्वयं कुछ समय पूर्व ओबामा स्वीकार कर चुके हैं कि अमरीका में कुछ पुलिस कर्मी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी माना था कि देश में कानून लागू करने वाले अधिकारियों और काले लोगों में तनाव की स्थिति दशकों से चली आ रही है जो धीरे-धीरे वहां की पुलिस द्वारा कालोंं पर किए जाने वाले भयावह अत्याचारों की ओर बढ़ रही है।
 
ऐसी घटनाओं से जहां अमरीका जैसे शक्तिशाली देश के भी तीसरी दुनिया के अशांत देशों वाली हालत में पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है, वहीं अमरीकी समाज में हथियारों की आसानी से उपलब्धता भी इन घटनाओं का एक बड़ा कारण मानी जा रही है। 
 
यही नहीं, वहां के पुलिस बल अपनी जान और नौकरी बचाने की चिंता में अधिक आक्रामक होते जा रहे हैं जिससे लोगों के मन में शंका उठने लगी है कि सारी दुनिया को ‘नसीहतें’ देने वाला अमरीका खुद शांति और सह-अस्तित्व के रास्ते से भटक रहा है। 

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