पाक तस्कर नशीले पदार्थ भेजने के लिए अब गोताखोरों की मदद लेने लगे

punjabkesari.in Thursday, Oct 12, 2017 - 05:59 PM (IST)

पंजाब स्थित पाकिस्तान की सीमा से देश में नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी तथा घुसपैठ का सिलसिला एक महारोग बन चुका है जिसे किसी सीमा तक समाप्त करने में बी.एस.एफ. को अब कुछ सफलता मिलनी शुरू हुई है। नशों के लिए बदनाम पंजाब के लिए यह राहत की बात है कि इस वर्ष सीमा पार से हैरोइन की आपूर्ति में कमी आई है और यही रुझान कायम रहने पर हो सकता है कि इस वर्ष पिछले 6 वïर्षों का रिकार्ड टूट जाए। 

उल्लेखनीय है कि पिछले 6 वर्षों के दौरान 2014 के समूचे वर्ष में सर्वाधिक 361 किलोग्राम हैरोइन जब्त की गई थी, वहीं इस वर्ष अब तक मात्र 167 किलोग्राम हैरोइन ही जब्त हुई है। पाक से हैरोइन आपूर्ति में यह कमी गत वर्ष से बी.एस.एफ. द्वारा अपनाई गई ‘शूट ऑन साइट’ नीति के कारण आई है। पाकिस्तान से हैरोइन की आपूर्ति सीमा पर सक्रिय कैरियरों के माध्यम से होती है तथा पंजाब में बैठे आपूर्तिकत्र्ता इसे देश के दूसरे हिस्सों के अलावा विदेश भी भेजते हैं। एक ओर तो बी.एस.एफ. द्वारा सतर्कता बढ़ाने से भू-मार्ग से हैरोइन की आपूर्ति में कमी आई है, दूसरी ओर तस्करों ने (जल मार्ग द्वारा) सीमा पार करने के लिए ‘प्रशिक्षित स्कूबा गोताखोरों’ का अब इस्तेमाल शुरू कर दिया है। 

उन्होंने तस्करी के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर फिरोजपुर, गुरदासपुर और अमृतसर सैक्टरों में 35 किलोमीटर लम्बे जल मार्ग से पकड़ में आए बिना पानी के नीचे ‘ग्लाइडिंग’ का सहारा लेना शुरू कर दिया है। बी.एस.एफ. पर पंजाब में 553 कि.मी. भारत-पाकिस्तान सीमा की निगरानी करने की जिम्मेदारी है जिसमें लगभग 35 कि.मी. जल मार्ग है। पिछले 3 वर्षों के दौरान जवानों द्वारा सैंकड़ों करोड़ रुपए मूल्य के 729 कि.ग्रा. नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं जिनमें अधिकांश मात्रा हैरोइन की है। सर्वाधिक 340 किलोग्राम बरामदगी फिरोजपुर सैक्टर से ही की गई है। 

बी.एस.एफ. अधिकारियों को पानी के नीचे से तस्करी बारे जानकारी हाल ही में एक नशीले पदार्थों के व्यापारी से हुई जिसने इस बात की पुष्टिï की कि उसकी खेप की आपूर्ति पाकिस्तान से आए हुए गोताखोरों ने की थी। बी.एस.एफ. के गुप्तचर अधिकारियों के अनुसार सम्पूर्ण स्कूबा परिधान पहने विशेष रूप से प्रशिक्षित गोताखोर सतलुज व रावी नदियों का प्रयोग कर रहे हैं। बी.एस.एफ. फिरोजपुर सैक्टर के एक वरिष्ठï अधिकारी के अनुसार, ‘‘हम बाड़ रहित नदियों के गैप को सील करने के लिए टैक्रोलॉजी सहित विभिन्न उपाय प्रयोग कर रहे हैं पर स्कूबा गोताखोर वास्तविक चुनौती सिद्ध हो रहे हैं।’’

‘‘ऐसा लगता है कि गोताखोर बुलबुलों को उभरने से रोकने के लिए ‘री-ब्रीदरों’ का इस्तेमाल कर रहे हैं और व्हाट्सएप कॉल द्वारा वे सीमा के पार अपने सम्पर्कों के साथ काफी आसानी से जुड़े रहते हैं।’’ इसके लिए वे पाकिस्तानी सिम भी भारत पहुंचा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बार्डर सिक्योरिटी फोर्स तथा अन्य एजैंसियों के अधिकारियों द्वारा सीमा पर नशीले पदार्थों की आपूर्ति पर रोक लगाने के लिए मानव रहित आकाशीय वाहन (यू.ए.वी.), लेजर दीवारों और थर्मल इमेजरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती शुरू करने के बाद ‘स्कूबा गोताखोरों’ का इस्तेमाल शुरू किया गया है।बी.एस.एफ. के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि तस्करों द्वारा अपनाए जाने वाले नए तरीके के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है जिसे वरिष्ठï अधिकारियों को भेजा गया है। 

इसी बीच बी.एस.एफ. को यह भी पता चला है कि तस्करों द्वारा भारतीय क्षेत्र में जमीनों के मालिक कुछ किसानों, जिनके खेत बाड़ के इस ओर हैं, को फुसला कर कोरियर के रूप में इस्तेमाल करने के रुझान में भी वृद्धि हो रही है। ऐसे अनेक किसानों को हाल ही में पकड़ा गया है जिन्होंने अपने कृषि औजारों में नशीले पदार्थ छिपा रखे थे। पाकिस्तानी तस्करों द्वारा जलमार्ग से नशीले पदार्थों की तस्करी के खुलासे से स्पष्टï है कि उनके इरादे किसी भी तरह अपना धंधा बंद करने के नहीं हैं। लिहाजा उनकी इस चाल की काट निकालना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान से भारत के इस भाग में नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकना असंभव नहीं तो बहुत मुश्किल अवश्य होगा और नशों से जीवन बर्बाद होने का सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा।—विजय कुमार 


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