नहीं थम रहे हरियाणा में ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराध’

punjabkesari.in Saturday, Aug 27, 2016 - 01:46 AM (IST)

देश में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की बाढ़ सी आई हुई है। हालांकि 2012 के ‘निर्भया बलात्कार कांड’ के बाद केंद्र और राज्य सरकारें कुछ सक्रिय हुई थीं तथा बलात्कार के मामले निपटाने के लिए ‘फास्ट ट्रैक’ अदालतों का गठन करने के अलावा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की त्वरित जांच-पड़ताल के लिए महिला थानों की स्थापना भी की गई परन्तु परिणाम वही ‘ढाक के तीन पात’ ही हैं। 

 
 हरियाणा की कहानी भी देश के अन्य राज्यों से भिन्न नहीं है। वहां एक वर्ष पूर्व महिला थानों की स्थापना की शुरूआत की गई थी परन्तु वहां भी महिलाओं पर अपराध लगातार जारी हैं जिनमें से कुछ निम्र में दर्ज हैं :
 
* 01 अगस्त को रोहतक में अपने ससुरालियों से तंग आकर  एक विवाहिता ने आत्मदाह कर लिया।
* 04 अगस्त को गुडग़ांव में एक महिला के यौन शोषण के आरोप में तांत्रिक और उसका  सहायक गिरफ्तार किए गए।
* 10  अगस्त को गोहाना में स्कूल से बाहर बुलाकर एक छात्रा से गैंगरेप किया गया। इसी दिन एक किशोरी को नशा देकर उसके साथ गैंगरेप हुआ।
* 11 अगस्त को सफीदों में नशीला पदार्थ पिलाकर महिला से बलात्कार हुआ और इसी दिन गोहाना में अपनी बेटी से दुष्कर्म के आरोप में उसका पिता गिरफ्तार किया गया।
* 21 अगस्त  को राई में एक छात्रा से गैंगरेप की घटना हुई। 
* 23 अगस्त  को बादशाहपुर में पड़ोसियों ने एक विवाहिता से गैंगरेप किया और इसी दिन भिवानी में एक नाबालिगा से बलात्कार किया गया। 
 
और अब 24 अगस्त को मेवात जिले के ढींग रेहड़ी में गांव के के.एम.पी. पुल के निकट खेतों में बने एक मकान में देर रात देसी पिस्तौलों से लैस 4-5 डकैतों ने हमला करके पूरे परिवार को बंधक बना लिया और एक नाबालिगा सहित 2 युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। 
 
बेटियों के पिता द्वारा दुष्कर्म का विरोध करने पर बदमाशों ने गोली मार कर उसकी हत्या करने के बाद उसकी पत्नी को भी पीट-पीट कर मार डाला और उसके 11 साल के बेटे और बुजुर्ग पिता सहित 6 लोगों की भी जमकर पिटाई करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। 
 
हालांकि राज्य में महिला पुलिस थानों की स्थापना की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर हरियाणा के आई.जी.पी. (आधुनिकीकरण) श्री अजय सिंघल ने 1 सितम्बर 2015 से 30 जून 2016 की अवधि में 2014-15 की इसी अवधि की तुलना में बलात्कार, बलात्कार के प्रयास और दहेज हत्याओं के मामलों में कमी आने की बात कही है परन्तु इस अवधि में महिलाओं के विरुद्ध गंभीर अपराधों में कमी आने की बजाय वृद्धि ही हुई है।
 
उदाहरणार्थ दहेज मौतें 199 से बढ़ कर 203, बलात्कार 842 से बढ़कर 844, बलात्कार के प्रयासों के मामले 70 से बढ़ कर 87 और तेजाब हमलों के मामले 2 से बढ़ कर 4 हो गए हैं।
 
इसी प्रकार राज्य में ‘अनैतिक व्यापार निवारण कानून’ (इमोरल ट्रैफिक-प्रीवैंशन-एक्ट 1956) के अंतर्गत दर्ज मामले 39 से बढ़ कर 64 हो गए। यही नहीं घोर लिंग असमानता से जूझ रहे इस पुरुष बहुल राज्य में लिंग जांच के पकड़े गए मामलों की संख्या भी 5 से बढ़ कर 49 हो गई है। 
 
हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मेवात की घटना को बेहद निंदनीय और जघन्य बताते हुए इसमें संलिप्त किसी भी दरिंदे को न बख्शने की बात कही है और आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए विभिन्न टीमों का गठन भी कर दिया है परन्तु ऐसा तो लगभग हर घटना के बाद ही किया जाता है तथा सरकार के बयानों तथा चेतावनियों की परवाह न करते हुए अपराधी लगातार अपने घिनौने कृत्य करते चले जाते हैं।
 
ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए बयानों की नहीं, कानून-व्यवस्था लागू करने वाली मशीनरी को चुस्त व जवाबदेह बनाने की जरूरत है ताकि अपराधियों को जल्दी से जल्दी पकड़ कर अदालत के कटघरे में खड़ा किया जा सके और अदालतें भी इन मामलों की तेजी से सुनवाई करके जल्द से जल्द फैसला सुनाकर अपराधियों को कठोरतम दंड दें जिससे दूसरों को भी नसीहत मिले।                                      
 

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