‘कैंसर ट्रेन’ निलंबित होने से ‘कैंसर पीड़ितों को हो रही परेशानी’

punjabkesari.in Sunday, Dec 20, 2020 - 04:41 AM (IST)

रासायनिक कीटनाशक दवाओं व खादों के इस्तेमाल में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश और हरियाणा देश में सबसे अग्रणी हैं। इनके अधिक इस्तेमाल के कारण ही कैंसर पंजाब में महामारी का रूप धारण कर गया है। विशेष रूप से पंजाब का मालवा क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित है। 

हर रात अबोहर से बीकानेर (राजस्थान) के लिए एक गाड़ी ‘अबोहर-जोधपुर एक्सप्रैस’ चलती थी। इसमें सवार होकर वहां जाने वाले अन्य यात्रियों के साथ-साथ पंजाब की कपास पट्टी-मानसा, बठिंडा, फरीदकोट, संगरूर, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का के किसान तथा अन्य कैंसर पीड़ित बीकानेर स्थित ‘आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सैंटर’ में इलाज के लिए जाया करते थे। इस रेलगाड़ी में यात्रा करने वाले 60 प्रतिशत यात्री पूरे पंजाब से आने वाले हर उम्र के कैंसर पीड़ित होते थे जो प्रतिदिन बीकानेर जाने वाले लगभग 100 कैंसर रोगियों की जीवन रेखा थी। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे यह पता चलता है कि उक्त गाड़ी के स्थगित होने से कैंसर पीड़ितों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। 

इस रेलगाड़ी में कैंसर पीड़ितों के लिए बीकानेर तक की यात्रा मुफ्त होने के अलावा रोगी के साथ जाने वाले परिचारक को भी किराए में 75 प्रतिशत की रियायत दी जाती थी और इसका नाम लोगों ने ‘कैंसर ट्रेन’ रख दिया था। पिछले 9 महीनों से इसके बंद होने के कारण बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ित इलाज के लिए बीकानेर नहीं जा पा रहे। इससे उन्हें तथा उनके परिजनों को भारी परेशानी हो रही है। ‘एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट’ बठिंडा के निदेशक डा. दीपक अरोड़ा का भी कहना है कि कोरोना के कारण अस्पताल नहीं आ सकने वाले 10 प्रतिशत रोगियों का रोग बढ़ गया है अत: जितनी जल्दी यह ट्रेन बहाल की जा सके क्षेत्र के कैंसर पीड़ितों के लिए उतना ही अच्छा होगा। 

बठिंडा इंस्टीच्यूट में भी रोगियों की भीड़ बढ़ जाने से बड़े आप्रेशन करने के लिए छोटे आप्रेशन रोके जा रहे हैं। इसकी क्षमता 100 बैड की है और इसके साथ ही संगरूर में भी 50 बैड की क्षमता वाला ‘होमी भाभा कैंसर अस्पताल’ (टाटा) काम कर रहा है पर दोनों ही जगह ‘बैड्स’ तथा कैंसर विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने की तुरंत जरूरत है। इस समय जबकि देश में सब तरह के कैंसर का प्रकोप दिनोंं दिन बढ़ता जा रहा है और प्रति दिन देश में 3500 व्यक्ति कैंसर से मर रहे हैं, सरकार को चाहिए कि वह चल रहे सरकारी व निजी कैंसरअस्पतालों में  बैड्स तथा विशेषज्ञ डाक्टरों  की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ नए कैंसर अस्पताल खोलने और पहले से काम कर रहे अस्पतालों को प्रोत्साहित करने की दिशा में तत्काल पग उठाए।—विजय कुमार


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