अमेरिका में अप्रवासियों के लिए बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रम्प प्रशासन को मानवीय पैरोल खत्म करने की दी इजाजत

punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 08:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में ट्रम्प प्रशासन को बिडेन युग के मानवीय पैरोल कार्यक्रम को खत्म करने की इजाजत दे दी है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक क्यूबा, हैती, वेनेजुएला और निकारागुआ जैसे संकटग्रस्त देशों से आए 500,000 से ज्यादा अप्रवासियों को अमेरिका में अस्थायी निवास और काम करने की अनुमति दी गई थी। फैसले में अदालत ने कोई विस्तृत तर्क नहीं दिया, और यह आदेश बिना हस्ताक्षर के जारी किया गया, जो आमतौर पर आपातकालीन मामलों में होता है। इस फैसले पर असहमति जताते हुए न्यायमूर्ति केतनजी ब्राउन जैक्सन और न्यायमूर्ति सोनिया सोतोमयोर ने कहा कि यह निर्णय अचानक लाखों अप्रवासियों के जीवन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। उन्होंने चेताया कि इस कदम के मानवीय प्रभावों पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया। इस फैसले के बाद क्यूबा, वेनेजुएला, हैती और निकारागुआ से आए हजारों प्रवासी संभावित निर्वासन की स्थिति में आ सकते हैं। इससे पहले इसी महीने एक अन्य आदेश में 350,000 वेनेजुएलावासियों की अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) भी खत्म कर दी गई थी।

मानवीय पैरोल और TPS में क्या है फर्क और इसका इतिहास कितना पुराना?

मानवीय पैरोल और अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) अमेरिका की दो अलग-अलग आव्रजन नीतियाँ हैं, जो संकटग्रस्त देशों से आए लोगों को अस्थायी राहत प्रदान करती हैं। मानवीय पैरोल व्यक्तिगत मामलों में दी जाती है, जिसमें आवेदक को किसी अमेरिकी नागरिक या संस्था द्वारा प्रायोजित किया जाना आवश्यक होता है, जबकि TPS बड़ी संख्या में प्रवासियों को सामूहिक रूप से दी जाती है और यह लंबे समय तक प्रभावी रह सकती है। एक व्यक्ति एक साथ दोनों सुविधाओं का लाभ भी ले सकता है। मानवीय पैरोल की शुरुआत कोई नई नहीं है; 1960 के दशक में करीब दो लाख क्यूबावासियों और वियतनाम युद्ध के बाद 3.5 लाख से अधिक दक्षिण एशियाई नागरिकों को इसके तहत अमेरिका में प्रवेश दिया गया था। हाल के वर्षों में, बिडेन प्रशासन ने 2022 में यूक्रेन युद्ध के कारण विस्थापित लोगों के लिए और फिर वेनेजुएला, क्यूबा, हैती व निकारागुआ के लोगों के लिए 2022 के अंत और 2023 की शुरुआत में यह कार्यक्रम शुरू किया।

कार्यक्रम क्यों शुरू किए गए थे?

बाइडेन प्रशासन का मकसद था कि लोग अवैध रूप से सीमा पार करने की बजाय एक सुरक्षित और वैध रास्ते से अमेरिका आएं। इन कार्यक्रमों से अवैध आव्रजन में काफी कमी आई थी और अप्रवासियों को संगठित तरीके से देश में प्रवेश का अवसर मिला था। ट्रम्प प्रशासन शुरू से ही इन मानवीय कार्यक्रमों का विरोध करता रहा है। सत्ता में आते ही ट्रम्प ने क्यूबा, हैती, वेनेजुएला और निकारागुआ के लिए यह कार्यक्रम खत्म करने का प्रस्ताव दिया था। टेक्सास सहित कई रिपब्लिकन शासित राज्यों ने मुकदमे दायर कर इन्हें चुनौती दी। उनका कहना था कि इससे उनकी राज्य सेवाओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। हालांकि, अब तक यूक्रेन से आए 2.4 लाख लोगों की मानवीय पैरोल स्थिति को ट्रम्प प्रशासन ने रद्द नहीं किया है, लेकिन नए आवेदन फिलहाल रोके गए हैं।

कानूनी लड़ाई जारी

इस फैसले से पहले, अप्रवासियों के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया था कि पैरोल को खत्म करना "कानून के विपरीत और अमानवीय" है।
मार्च में मैसाचुसेट्स की एक अदालत ने भी बिडेन कार्यक्रम को अचानक रद्द करने पर रोक लगाई थी। अदालत ने कहा था कि DHS सचिव नोएम सभी मामलों की व्यक्तिगत समीक्षा के बिना ऐसा फैसला नहीं ले सकतीं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उस रोक को हटाते हुए ट्रम्प प्रशासन को आगे बढ़ने की मंजूरी दे दी है।

 

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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