साल 2000 के बाद दुनिया के सबसे घातक भूकंपों पर एक नज़र, जानें क्यों तुर्किए में मचती है तबाही ?
punjabkesari.in Tuesday, Feb 07, 2023 - 05:59 PM (IST)

वाशिंगटनः भूकंप के दो बड़े झटकों ने तुर्किए में तबाही मचा दी जहां 5000 से अधिक लोग मौत की नींद सो गए, हजारों घायल हो गए और कई तो अब तक मलबे में दबे हुए हैं। पहला भूकंप सीरियाई सीमा के पास स्थित गजियांतेप के नजदीक आया। रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के इस भूकंप को सुदूर ब्रिटेन तक महसूस किया गया। नौ घंटे बाद तुर्किए दूसरे भूकंप से थर्राया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 थी। ऐसा लगता है कि यह भूकंप ‘‘इंटरसेक्टिंग फॉल्ट'' की वजह से आया। यह स्थिति तब होती है जब एक टेक्टॉनिक प्लेट दूसरी के ऊपर आने की कोशिश करती है। तुर्किए सरकार की मानें तो इस तबाही में 3,450 से अधिक इमारतें ज़मींदोज़ हो गईं। इनमें से कई तो आधुनिक इमारतें थीं जिनका निर्माण ढांचे के ‘‘पैनकेक मॉडल'' के आधार पर किया गया था लेकिन यह मॉडल भूकंप के आगे नाकाम साबित हुआ।
साल 2000 के बाद दुनियाभर में आए कुछ घातक भूकंपों की सूची
- 22 जून 2022: अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
- 14 अगस्त 2021: हैती में 7.2 तीव्रता का भूकंप आने से 2200 से ज्यादा लोगों की जान गई।
- 28 सितंबर 2018: इंडोनेशिया में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया। 4300 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
- 24 अगस्त 2016: मध्य इटली में 6.2 तीव्रता का भूकंप आने से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
- 25 अप्रैल 2015: नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया। 8800 से अधिक लोगों की जान गई।
- तीन अगस्त 2014: चीन के वेनपिंग के पास 6.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। इसकी वजह से 700 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई।
- 24 सितंबर 2013: दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान में 7.7 तीव्रता का भूकंप आने से 800 लोगों से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
- 11 मार्च 2011: उत्तर पूर्वी जापान में 9.0 तीव्रता का भूकंप आने से सुनामी आई। 20,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई।
- 27 फरवरी 2010: चिली में 8.8 तीव्रता का भूकंप आने से सुनामी आई। 524 लोगों की मौत हुई। ----
- 12 जनवरी 2010: हैती में सरकारी अनुमान के मुताबिक, 7.0 तीव्रता के भूकंप में 3,1600 लोगों की मौत हुई। ----
- 30 सितंबर 2009: इंडोनेशिया के दक्षिणी सुमात्रा में 7.5 तीव्रता का भूकंप आने से 1100 लोगों की मौत । छह अप्रैल 2009: इटली के ला कुईला और उसके आसपास 6.3 तीव्रता के भूकंप में 300 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई।
- 12 मई 2008: चीन के पूर्वी प्रांत सिचुआन में 7.9 तीव्रता का भूकंप आया। इस वजह से 87,500 लोगों की जान गई।
- 15 अगस्त 2007: मध्य पेरू के तट के निकट 8.0 तीव्रता का भूकंप आने से 500 से अधिक लोगों की मौत।
- 26 मई 2006: इंडोनेशिया के जावा द्वीप में 6.3 तीव्रता का भूकंप आने से 5,700 से अधिक लोगों की मौत हुई।
- 8 अक्टूबर 2005: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आने से 80,000 से अधिक लोगों की जान गई।
- 28 मार्च 2005: इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा में 8.6 तीव्रता का भूकंप आने से 1,300 लोगों की मौत हुई।
- 26 दिसंबर 2004: इंडोनेशिया में 9.1 तीव्रता का भूकंप आने से हिंद महासागर में सुनामी आई। एक दर्जन देशों में 2.30 लाख लोगों की मौत हुई।
- 26 दिसंबर 2003: दक्षिणपूर्वी ईरान में 6.6 तीव्रता का भूकंप आया जिससे 50,000 लोगों की मौत हुई। ----
- 21 मई, 2003: अल्जीरिया में 6.8 तीव्रता का भूकंप आने से 2,200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
- 25 मार्च, 2002: उत्तरी अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता का भूकंप आने की वजह से करीब 1,000 लोगों जान गई।
- 26 जनवरी 2001: भारत के गुजरात में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिस वजह से 20,000 लोगों की मृत्यु हुई।
तुर्केय में क्यों मचती है तबाही ?
तुर्किए में भूकंप आम हैं क्योंकि यह देश भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में आता है। ऐसे क्षेत्र में जहां पृथ्वी की सतह के नीचे तीन टेक्टॉनिक प्लेटें लगातार एक दूसरे के साथ घर्षण करती रहती हैं। कम से कम 2000 साल से तुर्किए भूकंप का सामना करता रहा है। 17वीं शताब्दी में कई शहर इस आपदा में तबाह हो गए थे। बीते करीब 2000 साल में हमने ऐसी इमारतों के निर्माण के बारे में बहुत कुछ सीखा है जो भूगर्भीय हलचल होने पर सुरक्षित रहें। लेकिन यह भी सच है कि इस क्षेत्र में तथा दुनिया के दूसरे हिस्सों में इमारतों का निर्माण प्रभावित करने वाले कई कारक भी हैं।
गुणवत्तापूर्ण निर्माण न होना एक सर्वविदित समस्या
गुणवत्तापूर्ण निर्माण न होना एक सर्वविदित समस्या है। ऐसा प्रतीत होता है कि ध्वस्त हुई कई इमारतें भूकंप की दृष्टि से पर्याप्त सुदृढ़ीकरण के बिना, कंक्रीट से बनी थीं। इस क्षेत्र में इमारतों के भूकंप संबंधी कोड संकेत देते हैं कि इन इमारतों को इतनी मजबूत होना चाहिए था कि वे भूकंप के तेज झटके सह लेतीं। ये झटके आम तौर पर भूमि में सामान्य गुरूत्व के 30 से 40 फीसदी अधिक होते हैं। ऐसा लगता है कि 7.8 और 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से कंपन की दर गुरूत्व के 20 से 50 फीसदी के बीच रही। ‘‘डिजाइन कोड'' से कम तीव्रता की थर्राहट भी ये इमारतें नहीं सह पाईं।
तुर्किए और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षित इमारतों का निर्माण सुनिश्चित करना और भूकंप के मद्देनजर समुचित ‘‘इमारत कोड'' का पालन करना एक बड़ी समस्या है। अतीत में तुर्किए में जब भी भूकंप आए, इमारतें इसी तरह धराशायी हुई हैं। 1999 में इज्मित के समीप आए भूकंप ने करीब 17,000 लोगों की जान ली थी और लगभग 20,000 इमारतों को ख़ाक में मिला दिया था। 2011 में आए भूकंप ने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। तुर्किए के तत्कालीन प्रधानमंत्री रेसेप तैयब एर्दोआन ने तब मृतकों की अधिक संख्या के लिए इमारतों के गुणवत्ताहीन निर्माण को दोषी ठहराया था। उन्होंने कहा था ‘‘नगर निकायों, ठेकेदारों, निरीक्षकों को देखना चाहिए कि उनकी लापरवाही इस हत्या की वजह है।''
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