गुजरात में भाजपा की जीत में ये है परिवर्तन का एक बड़ा कारण

punjabkesari.in Tuesday, Dec 19, 2017 - 03:21 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कांटे की टक्कर में भाजपा ने आदिवासी इलाकों में 14 विधानसभा सीटें जीतकर अंतत: कांग्रेस को मात देने में सफल रही। पिछले चुनाव में आदिवासी बहुल इलाकों में भाजपा को सिर्फ 7 सीटे ही हासिल हुई थीं। अदिवासी कांग्रेस के परंपरागत मतदाता माने जाते हैं। ऐसे में इसे भाजपा की जीत में परिवर्तन का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।


दलित इलाकों में भाजपा ने बनाई पकड़
गुजरात में इस बार भाजपा को पाटीदार आंदोलन के चलते कई इलाकों में नुकसान उठाना पड़ा। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल खुलकर कांग्रेस के साथ थे। पाटीदार भाजपा के सबसे मजबूत समर्थक रहे हैं। ऐसे में पाटीदार मोर्चे पर खोई जमीन की किसी हद तक भाजपा ने आदिवासी इलाके में भरपाई कर ली। यही नहीं दलित बहुल इलाके में भी इस बार भाजपा कुछ सीटे बढ़ाने में सफल रही है। गुजरात की कुल 182 विधान सभाओं में 50 सीट ओबीसी प्रभाव वाली मानी जाती हैं। वैसे तो पूरे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का मतदाता है लेकिन इन सीटों पर ओबीसी के रुझान से ही फैसला होता आया है। इन पचास सीटों में सेइस बार 26 से अधिक सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीतने में सफल रहे हैं। 20 से 23 सीट कांग्रेस तथा एक अन्य की झोली में गई है।


रंग लाई भाजपा की कोशिश
ओबीसी प्रभाव वाली सीटों पर अल्पेश ठाकोर का साथ मिलने के कारण इस बार कांग्रेस को कुछ सीटों पर लाभ मिला है। ठाकोर बिरादरी में मजबूत प्रभाव रखने वाले अल्पेश कुछ समय पहले शराब बंदी जैसे सोशल मुद्दे को लेकर चर्चा में आए थे। बाद में उन्होंने एससी व एसटी जातियों के साथ मिलकर मोर्चा बना लिया था आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ओबीसी बिरादरी को एकजुट करने में काफी सफल रहे। प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्ख्या है। लगभग 32 सीटों पर आदिवासी मतदाता चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं। इस बार इन 32 सीटों में से 18 सीटें कांग्रेस व उसके सहयोगियों को मिली हैं। चौदह सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते हैं। भाजपा पिछले चुनाव में यहां सिर्फ सात सीटें ही जीत पाई थी। आदिवासी इलाके में बढ़त के बावजूद कांग्रेस को 7 सीटों का नुकसान रहा। भाजपा की जीत में यह परिवर्तन एक बड़ा कारण बना।

गुजरात में कुल 20 विधानसभा सीटें दलित प्रभाव वाली मानी जाती हैं। आजादी के बाद से ही दलितों को कांग्रेस का मतदाता माना जाता रहा है। भाजपा दलितों में पैठ बनाने के लिए लगातार कोशिश करती रही है। कुल बीस सीटों में से नौ सीटें भाजपा को मिली जबकि 11 सीटें कांग्रेस तथा एक सीट अन्य को मिली है। गुजरात में दलित आंदोलन का युवा चेहरा माने जाने वाले जिग्नेश मेवानी भाजपा के खिलाफ थे। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का साथ दिया बावजूद इसके बीस में से नौ सीटें हासिल करके भाजपा ने दलितों में अपनी बढ़ती घुसपैठ को साबित करने में सफल रही।

 


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