प्रदूषण का असर: यूनाइटेड स्टेट के मुकाबले छोटे रह जाते हैं भारतीय बच्चों के फेफड़े

punjabkesari.in Sunday, Nov 19, 2017 - 02:05 AM (IST)

नई दिल्ली: वायु, पानी और कैमिकल प्रदूषण से हर साल विश्व भर में 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है, वहीं इसका असर शरीर के विकास पर भी पड़ता है। 

दिल्ली के बच्चों पर किए गए अध्ययन और हाल ही में भारतीय बाल चिकित्सा बारे प्रकाशित पत्रिका में बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। देश में दिल्ली जैसे सबसे प्रदूषित शहर में पलने वाले बच्चों के फेफड़ों की ग्रोथ अमरीका जैसे विकसित देश के बच्चों के फेफड़ों के मुकाबले कम होती है। भारतीय बच्चों के फेफड़ों का आकार पूरी तरह ग्रोथ के बाद अमरीका के बच्चों के फेफड़ों के मुकाबले छोटा रह जाता है जबकि भारत और अमरीका दोनों के बच्चों के फेफड़ों का 8 साल की उम्र तक एक ही साइज होता है। 

भारतीय लड़के और लड़कियों के फेफड़ों का साइज बचपन तक पहुंचते-पहुंचते 10 प्रतिशत तक छोटा रह जाता है। यह अध्ययन वल्लभ भाई पटेल चैस्ट इंस्टीच्यूट के पूर्व डायरैक्टर प्रोफैसर एस.के. छाबड़ा और प्रिमस अस्पताल नई दिल्ली के पल्मोनरी मैडीसिन विभाग के हैड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

बचपन में होने वाले इन्फैक्शन
आनुवांशिक कारकों के अलावा बचपन में आम तौर पर होने वाले इन्फैक्शन और एयर क्वालिटी कैसे फेफड़ों की ग्रोथ को प्रभावित करती है, के बारे में अध्ययन रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है। वायु प्रदूषण बच्चों ही नहीं, बड़ों के फेफड़ों की ग्रोथ को भी प्रभावित करता है। फेफड़ों के छोटे रहने से मतलब घटिया एक्सरसाइज और श्वसन लक्षण तथा रोगों के बड़े जोखिम से है।

अध्ययन की यह तस्वीर तब और भी भयावह हो जाती है जब यह देखते हैं कि फेफड़ों की कम ग्रोथ वाले 40 प्रतिशत बच्चे शहरी क्षेत्र से हैं। इस अध्ययन रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विज्ञान एवं पर्यावरण शोध केंद्र (सी.एस.ई.) की एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर अनुमिता चौधरी ने चिंता जताई है कि अगर स्वास्थ्य एमरजैंसी नहीं लगाई जाती है तो क्या होगा? उन्होंने कहा कि जो लोग पर्यावरण प्रदूषण को मौत और बीमारियों के लिए कारक नहीं मानते उन्हें समझना चाहिए कि भारत में प्रदूषण को कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। अगर अभी भी स्वास्थ्य संबंधी इन सबूतों पर कार्रवाई नहीं की जाती तो यह एक अपराध होगा। 

सी.एस.ई. द्वारा गत दिवस जारी विज्ञप्ति में इंडियन काऊंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च के  बैनर तले मैडीकल एंड हैल्थ एक्सपर्ट ने इकट्ठे होकर कहा है कि वायु प्रदूषण पर राष्ट्र और राज्य स्तर पर मिलकर कदम उठाए जाने चाहिएं। इन सभी का मानना है कि वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसे संभालना सभी के लिए बड़ी चुनौती है। 

क्लीन एयर एक्शन प्लान
सी.एस.ई. ने सरकार से मांग की है कि सभी शहरों में तुरंत टाइमबाऊंड एयर एक्शन प्लान लागू किया जाए। उन्होंने क्लीन एयर स्टैंडर्ड के लिए जिम्मेदारी तय करने की भी मांग की है। 
-गैस चैंबर बने दिल्ली जैसे शहर के लोगों की सेहत को देखते हुए एमरजैंसी एक्शन प्लान लागू होना चाहिए।
-दिल्ली के परिवहन सिस्टम में तुरंत सुधार किया जाना चाहिए। 
-वेस्ट मैनेजमैंट, कंस्ट्रक्शन वेस्ट और क्रॉप वेस्ट को जलाने पर रोक को यकीनी बनाया जाना चाहिए। 


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