भारत के 'खतरनाक' कदम से खफा चीन, कहा-अब कोई समझौता नहीं

punjabkesari.in Friday, Aug 11, 2017 - 11:36 AM (IST)

बीजिंगः पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के विश्लेषकों ने कहा है कि डोकलाम में जारी तनातनी को खत्म करने के लिए चीन कोई समझौता नहीं करेगा। चीन का दावा है कि वह अपने इलाके में सड़क निर्माण कर रहा था और भारत को तुरंत इस इलाके से अपने सैनिक वापस बुला लेने चाहिए। जबकि, भूटान का कहना है कि डोकलाम उसका क्षेत्र है। लेकिन, चीन कहता है इस इलाके को लेकर थिंपू का बीजिंग से कोई विवाद नहीं है।

चीन का कहना है कि नई दिल्ली ने इस मसले पर बीजिंग को पूरी तरह गलत समझा है। चीनी सैन्य विशेषज्ञ एवं दक्षिण एशिया मामलों के जानकार वरिष्ठ कर्नल झोऊ बो ने कहा कि डोकलाम में भारत के 'खतरनाक' कदम से चीनी सरकार, लोग और सेना बेहद 'खफा' है। इसके बावजूद चीन ने अभी तक 'आक्रमण' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। उसने सिर्फ 'सीमा उल्लंघन' या 'घुसपैठ' जैसे शब्दों का ही उपयोग किया है। लिहाजा, दोनों देशों के लोगों की भलाई और दोनों देशों की दोस्ती के लिए भारत को बिना शर्त पीछे हट जाना चाहिए।

उन्हीं के सुर में सुर मिलाते हुए 'सैंटर ऑन चाइना-अमरीका डिफेंस रिलेसंश ऑफ द अकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंस' के निदेशक वरिष्ठ कर्नल झाओ शिआओझोऊ ने कहा कि अगर भारत इस मसले को सुलझाना चाहता है तो उसे अपनी सेना वापस बुलानी होगी, अन्यथा इस मसले का समाधान सिर्फ सेनाओं के इस्तेमाल से हो सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास अपने सैनिक भेजने का कोई आधार नहीं था क्योंकि भूटान ने अपनी ओर से कार्रवाई के लिए उन्हें आमंत्रित नहीं किया था। झाओ ने कहा कि पाकिस्तान चीन का मित्र है। अगर पाकिस्तान की ओर से चीन भी भारत-चीन सीमा पार करे तो भारत कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि 1890 में ग्रेट ब्रिटेन और चीन के बीच किए गए समझौते के स्थान पर भारत-चीन को सिक्किम सेक्टर में नए सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए, ताकि इसे सामयिक बनाया जा सके। उस समय पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना नहीं था और भारत भी स्वतंत्र नहीं हुआ था। इसलिए यह बेहतर होगा कि समझौते पर हस्ताक्षरों में बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि यह बेहद जरूरी है क्योंकि भारत-चीन सीमा के पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सेक्टरों में क्षेत्र का विवाद है, लेकिन सिक्किम सेक्टर ही ऐसा है जहां सीमा निश्चित है।


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