चीन ने तोड़ी अमरीका की कमर

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2017 - 11:43 AM (IST)

वॉशिंगटन: चीन और अमरीका के बीच चल रही तनातनी जितनी बाहर से गंभीर नजर आती है, अंदर से उतनी ज्यादा खौफनाक है। मीडिया में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सरकार ने वर्ष 2010 के अंत से चीन में सीआईए के जासूसी अभियानों को ‘‘व्यवस्थागत ढंग से निष्क्रिय’’ किया है । रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन ने 2011 और 2012 में सीआईए के कम से कम एक दर्जन सूत्रों को या तो मार डाला या फिर बंदी बना लिया।  


CIA को चीन में मिला बड़ा झटका
द न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में अमरीका के 10 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा है कि खुफिया जानकारी से जुड़ा यह मामला पिछले कुछ दशकों में किया गया सबसे गंभीर मामला है। उन्होंने यह बात पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताई । रिपोर्ट में कहा गया कि अमरीकी खुफिया एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस नुकसान की भरपाई की कोशिश में जुट गईं लेकिन इस मुद्दे पर वे बंटी नजर आईं । कुछ जांचकर्ताओं का मानना है कि सीआईए के भीतर ही कोई भेदिया छिपा है जबकि अन्य का मानना है कि चीनी लोगों ने उस प्रणाली को हैक कर लिया, जिससे सीआईए अपने विदेशी सूत्रों से बात किया करती थी। हालांकि यह बहस अब भी सुलझ नहीं सकी है। अखबार को कोई टिप्पणी देने से इंकार करने वाली सीआईए ने कल एजेंसी को भी कोई टिप्पणी देने से इंकार कर दिया। द टाइम्स ने अमरीका के दो वरिष्ठ पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा कि दो साल की अवधि में चीन में सीआईए के 20 सूत्रों को या तो मार डाला गया या बंदी बना लिया गया।  


अधिकारियों का कहना है चीन में हुआ यह नुकसान शीत युद्ध के समय सोवियत रूस में हुई एक बड़ी घटना के बराबर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय CIA के 2 जासूसों ने अमरीका को धोखा दिया और रूस के लिए गुप्तचरी की। इसकी वजह से सोवियत में काम कर रहे CIA के कई जासूस मारे गए थे। मालूम हो कि चीन और रूस में खुफिया नेटवर्क कायम करना एक बड़ी चुनौती माना जाता है। ऐसे में जाहिर है कि अपने जासूसों को खोने के बाद CIA को नए सिरे से काफी मेहनत करनी पड़ी होगी।


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