आपके पास धन तो है लेकिन उसका आनंद नहीं ले पा रहे, अपनाएं ये तरकीब

punjabkesari.in Saturday, Apr 08, 2017 - 08:17 AM (IST)

बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने एक धनी मित्र की मेज पर सोने की कुछ गिन्नियां रखते हुए कहा, ‘‘यह लीजिए अपनी रकम वापस।’’ 


धनी मित्र ने पूछा यह क्या है? फ्रैंकलिन ने बताया, ‘‘मैंने एक प्रैस से समाचार-पत्र छापने का काम प्रारंभ किया था, अचानक ही अस्वस्थ हो जाने से मेरा काम ठप्प हो गया था और उस समय मैंने आपसे यह रकम ली थी। अब वह राशि लौटाने आया हूं। आपने समय पर जो सहायता की, उसका परिणाम यह हुआ कि अखबार दोबारा प्रकाशित हो रहा है। मैं ही उसका सम्पादकीय कार्य करता हूं। ग्राहकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। आर्थिक दृष्टि से मैं अब निश्चिंत हूं। अपनी इन गिन्नियों को आप संभाल लें।’’ 


धनी व्यक्ति को पहले तो कुछ याद नहीं आ रहा था, पर बेंजामिन ने जब विस्तार से स्थिति स्पष्ट की तो उसे याद आ गया लेकिन उसने कहा, ‘‘यह तो ठीक है कि आप मुझसे राशि ले गए थे परंतु उसे वापस लौटाना तो तय नहीं हुआ था। उस समय आप कठिनाई में थे, इसलिए आपकी सहायता करना मैंने अपना कर्तव्य समझा था।’’


जब फ्रैंकलिन ने जोर दिया तो उनके मित्र ने कहा, ‘‘मेरी ओर से आप यह रकम अपने पास रखें। कभी कोई कष्ट में आपके पास आए तो यह उसे दे दें और उससे आप भी वापस न लें। वह भी इसे आगे किसी की सहायता के लिए दे दे। यह क्रम चलता रहे तो कितना अच्छा हो।’’ 


कुछ सोचकर फ्रैंकलिन ने वे गिन्नियां अपने पास रख लीं और वैसा ही किया जैसा उनके मित्र ने कहा था। उन्हें समझ आ गया था कि सामाजिक जीवन में मानवीय संवेदना से आनंद की अनुभूति होती है। 


गिन्नियां अगर वापस रख ली जातीं तो वैसा आनंद नहीं दे पातीं जैसा आनंद वे जरूरतमंदों की जरूरत पूरी करते घूमती हुई दे रही थीं।


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