Dev Deepawali: देव दीपावली पर सूर्यास्त के बाद करें ये काम, सारा साल होगा धन लाभ

punjabkesari.in Saturday, Nov 25, 2023 - 08:14 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाई जाती है। गंगा के हर घाट पर बहुत सारे दीए जलाने के साथ-साथ गंगा पूजन का भी विधान है। यह त्यौहार दीवाली से 15 दिन बाद मनाया जाता है। इसे ही आगे चलकर देव दीपावली ने नाम से जाना गया है। कहते हैं की इस परम्परा का आरंभ सर्वप्रथम पंचगंगा घाट पर आरंभ हुआ। उस समय वहां अनेकों दीए जलाए गए थे। इस रोज दीपदान का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में इस उत्सव की बहुत धूम रहती है। कहते हैं पृथ्वी के इस भाग में सारा देवलोक उतर आता है। यह त्यौहार काशी की संस्कृति एवं परम्परा का अहम हिस्सा है। वाराणसी में धूमधाम से देव दीपावली मनाई जाती है। इस मौके पर पूरी काशी नगरी को दीयों की जगमगाहट से रोशन कर दिया जाता है। काशी के सभी घाटों को दुल्हन की तरह सजाया भी जाता है। 84 घाटों पर दीयों की लड़िया देखकर ऐसा लगता है मानो तारे आसमान छोड़कर धरती पर उतर आए हों। भव्य गंगा आरती को देखने के लिए दूर-दूर से लोग वाराणसी आते हैं। 

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आज सभी दैवीय शक्तियां धरती पर देव दीपावली मनाने आएंगी। उनका आशीर्वाद पाने का यह है सुनहरी मौका। कहते हैं इस दिन शुभ समय पर दीपदान करने से जीवन में वैभव और ऐश्वर्य सदा बना रहता है।

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Dev Deepawali shubh muhurat देव दीपावली शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 25 नवंबर शनिवार को 5:22 पी.एम से होगा और समापन 26 नवंबर की शाम 3:53 पी.एम पर होगा। शास्त्रों के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा निशिता काल में की जाती है। चतुर्दशी तिथि में निशिता काल का मुहूर्त 26 नवंबर को रहेगा। ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 26 नवंबर को मनाया जाएगा।

वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल - 11:43 पी.एम से लेकर 12:37 ए. एम तक रहेगा।

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Dev Diwali Ke Upay उपाय
सूर्यास्त के बाद मुख्य द्वार और तुलसी पर घी का दीपक लगाना शुभ माना जाता है। इससे सारा साल सकारात्मकता बनी रहती है।

देवी लक्ष्मी के चित्र के आगे नौ बत्तियों का शुद्ध घी का दीपक जलाएं। धन लाभ अवश्य होगा।

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श्यामा तुलसी के आसपास खरपतवार या घास उग जाती है, उसे उखाड़कर चमकीले पीले कपड़े में बाध दें। लक्ष्मी देवी का स्मरण करें और उस पोटली को धूप-दीप दिखाकर अपने व्यापार स्थल पर रखें। अवश्य ही व्यापार में उन्नति, वृद्धि होने लगेगी।

दीप दान करते समय अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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