दीपावली: रात्रि के अंतिम प्रहर लगभग 4 बजे करें दरिद्रता का विसर्जन

punjabkesari.in Thursday, Oct 19, 2017 - 09:45 AM (IST)

दीपावली के अनुष्ठान 
श्री लक्ष्मी-गणेश की पूजा के बाद श्री गणपत्यर्णशीर्षसूक्त, श्रीसूक्त एवं लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना या कराना। श्री ललितासहस्रनाम, श्री कनकधारा स्तोत्र या श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करना या कराना। श्री लक्ष्मी जी के वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक या शाबर मंत्र का अनुष्ठान करना। श्री लक्ष्मी मंत्री, श्री दुर्गासप्तशती के चतुर्थ अध्याय या एकादश अध्याय का पाठ करना। तंत्र दीक्षाप्राप्त साधकों द्वारा अपने समुदाय, सम्प्रदाय के अनुसार तंत्र साधना।


दीपावली की पूजा 
दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में श्री लक्ष्मी-गणेश, कलश, कुबेर, नए बर्तन, मटकी आदि की अपनी परंपरानुसार भक्तिभाव से पूजा की जाती है। व्यापारी अपनी गद्दी, आफिस या दुकान में इनके अलावा षोडशमार्तका एवं नवग्रहों के पूजन के साथ-साथ बही-बसने, कलम दवात एवं तराजू आदि की पूजा करते हैं। रात्रि के अंतिम प्रहर में लगभग 4 बजे तक दीपक जलाकर झाड़ू या पंखे पर रखकर दरिद्रता का विसर्जन करते हैं।


इस पर्व में ॐ गणपतये नम: मंत्र से श्री गणेश जी की, ॐ महालक्ष्मयै नम: मंत्र से लक्ष्मी जी की, ॐ कलशे वरुणाय नम: मंत्र से कलश की, ॐ षोडश मातृकाभ्यो नम: नंत्र से मातृकाओं की, ॐ नवग्रहेभ्यो नम: मंत्र से नवग्रहों की तथा ॐ कुबेराय नम: मंत्र से श्री कुबेर की पूजा की जाती है।
 


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