चाणक्य नीति:इन परिस्थितियों में पिया पानी होता है विष समान

punjabkesari.in Friday, Feb 17, 2017 - 11:51 AM (IST)

महान आचार्य चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना करके अखण्ड भारत का निर्माण किया था। आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में व्यक्ति को पानी पीने के तरीके के बारे में बताया है। उन्होंने कुछ ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताया है जिन पर पानी पिया जाए तो वह विष के समान लगता है। 

 

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।। 

 

चाणक्य के अनुसार भोजन करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से पाचन से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। भोजन करने से हमें  ऊर्जा मिलती है। यदि भोजन करने के बाद पानी पी लें तो खाना अच्छे से नहीं पचेगा अौर पाचन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने पर वह विष के समान कार्य करता है अर्थात पानी फायदा नहीं नुक्सान पहुंचाता है। यदि हम चाहे तो भोजन के बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पी सकते हैं, लेकिन अधिक पानी पीना नुकसानदायक हो सकता है।

 

कब पानी पिएं
आचार्य चाणक्य के अनुसार भोजन के बाद जब खाना अच्छे से पच जाए तभी पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है। इसके साथ ही पाचन से संबंधित समस्याएं जैसे कब्ज व अपच से छुटकारा मिलता है। 

भोजन करने के बाद करीब एक घंटे पूर्व पानी पीना चाहिए। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है। जब भी प्यास लगे, तब कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। मेहनत का काम कर रहे हों या पसीना आ रहा हो तो एकदम पानी नहीं पीना चाहिए। 


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