दूसरे के दिल-दिमाग में आपके लिए क्या चल रहा है ऐसे पता लगाएं

punjabkesari.in Tuesday, Apr 05, 2016 - 12:42 PM (IST)

एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में विचार आया कि इसका सब कुछ छीन लिया जाना चाहिए। व्यापारी के जाने के बाद राजा ने सोचा कि मैं प्रजा को हमेशा न्याय देता हूं। आज मेरे मन में ऐसा कलुषित विचार क्यों उत्पन्न हुआ कि व्यापारी की सम्पत्ति छीन ली जाए।

उन्होंने अपने मंत्री से सवाल किया। मंत्री ने कहा, इसका सही उत्तर कुछ दिन बाद दे पाऊंगा। राजा ने स्वीकार कर लिया। मंत्री विलक्षण बुद्धि का था। वह इधर-उधर के सोच-विचार में समय न गंवा कर सीधा व्यापारी से मैत्री गांठने पहुंचा। व्यापारी से मित्रता करने के बाद उसने पूछा, तुम इतने चिंतित क्यों हो? तुम तो भारी मुनाफे वाला चंदन का व्यापार करते हो। 

व्यापारी बोला कि धारा नगरी सहित अनेक नगरों में चंदन की गाडि़य़ां भरे फिर रहा हूं, पर चंदन नहीं बिक रहा है। बहुत सारा धन इसमें फंसा पड़ा  है। अब नुक्सान से बचने का कोई उपाय नहीं है। व्यापारी की बात सुन मंत्री ने पूछा, क्या कोई भी रास्ता नहीं बचा  है? व्यापारी हंस कर कहने लगा कि अगर  राजा भोज की मृत्यु हो जाए तो उनके दाह-संस्कार के लिए सारा चंदन बिक सकता है। मंत्री को राजा का उत्तर देने की सामग्री मिल चुकी थी। अगले दिन मंत्री ने व्यापारी से कहा कि तुम प्रतिदिन राजा का भोजन पकाने के लिए एक मण चंदन दे दिया करो और नकद पैसे उसी समय ले लिया करो।

व्यापारी मंत्री के आदेश को सुन कर बड़ा प्रसन्न हुआ। वह मन ही मन राजा की दीर्घायु (लम्बी उम्र)  की कामना करने लगा। एक दिन राजा की सभा चल रही थी। व्यापारी दोबारा राजा को वहां दिखाई दे गया तो राजा सोचने लगा, यह कितना आकर्षक व्यक्ति है, इसे क्या पुरस्कार दिया जाए?

राजा ने मंत्री से दोबारा कहा, मंत्रीवर यह व्यापारी जब पहली बार आया था उस दिन मैंने एक सवाल किया था उसका उत्तर तुमने अभी तक नहीं दिया। 

आज इसे देखकर मेरे मन का भाव बदल गया है जिससे मेरे मन में दूसरा सवाल खड़ा हो गया है। इसे दूसरी बार देखा तो मेरे मन में इतना परिवर्तन कैसे हो गया? 

मंत्री ने कहा, महाराज! दोनों ही प्रश्रों का उत्तर आज दे रहा हूं। यह जब पहले आया था तब आपकी  मृत्यु सोच रहा था, अब यह आपके जीवन की कामना करता है इसलिए आपके मन में इसके प्रति दो तरह की भावनाओं ने जन्म लिया है। जैसी अपनी भावना होती है वैसा ही प्रतिबिम्ब दूसरे के मन में पडऩे लगता है।


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