इस फिल्म को देखने के बाद कई लोग बीमार पड़ गए, 100 देशों ने तुरंत लगा दिया बैन!
punjabkesari.in Friday, Apr 25, 2025 - 08:12 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: दुनियाभर में कई फिल्में अपने कंटेंट, विषय या प्रस्तुतिकरण के चलते विवादों में घिर जाती हैं, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं जो सिनेमाई इतिहास में डर और असहजता का प्रतीक बन जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है “सालो: और द 120 डेज ऑफ सोडोम” जिसे आज भी दुनिया की सबसे विवादित और डरावनी फिल्मों में गिना जाता है। 1975 में बनी यह इटालियन फिल्म सत्ता, क्रूरता और यौन हिंसा के ऐसे पक्ष को उजागर करती है जिसे देखकर अच्छे-अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाएं। फिल्म की कहानी चार भ्रष्ट और ताकतवर नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फासीवादी शासन के दौरान कुछ युवाओं को अगवा करते हैं और फिर उनके साथ अमानवीय अत्याचार करते हैं। इसमें दिखाए गए दृश्य इतने ग्राफिक और हिंसक हैं कि कई दर्शक इसे अधूरा छोड़कर उठ गए। नग्नता, मानसिक और शारीरिक हिंसा तथा यौन शोषण को इतनी स्पष्टता से दिखाया गया है कि इसे कई लोगों ने सिनेमा नहीं बल्कि इंसानियत के खिलाफ अपराध कहा।
क्यों 100 देशों में हुई बैन?
फिल्म को जैसे ही पेरिस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया, वैसे ही विरोध शुरू हो गया।
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इटली, जहां फिल्म बनी थी, वहीं पर जनवरी 1976 में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
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भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके और न्यूज़ीलैंड समेत करीब 100 देशों ने इस फिल्म को बैन कर दिया।
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अमेरिका में इसे 1977 में रिलीज तो किया गया, लेकिन कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा।
सेंसर बोर्ड्स का मानना था कि यह फिल्म "समाज विरोधी, अश्लील और असहनीय" है।
आलोचक भी बंट गए
फिल्म को लेकर आलोचकों की राय दो हिस्सों में बंटी रही।
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कुछ ने कहा कि यह फिल्म सत्ता के भ्रष्ट रूप और फासीवाद की सच्चाई को उजागर करती है।
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वहीं, कई लोगों ने इसे "ग्लोरिफाइड हिंसा और यौन अपराध" कहा।
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न्यूयॉर्क टाइम्स के आलोचक विंसेंट कैनबी ने कहा कि यह फिल्म देखने का अनुभव "आत्मा को कुचलने" जैसा है।
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मशहूर समीक्षक रॉजर एबर्ट ने तो इसे कभी देखा ही नहीं और इसका रिव्यू करने से इनकार कर दिया।
निर्देशक की रहस्यमयी मौत
इस फिल्म के रहस्य को और गहरा बना दिया इसके निर्देशक पियर पाओलो पासोलिनी की रहस्यमयी मौत ने। फिल्म की रिलीज से कुछ ही हफ्ते पहले, नवंबर 1975 में उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। उनके शरीर को गाड़ी से कुचला गया, हड्डियाँ टूटी हुई थीं और रिपोर्ट के मुताबिक उनके जननांगों तक को कुचल दिया गया था।
इस हत्या को लेकर कई थ्योरी हैं –
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कुछ लोग इसे राजनीतिक साजिश बताते हैं
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कुछ इसे गैंगस्टर कनेक्शन
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और कुछ अश्लील फिल्म बनाने का बदला मानते हैं।
लेकिन सच आज भी किसी को नहीं पता।
आज भी ‘कल्ट क्लासिक’ की तरह देखा जाता है
भले ही आज भी कई देशों में यह फिल्म प्रतिबंधित है, लेकिन सिनेमा की दुनिया में इसे 'कल्ट क्लासिक' का दर्जा मिल चुका है।
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IMDb पर इसकी रेटिंग 5.8 है
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रॉटेन टोमैटोज़ पर इसका स्कोर 70% है
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फिल्म स्कूलों में इसे राजनीतिक प्रतीकवाद और सत्ता के दमन की मिसाल के तौर पर पढ़ाया भी जाता है।