सस्ता लोन पड़ सकता है महंगा, इन छिपे खर्चों से बचें वरना बढ़ेगा कर्ज का बोझ
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 02:57 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आजकल पर्सनल लोन लेना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। बस कुछ दस्तावेज़ जमा कीजिए और बैंक या NBFC आपके खाते में सीधा पैसा भेज देती है। ये सुविधा सुनने में जितनी अच्छी लगती है असलियत में उतनी ही सावधानी की मांग करती है। अक्सर लोग केवल EMI और ब्याज दर देखकर लोन ले लेते हैं लेकिन असली खर्च तो तब सामने आता है जब लोन से जुड़े छिपे चार्जेस सामने आते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि किन छिपे खर्चों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि आप किसी गलतफहमी का शिकार न हों और लोन आपके लिए मददगार साबित हो न कि बोझ।
लोन से पहले ही हो जाती है कटौती
जब भी आप पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक या NBFC प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लोन राशि से कुछ हिस्सा काट लेते हैं। यह शुल्क आमतौर पर 1% से 3% के बीच होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपने ₹5 लाख का लोन लिया और प्रोसेसिंग फीस 2% है तो बैंक ₹10,000 काट लेगा और आपको ₹4.90 लाख ही मिलेगा। लेकिन चुकाना आपको ₹5 लाख ही पड़ेगा। यानी शुरुआत में ही आपके हाथ में कम रकम आती है।
लोन जल्दी चुकाने पर भी भरना पड़ सकता है जुर्माना
आप सोच सकते हैं कि अगर आपके पास पैसे आ गए तो लोन जल्दी चुकाकर छुटकारा पा लेंगे। लेकिन ये इतना आसान नहीं है। बैंक अक्सर प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्ज के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूलते हैं। ये चार्ज बकाया लोन राशि का 2% से 5% तक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि पहले से हिसाब लगाएं कि जल्दी लोन चुकाने से फायदा होगा या नहीं।
EMI लेट हुई तो जुर्माना और क्रेडिट स्कोर पर असर
अगर आपकी EMI तय तारीख पर नहीं कटती या बाउंस हो जाती है, तो बैंक ₹500 से ₹1000 तक का जुर्माना लगा सकता है। इससे दो नुकसान होते हैं एक तो सीधा जुर्माना और दूसरा आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर।भविष्य में अगर आप फिर से कोई लोन या क्रेडिट कार्ड लेना चाहें तो ये रिकॉर्ड आपके खिलाफ जा सकता है। इसलिए EMI की तारीख से पहले अपने खाते में पैसा रखना न भूलें।
बीमा का छुपा खर्च भी देखिए
कई बार बैंक लोन के साथ आपको एक बीमा पॉलिसी भी "बांध" देते हैं, जैसे पर्सनल एक्सीडेंट कवर या लोन प्रोटेक्शन प्लान। ये बीमा जरूरी नहीं होते लेकिन इनके लिए जो प्रीमियम लिया जाता है, वह लोन राशि में जुड़कर ब्याज भी बढ़ा सकता है। आपको ये जानने और इनकार करने का पूरा अधिकार है। लोन साइन करने से पहले साफ-साफ पूछ लें कि बीमा जरूरी है या नहीं।
हर चार्ज पर लगेगा 18% GST
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ EMI या ब्याज पर ही खर्च नहीं होता। प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट पेनल्टी, फोरक्लोजर चार्ज—इन सब पर 18% GST भी जुड़ता है। उदाहरण: अगर प्रोसेसिंग फीस ₹10,000 है, तो GST मिलाकर यह ₹11,800 हो जाएगी। इससे लोन की कुल लागत और बढ़ जाती है।
लोन लेने से पहले बैंक से क्या-क्या पूछें?
लोन लेने से पहले बैंक या लोन देने वाली कंपनी से कुछ जरूरी सवाल जरूर पूछने चाहिए। सबसे पहले प्रोसेसिंग फीस कितनी है, यह जानना जरूरी होता है क्योंकि यह लोन के शुरुआती खर्चों में शामिल होती है। इसके अलावा, फोरक्लोजर चार्ज या प्रीपेमेंट पेनल्टी कितनी लगेगी, यह भी स्पष्ट करना चाहिए ताकि समय से पहले लोन चुकाने पर कोई अतिरिक्त खर्च न हो। साथ ही, यह जानना जरूरी है कि क्या लोन के साथ कोई बीमा भी लिया जा रहा है, जिससे भविष्य में अनहोनी की स्थिति में सुरक्षा मिल सके। EMI में शामिल सभी चार्जेस को भी समझना चाहिए ताकि मासिक किस्तों के दौरान कोई छुपा हुआ खर्च न हो। अंत में, कुल मिलाकर GST कितना लगेगा, इसकी जानकारी लेना भी महत्वपूर्ण है। जितनी ज्यादा जानकारी आप लोन के बारे में लेंगे, उतना ही आप फाइनेंशियली सेफ रहेंगे और बाद में किसी तरह की परेशानियों से बच सकेंगे।