मानसून में बढ़ जाता है अस्थमा अटैक का खतरा, जानिए क्यों बिगड़ने लगती है सेहत और कैसे करें बचाव?
punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 12:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बारिश का मौसम जहां ठंडक और राहत लेकर आता है, वहीं यह मौसम सेहत के लिए कई बार मुसीबत भी बन सकता है। केवल डेंगू, मलेरिया या स्किन इंफेक्शन ही नहीं बल्कि मानसून में कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ जाता है। खासकर अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियां इस मौसम में ज्यादा परेशान करती हैं। इसकी वजह हवा में बढ़ी हुई नमी, फंगल एलर्जी, और वातावरण में मौजूद पोलन कण होते हैं।
अस्थमा मरीजों के लिए मानसून क्यों है खतरनाक?
मानसून के दौरान हवा में नमी (Humidity) का स्तर काफी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब नमी 50% से अधिक हो जाती है तो हमारे फेफड़ों की नलियों में सूजन आने लगती है जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है। अस्थमा के मरीजों के लिए ये स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है। इसके अलावा, बारिश के चलते फूलों और पेड़ों से पोलन हवा में फैलने लगते हैं। ये पोलन सांस के जरिए शरीर में जाकर एलर्जी और अस्थमा अटैक का कारण बन सकते हैं।
एक्सपर्ट की राय क्या कहती है?
एक डॉक्टर बताते हैं कि:
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जब हवा में नमी 30-50% होती है तो यह फेफड़ों के लिए अनुकूल होती है।
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लेकिन जब ये नमी 50% से अधिक हो जाती है तो फेफड़ों की वायुनलिकाएं (ब्रोंकिओल्स) सूजने लगती हैं।
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ज्यादा बारिश के कारण फूलों और पेड़ों से निकलने वाले पोलन हवा में तैरने लगते हैं और सांस के जरिए शरीर में जाकर एलर्जिक रिएक्शन शुरू करते हैं।
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सूर्य की रोशनी की कमी के कारण लोग मानसिक रूप से थकान, तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं, जो अस्थमा को और बढ़ा सकता है।
अस्थमा के लक्षण जो मानसून में बढ़ जाते हैं
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सांस लेने में तकलीफ
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सीने में जकड़न और दर्द
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बार-बार खांसी आना
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चलते वक्त जल्दी थक जाना
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रात में सांस रुकने जैसा महसूस होना
कैसे करें मानसून में अस्थमा और इंफेक्शन से बचाव?
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बारिश में भीगने से बचें: भीगने से सर्दी-जुकाम हो सकता है जो अस्थमा ट्रिगर करता है।
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धूल-मिट्टी और गंदगी से दूर रहें: कीचड़ और गंदगी वाले इलाकों में बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है।
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गर्म पानी का इस्तेमाल करें: पीने और नहाने दोनों में गर्म पानी का इस्तेमाल संक्रमण से बचा सकता है।
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एसी का तापमान बैलेंस रखें: बहुत ज्यादा ठंडा या गर्म तापमान अस्थमा को बढ़ा सकता है।
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भाप लेना शुरू करें: अगर सर्दी या जुकाम हो तो तुरंत भाप लें ताकि सांस की नलियां साफ रहें।
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इनहेलर हमेशा साथ रखें: जिन लोगों को अस्थमा है उन्हें अपना इनहेलर हमेशा साथ रखना चाहिए।
खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव
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हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
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खांसी-जुकाम बढ़ाने वाले चीजों जैसे कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम से बचें।
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विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए सुबह थोड़ी देर धूप लें।
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योग और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें, खासकर अनुलोम-विलोम और कपालभाति।
मानसून और मानसिक स्वास्थ्य
बारिश में जब सूरज की रोशनी कम मिलती है तो शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है जिससे मूड डाउन रहने लगता है। यह स्थिति सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) कहलाती है और इसका सीधा असर हमारी इम्यूनिटी और सांस लेने की क्षमता पर पड़ सकता है। इस वजह से भी अस्थमा का खतरा मानसून में ज्यादा रहता है।