मास्क और सैनिटाइजर को मनमाने दाम पर बेचने से हो सकती है जेल, जानें इस क़ानून को

punjabkesari.in Saturday, Mar 21, 2020 - 11:45 AM (IST)

नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरे की वजह से मास्क और सैनिटाइजर अब एक ज़रुरत बन गया है। इससे मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री में भी भारी इजाफा देखने को मिला है। ऐसे में इन चीजों को ऊँचे दाम पर बेचने या बाजार में उपलब्ध नहीं होने की शिकायतें भी सामने आई है। सरकार ने इसे देखते हुए दोनों चीजों को आवश्यक वस्तु की सूची में शामिल कर लिया है। 30 जून, 2020 तक ये दोनों चीजें आवश्यक वस्तु की सूची में रहेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इनके उत्पादन, बिक्री और वितरण पर नियंत्रण करेगी। अगर किसी ने मनमाने दाम पर मास्क या सैनिटाइजर्स बेचने की कोशिश की तो उनको जेल की सजा भी हो सकती है।
 
PunjabKesari

अब सरकार करेगी इनके दाम नियंत्रण
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु की सूची में जिन चीजों को शामिल किया गया है, सरकार उन चीजों का उत्पादन, बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है। इस कानून में मनमाने दाम पर बेचने, जमाखोरी या कालाबाजारी की स्थिति में 7 साल जेल की सजा तक का प्रावधान है।

PunjabKesari

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में भारत की संसद में पारित हुआ था जिसके अंतर्गत सरकार इस कानून की मदद से 'आवश्यक वस्तुओं' का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को सही दाम पर मिल सके। 'आवश्यक वस्तु' घोषित होने पर सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड प्रॉडक्ट का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे। उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है।
 

ये वस्तुएं इस श्रेणी में है शामिल:
सरकार द्वारा इन वस्तुओ को इस नियम के अधीन शामिल किया गया है ।
1. पेट्रोलियम और इसके उत्पाद जिनमें पेट्रोल, डीजल, नेफ्था और सोल्वेंट्स वगैरा शामिल हैं।
2. खाने की चीजें जैसे खाने का तेल और बीज, वनस्पति, दाल, गन्ना और इसके उत्पाद जैसे गुड़, चीनी, चावल और गेहूं
3. टेक्सटाइल्स
4. जरूरी ड्रग्स
5. फर्टिलाइजर्स
इनके अलावा कई बार सरकार कुछ चीजों को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डाल चुकी है और बाद में स्थिति सामान्य होने पर निकाल दिया गया है।
 

ये मिल सकती है सज़ा
इस कानून के सेक्शन 7(1) ए (1) के तहत अगर सही से रिकॉर्ड नहीं रखा, रिटर्न फाइल आदि करने में कानून का उल्लंघन किया तो इसे जुर्म माना जाएगा। इसके लिए तीन महीने से एक साल तक की सजा का प्रावधान है। सेक्शन 7(1) ए (2) में बड़े अपराधों जैसे जमाखोरी, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी आदि के लिए सजा का प्रावधान है। इस स्थिति में सात साल तक जेल की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Author

Riya bawa

Recommended News

Related News